Saturday, February 27, 2021

एक यात्रा अलौकिक अमृतेश्वरा मंदिर की जो कर्नाटक राज्य के चिकमगलूर जिले के अमृतपुरा गांव में स्थित है। - भारत A visit to the supernatural Amriteshwara Temple which is located in Amritpura village in Chikmagalur district of Karnataka state. - India

Ek yatra khajane ki khoje

















                               अमृतेश्वरा मंदिर











  नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं दोस्तों आज की यात्रा पर मैं लेकर चल रहा हूं  अमृतेश्वरा मंदिर जोकि कर्नाटक के दुरदराज इलाके में मौजूद हैं ।




                   अमृतेश्वरा मंदिर
  
                चिकमगलूर कर्नाटक

                        भारतवर्ष

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 दोस्तों अमृतेश्वरा मंदिर  जोकि भारत के कर्नाटक राज्य के चिकमगलूर जिले से 67 किलोमीटर उत्तर में अमृतपुरा गांव में स्थित है , हासन से 110 किलोमीटर  एन. एच 206 शिमोगा से 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित अमृतपुरा गांव  भगवान शिव के अमृतेश्वरा मंदिर के लिए जाना जाता है ।  दोस्तों इस मंदिर का निर्माण 1196 ई. में  होयसला राजा  वीर बल्लाला दि्वतीय  अमृतेश्वर दंदनायका द्वारा बनवाया गया था।





















दोस्तों  कर्नाटक के दुरदराज इलाके में मौजूद यह गांव काफी  छोटा है। दोस्तों यह गांव  होयसाल राजवंश द्वारा  निर्मित एक बहुत ही सुंदर और स्थापत्यकला के दृष्टिकोण से बहुत ही अद्भुत और अलौकिक मंदिर जिसे हम सभी अमृतेश्वरा मंदिर के नाम से जानते हैं के लिए प्रसिद्ध है । दोस्तों यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है । दोस्तों इस मंदिर का निर्माण एक सेनापति  द्वारा  राजा  बल्लाला दि्वतीय अमृतेश्वरा दंडनायका के शासनकाल में किया गया था । दोस्तों यह मंदिर  भद्रा नदी के  जलाशय के नज़दीक बना हुआ है । दोस्तों यह चारों ओर से  नारियल और ताड़ के पेड़ों से घिरा हुआ है। जिससे मंदिर के खूबसूरती में चार-चांद लग जाती हैं।









दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि मंदिर में स्थापित भगवान शिव को नेपाल के गंडक नदी से लाया गया था। दोस्तों अद्भुत रूप से भगवान शिव के दाईं ओर माता शारदा देवी की  मूर्ति स्थित है । साथ ही साथ दोस्तों सबसे आश्चर्य करने वाली बात यह है कि अमृतेश्वरा मंदिर के अंदर एक दीपक 200 वर्षों से से लगातार जल रहा है। दोस्तों यह दीपक प्रत्येक दिन लगभग एक लीटर तेल की खपत करता है।












दोस्तों ऐतिहासिक स्रोत बताते हैं कि 11 वीं  और 14 वीं शताब्दी के बीच बनें इस क्षेत्र के सभी मंदिरों को होयसाल सम्राज्य द्वारा बनवाया गया था। दोस्तों ऐतिहासिक दस्तावेजों से पता चलता है कि इस युग के कारीगरों के पास अपनी खुद की एक अनूठी तकनीक थीं , जो उन्होंने उस कालखंड के सभी मंदिरों का निर्माण करते समय  प्रयोग किया था या  अपनाई थी। दोस्तों देखा जाए तो एक मंदिर आमतौरपर  निम्नलिखित विशेषताओं से  संपन्न होता हैं । खासकर मंदिरों के शिखर पर स्थित पुष्प को नक्काशीदार  बनाया जाता था , साथ ही साथ मंदिर में मौजूद मंडपों का निर्माण,  व मंडल को जटील रूप से तैयार स्तंभों पर खड़ा किया जाता था । दोस्तों अमृतेश्वरा मंदिर को  एकल विमान शैली  में बनाया गया है । दोस्तों ऐतिहासिक स्रोतों की मानें तो  " रूवरी मल्लितालम " नाम के एक प्रसिद्ध मूर्तिकार ने अपने इस कला या   नौकरी की शुरुआत इसी मंदिर से की थी ।






दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि अमृतेश्वरा मंदिर में बहुत सारी अनुठी विशेषताएं मौजूद है  , जो इसे अन्य  होयसल वंश द्वारा बनाये गये मंदिरों से अलग खड़ा करती है , दोस्तों सबसे आश्चर्य करने वाली विशेषता है मंदिर के अंदर मौजूद चमकते हुए खंभे या स्तंभ जो  मंदिर के छत को मजबूती से पकड़े हुए है। दोस्तों इन खंभों को देखकर लगता ही नहीं है कि इनका निर्माण  मनुष्यों ने किया होगा  , दोस्तों इस तरह  का निर्माण  वर्तमान समय के आधुनिक युग में भी संभव नहीं है । दोस्तों  मंदिर में एक विशाल पत्थर का शिलालेख  मौजूद है  , जिसपर कन्नड़ भाषा में  मंदिर का इतिहास और कन्नड़ काव्य वर्णित हैं  जो उस युग के महान कवियों के ज्ञान को दर्शाता हैं।














धन्यवाद दोस्तों मुझे नहीं लगता कि इन मंदिरों का निर्माण  मनुष्यों ने किया होगा  , बल्कि इन मंदिरों का निर्माण  दैवीय शक्तियों ने किया होगा  । फिर भी दोस्तो   ये हमारे पूर्वजों के अलौकिक और अनुपम धरोहर हैं जिसे बचाकर रखना हमारा परम कर्तव्य है ।










                   धन्यवाद दोस्तों


                माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗


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                English translate
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 Hello friends I heartily congratulate all of you mountain lepards Mahendra Friends, on today's journey I am taking Amriteshwara Temple which is present in Durdaraj area of ​​Karnataka.



















 Amriteshwara Temple



 Chikmagalur Karnataka


 India


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 Friends Amriteshwara Temple, which is located 67 km north of Chikmagalur district of Karnataka state, India, in Amritpura village, 110 km N. from Hassan.  H 206 Situated at a distance of 50 km from Shimoga, Amritpura village is known for the Amriteshwara temple of Lord Shiva.  Friends, this temple was built in 1196 AD by the Hoysala king Veer Ballala Diwati Amriteshwar Dandanayaka.










 Friends, this village in Durdaraj area of ​​Karnataka is quite small.  Friends, this village is famous for a very beautiful and supernatural temple built by the Hoysala dynasty and a very supernatural temple which we all know by the name of Amriteshwara Temple.  Friends, this temple is dedicated to Lord Shiva.  Friends, this temple was built by a commander during the reign of King Ballala Divati ​​Amriteshwara Dandanayaka.  Friends, this temple is situated near the reservoir of Bhadra River.  Friends, it is surrounded by coconut and palm trees.  Which adds to the beauty of the temple.















 Friends, you will be surprised to know that Lord Shiva installed in the temple was brought from the Gandak River in Nepal.  Friends, to the right of Lord Shiva is the statue of Goddess Sarada Devi.  At the same time, the most surprising thing is that friends, a lamp inside the Amriteshwara temple has been burning continuously for 200 years.  Friends, this lamp consumes about one liter of oil every day.










 Friends historical sources suggest that all the temples in this area, built between the 11th and 14th century, were built by the Hoysala Empire.  Friends Historical documents reveal that the artisans of this era had a unique technique of their own, which they used or adopted while constructing all the temples of that period.  Friends, a temple is usually endowed with the following characteristics.  The flowers, especially on the summit of the temples, were carved, as well as the construction of the mandapas present in the temple, and the mandalas were erected on the jatilically prepared pillars.  Friends Amriteshwara Temple is built in single Vimana style.  According to friends from historical sources, a famous sculptor named "Rouvari Mallittalam" started his art or job from this temple.


















 Friends, you will be surprised to know that Amriteshwara Temple has a lot of unique features, which makes it stand apart from the temples made by other Hoysala dynasty, friends. The most surprising feature is the shining pillars or pillars inside the temple which  Holding the roof firmly.  Friends, looking at these pillars, it is not possible that humans would have built them, friends, this kind of construction is not possible even in the modern era.  A huge stone inscription is present in the Friends temple, on which the history of the temple and Kannada poetry are described in the Kannada language which reflects the wisdom of the great poets of that era.







