Thursday, November 12, 2020

झारखंड- कसपुर को कहते हैं शिव की नगरी , यहां पर खेत - खलिहानों में में भी मिलते हैं शिवलिंग (झारखंड भारत)। Jharkhand- Kaspur is called the city of Shiva, Shivaling is also found in the fields and barns (Jharkhand India).

Ek yatra khajane ki khoj me

नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं दोस्तों आज की यात्रा पर मैं आपको लेकर चल रहा हूं। झारखंड के कसपुर इलाके की यात्रा पर जहां कण कण में भगवान शिव शंकर भोलेनाथ 🙏🙏 विराजमान हैं।
 


             

Jharkhand: कसपुर को कहते हैं शिव की नगरी, यहां खेत-खलिहानों में भी मिलते हैं शिवलिंग

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      लोहरदगा, । झारखंड जंगलों और पहाड़ों का राज्य है। प्रारंभिक समय से ही यह तपोभूमि रही है। साधु-संतों ने इस क्षेत्र को तपस्या के लिए चुना है। इस क्षेत्र में शिव और शक्ति की अराधना के प्रमाण मिलते रहे हैं। दक्षिणी छोटानागपुर क्षेत्र के लोहरदगा में शिव साधना के कई ऐतिहासिक प्रमाण मिलते रहे हैं। मुंडा, खेरवार जैसी जातियां शिव की साधक रही है।

यही कारण है कि इस क्षेत्र में शिव साधना यहां की पहचान रही है। शिव साधना के प्रमाण का आलम यह रहा है कि यहां शिवलिंग सिर्फ मंदिरों में नहीं, बल्कि खेत और खलिहान में भी मिलते रहे हैं। इतिहास के जानकार बताते हैं कि इस क्षेत्र में पाए जाने वाले शिवलिंग छठी शताब्दी से लेकर 14 शताब्दी तक के रहे हैं। लोहरदगा जिले के भंडरा, कुडू, लोहरदगा, सेन्हा, किस्को आदि क्षेत्र में कई ऐतिहासिक शिव साधना स्थल 


लोहरदगा के सदर प्रखंड के खखपरता, भंडरा के अखिलेश्वर धाम, कसपुर, बेलडिप्पा, कारुमठ व भंडरा लाल बहादुर शास्त्री परिसर, सेन्हा के महादेव मंडा, कुडू के महादेव मंडा, किस्को के कई स्थानों में शिवलिंग बिखरे पड़े हैं।

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कण-कण में भगवान

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लोहरदगा जिले के भंडरा प्रखंड के कसपुर गांव में खेत खलिहान, पहाड़ों में शिवलिंग मिल जाते हैं। इस क्षेत्र को शिव की नगरी कहा जाता है। जाने कब कहां से शिवलिंग मिल जाए, यह कोई नहीं जानता। सदियों से यहां शिव की पूजा होती आई है। लोगों का मानना है कि कण-कण में यहां शिव का वास है। इस क्षेत्र को लोग शिव की नगरी कहते हैं। यह कभी शिव साधकों की प्रमुख स्थली रही होगी। आज भी यहां पर शिव नाम का ही जाप होता है। भंडरा गांव के कसपुर, भंडरा के खेत, खलिहान और पहाड़ों में भी शिवलिंग बिखरे पड़े हैं।

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क्या है ऐतिहासिक महत्व

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इतिहास के जानकार, खोजकर्ता और चतरा महाविद्यालय चतरा के सेवानिवृत प्राचार्य डा. इफ्तिखार आलम कहते हैं कि यह क्षेत्र शिव और शक्ति साधना का केंद्र रहा है। यहां प्राचीन काल से ही शिव की आराधना होती आई है। क्षेत्र भगवान हनुमान का ननिहाल भी है। यहां पाए जाने वाले शिवलिंग छठी और सातवीं शताब्दी के हैं। यहां का वातावरण साधना के लिए बहुत ही अनुकूल था

