एक यात्रा
माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग
खजाने की खोज में
झारखणड़ के पहाड़ की तराई में स्थित जंगलों में
अपने दोस्तों के साथ ।
हमारी अभियान एक यात्रा खजाने की खोज में,
झारखणड़ के एशिया की सबसे घना जंगल सारणडा के जगंलो से शुरू होकर बिहार के राजगीर और पं चंपारण के तराई बाले इलाकों से होते हुए पुरे भारत वर्ष में जारी रखना है जबतक कि खजाना न मिल जाए ।
(एक यात्रा खजाने की खोज में के दौरान अपने दोस्तों के साथ)
यात्रा की शुरुआत हम लोग झारखणड़ की राजधानी रांची के सीता फाॅल जो की घने जंगलों में स्थित एक पर्यटन स्थल है से की थी ।
(रात में भोजन की तैयारी कर ते हुए )
हमारा लक्ष्य था झारखणड़ के ज्यादा से ज्यादा पर्यटन स्थलों की खोज करना और साथ ही साथ उन छुपे हुए खजानो को भी ढूंडना जिसे हमारे पूर्वजों ने छुपा के रखा था । पहाड़ के कंदराओं गुफाओं एवं प्राचीन महलों ,मंदिरों में ।
(प्राचीन मौर्य कालीन आरोग्यशाला का भग्नावशेष )
सीता फाॅल राँची के बाद हम सीधे राजगीर निकलने बाले थे ।कयोंकि हमे पता चला कि वहां पर मौर्य साम्राज्य का बहुत बडा खजाना छुपा हुआ है जिसे सवर्ण भण्डार के नाम से जाना जाता है ।आप को पता होना चाहिए कि राजगीर मौर्य साम्राज्य की प्राचीन राजधानी हुआ करती थी इसलिए सम्भावान अधिक थी वहां पर मौर्य साम्राज्य की छुपी हुई खजाना होने की ।
(प्राचीन मौर्य कालीन महराज चन्द्रगुप्त मौर्य के महल की अवशेष )
उस दिन रात में ही हमलोग राजगीर के लिए निकल पड़े ।रास्ते में हमें गया और बौद्ध गया भी रुकना था
कयोंकि हमें वहां पर भगवान विष्णु के प्राचीन मंदिर विष्णुपद में भगवान के चरणों की दर्शन करना था एवं बौद्धगया में भगवान बुद्ध के भी दर्शन करने थे ।
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