 Thanks guys, I do not think that these temples would have been built by humans, but rather these temples would have been built by divine powers.  Nevertheless friends, these are the supernatural and unique heritage of our ancestors, which is our ultimate duty to preserve.














 Thanks guys



 Mountain Leopard Mahendra                            🧗🧗

































































     
           Mountain lappord                                    Mahendra
                        🧗🧗




























Friday, February 26, 2021

झारखंड के पलामू जिले के पांकी थाना स्थित नवडीहा गांव में मिले 11 वीं शताब्दी के प्राचीन चांदी के सिक्के- भारत Ancient 11th century silver coins found in Navdiha village of Panki police station in Palamu district of Jharkhand - India

Ek yatra khajane ki khoje




















   नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं दोस्तों आज की यात्रा पर मैं जा रहा हूं झारखण्ड के पलामू जिले के पांकी थाना क्षेत्र में स्थित नवाडीहा गांव  , जहां मिलें हैं 11वी शताब्दी के प्राचीन  चांदी के सिक्के ।













 दोस्तों झारखंड के पलामू जिले के पांकी थाना स्थित  नवडीहा गांव में "भलही पहाड़," की तलहटी में स्थित एक खेत से चांदी के 200 सिक्के  मिले हैं दोस्तों ये सिक्के  नक्काशीदार धातु के घड़े में बंद मिले हैं  जो 10 वीं शताब्दी या 11 वीं शताब्दी के हैं , दोस्तों इनमें से कुछ सिक्को  पर  अरबी  व फारसी के शब्द लिखे हुए हैं जिससे यह प्रमाणित होता हैं कि ये चांदी के सिक्के मध्यकालीन भारत के  प्रचलित सिक्के हैं जो उस समय के शासकों द्वारा बनवाया गया था।










दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि जेसीबी मशीन से  नवडीहा गांव के रहने वाले "बचन बैठा " के खेतों के समतलीकरण का कार्य हो रहा था , इसी दौरान  धातु का घड़ा जो सदियों से  जमीन में दफन था  खुदाई के दौरान अचानक  बाहर निकल आया था  , लेकिन संयोगवश  मिट्टी में लिपटे होने के कारण गांव वालों की नजर उसपर नहीं पड़ी थी ।  दोस्तों इसी बीच हुई वर्षा से घड़े पर लगा हुआ मिट्टी  धुल गईं  और नक्काशीदार घड़ा  स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगा , जिसपर इस गांव के ही  जहीर मियां के बेटे  सलीम मियां की नजर पड़ गई  । और वह उस नक्काशीदार  घड़े को सबसे छुपाकर  अपने घर लेकर चला गया ।  दोस्तों घर जाकर वह  सिक्कों को गिनती करने के उद्देश्य से जमीन पर बिखेर दिया ,  जिसे उसके अन्य  भाइयों ने भी देख लिया  और उन्हें भी पता चल गया कि सलीम को  चांदी के सिक्कों से भरा एक घड़ा मिला है यह सब देखकर उनके मन में भी लालच आ गया और अपने भाई  सलीम से अपना अपना हिस्सा मांगने लगे । जिस कारण से सलीम का अपने भाईयों से झगड़ा होने लगा। जिसके कारण  गांव वालों को भी पता चल गया कि सलीम को खजाना मिला है । अतः गांव वालों ने यह बात जाकर पुलिस थाने में बता दीं । तभी जाकर  चांदी के सिक्के मिलने का राज खुला । अन्यथा किसी को पता ही नहीं चलता कि खेतों के समतलीकरण के दौरान  सलीम मियां को  खजाने के रूप में  चांदी के सिक्कों से भरा  घड़ा मिला है।









दोस्तों चांदी के सिक्कों के मिलने  का राज खुलने के बाद  पुलिस के दबाव में आकर सलीम मियां ने  102 सिक्के  पांकी थाना के हबाले कर दिया  और शेष  सिक्के किसके पास है  इसकी छानबीन  पुलिस वाले कर रहे हैं ।







 दोस्तों स्थानीय ग्रामीणों से  बातचीत करने पर पता चला कि  नवडीहा गांव के खेतों में इससे पहले भी  खेतों में हल जोतने के दौरान  चांदी के सिक्के मिले थे  जिसे गांव वालों ने पास रख लिया था।