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      यही कारण था कि यहां पर शिव की साधना के प्रमाण हर स्थान पर मिलते हैं। इतिहास के जानकारों का कहना है कि लोहरदगा जिले के भंडरा प्रखंड में भगवान राम की माता कौशल्या के राज्य की राजधानी थी। भंडरा के कसपुर गांव में आज भी पुराने जमाने के किले के अवशेष व खेतों की जुताई में पुराने जमाने के सिक्के व बर्तनों के अवशेष मिलते हैं।

कसपुर गांव में भगवान शिव के साथ-साथ भगवान विष्णु के हिरण्यकश्यप अवतार की पत्थर में उकेरी प्रतिमा देखने को मिलती है। इसके साथ ही भंडरा के ऐतिहासिक अखिलेश्वर धाम का तीन फीट व नीले रंग के शिवलिंग शेष स्थानों पाए जाने वाले शिवलिंग से अलग है।

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English translate


Hello friends, I am a mountain lepard Mahendra, a warm welcome to all of you guys, today I am taking you on my journey.  On a visit to the Kaspur area of ​​Jharkhand, where Lord Shiva Shankar Bholenath is ensconced in the particle.


   









 Jharkhand: Kaspur is called the city of Shiva, Shivling is also found in fields and barns.


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 Lohardaga,  Jharkhand is a state of forests and mountains.  It has been Tapobhumi since the early times.  The sages and saints have chosen this region for penance.  Evidence of worship of Shiva and Shakti has been found in this area.  Many historical evidences of Shiva cultivation have been found in Lohardaga in the southern Chotanagpur region.  Castes like Munda and Kherwar have been the seekers of Shiva.


 This is the reason that Shiva Sadhana is being identified here in this region.  The proof of Shiva practice has been that the Shivling here is not only found in temples, but also in the fields and barns.  History experts say that the Shivalinga found in this area dates from the 6th century to the 14th century.  Many historical Shiva cultivation sites in Bhandra, Kudu, Lohardaga, Senha, Kisco etc. in Lohardaga district



 Shivalingas are scattered in many places of Khakhaprata of Sadar block of Lohardaga, Akhileshwar Dham of Bhandra, Kaspur, Beldippa, Karumath and Bhandra Lal Bahadur Shastri complex, Mahadev Manda of Senha, Mahadev Manda of Kudu, Kisko.


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 God in particles


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 In the village of Kaspur in Bhandra block of Lohardaga district, the farm barn, the Shivling are found in the mountains.  This region is called the city of Shiva.  No one knows when to get Shivling from where.  Shiva has been worshiped here for centuries.  People believe that Shiva resides here in every particle.  This area is called the city of Shiva.  It must have once been the main site of Shiva seekers.  Even today the name of Shiva is chanted here.  Shivalingas are scattered in Kaspur, Bhandra fields, barns and mountains of Bhandra village.


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 What is historical importance


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 Dr. Iftikhar Alam, a historian, explorer and retired Principal of Chatra College, Chatra, says that this region has been the center of Shiva and Shakti Sadhana.  Lord Shiva has been worshiped here since ancient times.  The area is also the grand nephew of Lord Hanuman.  The Shivalinga found here dates to the sixth and seventh centuries.  The atmosphere here was very favorable for cultivation


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 This was the reason that here the evidence of Shiva's practice is found everywhere.  History experts say that Bhandra block of Lohardaga district was the capital of the kingdom of Kaushalya, mother of Lord Rama.  In Kaspur village of Bhandra, the remains of the old fort and the remains of old coins and utensils are still found in the plowing of fields.


 The stone sculpture of Hiranyakashyap incarnation of Lord Vishnu along with Lord Shiva is seen in Kaspur village.  Along with this, the three feet and blue Shivling of the historic Akhileshwar Dham of Bhandra is different from the Shivling found in the remaining places.


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Thank you friends
Mountain lappord Mahendra






   





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