दोस्तों  पलामू जिले के हीं हैदरनगर प्रखंड में स्थित सोन नदी के किनारे  स्थित कबरा क़िले में बौद्ध कालीन  सिक्के आदि मिलें थे । साथ ही साथ दोस्तों  पुरातत्व विभाग द्वारा संबंधित स्थलों की खोदाई में भी प्राचीन काल के बर्तन आदि भी मिलें हैं।  










 दोस्तों आपको पता होना चाहिए कि प्राचीन काल काल की मिलीं वस्तुएं अंतरराष्ट्रीय बाजार में किमती होती है ।









              धन्यवाद दोस्तों
             माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗

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             English translate
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 Hello friends, I am a mountain lepard Mahendra. A hearty greeting to all of you, friends. Today I am going to visit Nawadiha village, located in the Panki police station area of ​​Palamu district, Jharkhand, where there are ancient silver coins of the 11th century.










 Friends, 200 coins of silver have been found from a farm situated at the foothills of "Bhalhi Pahad," in Navadiha village of Panki police station in Palamu district of Jharkhand.  Friends, some of these coins have Arabic and Persian words written on it, which proves that these silver coins are the prevalent coins of medieval India which were made by the rulers of that time.











 Friends, you will be surprised to know that the JCB machine was doing the work of leveling the fields of "Bachchan Baitha", living in the village of Navadiha, while the metal pot which had been buried in the ground for centuries suddenly came out during the excavation, but  Incidentally, due to being wrapped in mud, the villagers did not notice it.  Friends meanwhile, due to the rain, the soil on the pitcher was washed away and the carved pitcher was clearly visible, on which Zaheer Mian's son Salim Mian of this village got the eye.  And he took the carved pitcher to his house, hiding it most.  Going to friends home, he scattered the coins on the ground for the purpose of counting the coins, which his other brothers also saw and they also came to know that Salim had found a pot full of silver coins and seeing this, he also had greed in his mind.  Arrived and started asking for his share from his brother Salim.  Due to which Salim started to quarrel with his brothers.  Due to which the villagers also came to know that Salim has got the treasure.  So the villagers went and told this in the police station.  Only then the secret of getting silver coins was revealed.  Otherwise no one knows that during the leveling of fields, Salim Mian has found a pot full of silver coins as a treasure.










 After the secret of silver coins, Salim Mian, under the pressure of the police, handed over 102 coins to the Panki police station and the police are investigating the remaining coins.








 Friends, after talking to the local villagers, it was found that earlier in the fields of Navdiha village, silver coins were found during plowing in the fields, which were kept by the villagers.











 Friends, Buddhist period coins were found in the Kabra Fort situated on the banks of the Son River, in the Haidernagar block of Palamu district.  At the same time, antiquity vessels are also found in the excavation of related sites by friends archeology department.










 Friends, you should know that antiquities found in the ancient market are valued in the international market.










 Thanks guys

 Mountain Leopard Mahendra 


                            🧗🧗









Thursday, February 25, 2021

एक यात्रा बटेश्वर मंदिर समूहों के खंडहरों की - मुरैना मध्यप्रदेश भारत वर्ष A visit to the ruins of Bateshwar temple groups - Morena Madhya Pradesh India .

Ek yatra khajane ki khoje














                        बटेश्वर मंदिर समूहों के खंडहर
  

                 

             Ruins of Bateshwar temple clusters











   
      नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं दोस्तों आज मैं आप सभी को लेकर चल रहा हूं। मुरैना, मध्यप्रदेश की यात्रा पर जहां हम देखेंगे बटेश्वर मंदिर समूहों के खंडहरों को ।





         बटेश्वर मंदिर समूहों के खंडहर 

                      मुरैना
 
                   मध्य प्रदेश


                    भारत वर्ष

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 नमस्कार दोस्तों अपने समय कितने भव्य रहे होंगे बटेश्वर मंदिरों का समूह। दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि  बटेश्वर मंदिर लगभग 200 मंदिरों का एक समूह है जो बलुआ पत्थरों से निर्मित था। जो गुप्त कालीन उत्तर भारतीय मंदिर वास्तुकला के गुर्जर - प्रतिहार शैली में बना हुआ था। दोस्तों यह मंदिर समूह  ग्वालियर के उत्तर में लगभग 35 किलोमीटर  दूर स्थित है और मुरैना शहर से लगभग 30 किलोमीटर पूर्व में स्थित है। दोस्तों मंदिर ज्यादातर छोटे हैं और लगभग 25 एकड़ में फैले हुए हैं दोस्तों ये मंदिर भगवान शिव , भगवान विष्णु , एवं देवी देवताओं को समर्पित है।













दोस्तों बटेश्वर मंदिरों के समूहों को 8 वीं और 10 वीं शताब्दी के मध्य बनाया गया था । इन  मंदिरों के समूहों को स्थानिय लोग  बटेश्वर मंदिर स्थल या बटेसरा मंदिर स्थल भी कहते हैं । दोस्तों  भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा लगभग 50-60 मंदिरों का जीर्णोद्धार किया जा चुका है एवं इस स्थल पर मौजूद अन्य मंदिरों का जीर्णोद्धार का कार्य प्रगति पर है। 










दोस्तों भारत के सबसे प्रसिद्ध पुरातत्वविद  डॉक्टर के के मुहम्मद के के नेतृत्व में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग वालों ने इन मंदिरों के जीर्णोद्धार में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। दोस्तों आश्चर्य करने वाली यह बात है कि मंदिर परिसर को पुनर्स्थापित करने की इस परियोजना में अपने समय के मशहूर डकैत निर्भय  गुर्जर और उनके  साथियों ने भी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग वालों की काफी मदद की थी। 



















दोस्तों मध्य प्रदेश पुरातत्व विभाग के अनुसार 200 मंदिरों का यह समूह गुर्जर - प्रतिहार वंश के शासनकाल के दौरान बनाया गया था दोस्तों "माइकल मिस्टर" एक कला इतिहासकार और भारतीय मंदिर  वास्तुकला में विशेषज्ञता रखने वाले एक प्रोफ़ेसर के अनुसार ग्वालियर के पास बटेश्वर समूहों में सबसे प्राचीन  मंदिर 800 C.E  के अवधि के हैं।













दोस्तों 13 वी शताब्दी के बाद सम्भवतः अत्याचारी मुस्लिम आक्रमणकारियो  द्वारा ध्वस्त या तोड़ दिया गया था। दोस्तों बटेश्वर मंदिर समूहों को पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा 1920 ई. में एक संरक्षित स्थल के रूप में अधिसूचित किया गया था। दोस्तों माना जाता है कि सीमित वसूली , मानकीकृत मंदिर नंबरिंग  एवं फोटोग्राफी के साथ यहां मौजूद खंडहरों को औपनिवेशिक ब्रिटिश काल के हीं दौरान साईट संरक्षण का कार्य शुरू कर दिया गया था। दोस्तों कई विद्वानों ने बटेश्वर मंदिर समूहों के खंडहरों का  अध्ययन किया और अपनी रिपोर्ट में शामिल किया था।


















दोस्तों माना जाता है कि फ्रांसीसी पुरातत्वविद "ओडेट विन्नोट " ने 1968 में एक पत्र  प्रकाशित किया था जिसमें बटेश्वर मंदिर समूहों के खंडहरों के तस्वीरों को शामिल किया था।
दोस्तों भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग भोपाल के अधीक्षक पुरातत्वविद के के मुहम्मद के नेतृत्व में एक प्रयोग के तहत 2005 ई. मे  भारतीय पुरातत्व विभाग ने यहां मौजूद मंदिर के खंडहरों को एक जगह इकट्ठा करने और यथासंभव कई मंदिरों को पुनः निर्मित करने या बहाल करने के लिए एक महात्वाकांक्षी परियोजना की शुरुआत की थी। अंततः दोस्तों इसी परियोजना का परिणाम था कि पुरातत्वविद डॉक्टर के के मुहम्मद के नेतृत्व में कुल 50 से 60  मंदिरों का जीर्णोद्धार किया गया था। 










दोस्तों प्रसिद्ध इतिहासकारों एवं पुरातत्त्वविदों के अनुसार बटेश्वर मंदिर समूहों का निर्माण संस्कृत में लिखित प्रसिद्ध हिंदू मंदिर ग्रंथों में वर्णित वास्तुशिल्प सिद्धांतों पर किया गया था। दोस्तों ये दोनों भारतीय ग्रंथ थे ,  "मानसारा शिल्प शास्त्र" जिसे चौथी शताब्दी में लिखा गया था , और दुसरा था   "मायामाता वास्तु शास्त्र" इसे सातवीं शताब्दी में लिखा गया था।  दोस्तों पुरातत्व विभाग वालों ने इन्हीं ग्रंथों का अनुसरण किया और उनकी 60-70 से अधिक कार्यकर्ताओं के समूह ने इस स्थल से मंदिर के खंडहरों से मंदिरों के टुकड़े एकत्रित किए और एक पहेली की तरह इसे वापस एक साथ रखने की कोशिश की थी , और वे सभी  लगभग 50 से 60 मंदिरों को पुनः स्थापित भी कर दिये थे।


















 दोस्तों इस स्थल का उल्लेख ऐतिहासिक साहित्यों में " धरोन " या " परावली " एवं बाद के समय में " पदावली " के रूप में मिलता है।




             धन्यवाद दोस्तों

           माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗

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              English translate
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Hearty greetings to all people, friends, today I am walking with you all.  On a trip to Morena, Madhya Pradesh, where we will see the ruins of the Bateshwar temple groups.














 Ruins of Bateshwar temple clusters


 Morena



 Madhya Pradesh



 India year


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 Namaskar Friends, what a grand group of temples Bateshwar must have been during his time.  Friends, you will be surprised to know that Bateshwar Temple is a group of about 200 temples which were built of sandstone.  The Gupta carpet was built in the Gurjara-Pratihara style of North Indian temple architecture.  Friends This temple group is located about 35 kilometers north of Gwalior and about 30 kilometers east of Morena city.  Friends temple is mostly small and is spread over 25 acres. Friends, this temple is dedicated to Lord Shiva, Lord Vishnu and Gods and Goddesses.



















 Groups of friends Bateshwar temples were built between the 8th and 10th centuries.  Local groups of these temples are also called Bateshwar temple site or Batesara temple site.  Friends, about 50-60 temples have been renovated by the Archaeological Survey of India and renovation work of other temples at this site is in progress.














 Friends, the Archaeological Survey of India, under the leadership of Dr. KK Muhammad, one of the most famous archaeologist of India, has contributed significantly to the restoration of these temples.  It is surprising to friends that Nirbhay Gurjar, a famous dacoit of his time, and his colleagues also helped the Archaeological Survey of India in this project to restore the temple complex.





















 According to the Friends Madhya Pradesh Archaeological Department, this group of 200 temples was built during the reign of the Gurjara-Pratihara dynasty. Friends "Michael Mister" is an art historian and a professor specializing in Indian temple architecture.  The ancient temples date back to 800 CE.
















 Friends were destroyed or disbanded after the 13th century, possibly by tyrannical Muslim invaders.  Friends Bateshwar temple groups were notified as a protected site in 1920 AD by the Archaeological Survey Department.  Friends, it is believed that with limited collection, standardized temple numbering and photography, the site of the ruins here was started during the colonial British period.  Friends, many scholars studied the ruins of the Bateshwar temple groups and included them in their reports.























 Friends, the French archaeologist "Odette Vinnotte" is believed to have published a letter in 1968 that included photographs of the ruins of the Bateshwar temple groups.

 Friends, under an experiment led by Archaeologist KK Muhammad, Superintendent of Archaeological Survey of India, Bhopal, in 2005 AD, the Archaeological Department of India collected a place to collect the ruins of the temple here and rebuild or restore as many temples as possible  Started an ambitious project.  Ultimately, the result of the same project was that 50 to 60 temples were renovated under the leadership of archaeologist Dr. KK Muhammad.















 According to friends famous historians and archaeologists, the Bateshwar temple groups were built on the architectural principles described in the famous Hindu temple texts written in Sanskrit.  Friends, both of these were Indian texts, "Mansara Shilpa Shastra" which was written in the fourth century, and another was "Mayamata Vastu Shastra" it was written in the seventh century.  The Friends of the Archeology Department followed these same texts and their group of more than 60-70 activists collected pieces of temples from the ruins of the temple from this site and tried to put it back together like a puzzle, and they  All around 50 to 60 temples were also restored.



























 Friends, this place is mentioned in historical literature as "Dharon" or "Paravali" and in later times as "Padavali".





 Thanks guys


 Mountain Leopard Mahendra 🧗🧗














































    Mountain lappord Mahendra























Ek yatra khajane ki khoje me

एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग

          ( एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग )                          www.AdventurSport.com सभी फोटो झारखणड़ के...