Sunday, October 9, 2022

एक यात्रा 🇮🇳 - नैसर्गिक सौंदर्य , वास्तुकला व आस्था की विरासत है रोहतास गढ़ किला - बिहार भारतवर्षA Journey - Rohtas Garh Fort is a heritage of natural beauty, architecture and faith - Bihar India.

Ek yatra khajane ki khoje

   


     

















  दोस्तों बिहार के रोहतास जिले में कैमूर पहाड़ी पर बने क़िले में 83 दरवाजे , भव्य मंदिर , प्राचीन भवन  , और झरने व पानी के कुंड करते हैं आकर्षित दुर दुर से आने वाले पर्यटकों को।






  दोस्तों यदि आप नैसर्गिक सौंदर्य , ऊंची चट्टानो से गिरते झरने , आदिवासी संस्कृति और भारतवर्ष की उत्कृष्ट प्राचीन वास्तुकला एक साथ देखना चाहते हैं तो बिहार राज्य स्थित  रोहतास गढ़ किला से उपयुक्त और कोई स्थान हो ही नहीं सकता है।

🔶 पौराणिक दंतकथा  -   दोस्तों बिहार के रोहतास जिले की कैमूर पहाड़ी पर स्थित प्राचीन क़िले के बारे में पौराणिक मान्यता है कि त्रेता युग में राजा हरिश्चंद्र के पुत्र राजकुमार रोहिताश्व ने इसका निर्माण करवाया था। दोस्तों और आगे चलकर विभिन्न कालखंडों में में अलग अलग राजाओं ने इसका पुनरूद्धार और विस्तार किया। दोस्तों मान्यता है कि सातवीं सदी में बंगाल के शासक शशांक देव यहीं से अपना शासन चलाते थे।









🔶 कैमूर पहाड़ी पर मौजूद हैं आदिवासी संस्कृति की महत्वपूर्ण झलक  -  दोस्तों 12 वी से 13 वी सदी तक यह प्राचीन किला आदिवासी राजाओं जैसे कि खरवार , उरांव ,  व चेरो शासकों के अधीन रहा था । दोस्तों इस स्थान को आदिवासी समाज अपने पुर्वजों का उद्गम स्थल मानते हैं दोस्तों इसलिए यह स्थान आदिवासियों के लिए महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल की महत्ता रखता है। 
                  दोस्तों प्रत्येक वर्ष माघ त्रयोदशी से पूर्णिमा तक यहां तीर्थयात्रा महाउत्सव में देश भर के आदिवासियों का महाजुटान होता है। जिससे पुरे क़िले का वातावरण उत्सवप्रिय हों जाता है साथ ही किला परिसर में मौजूद करम वृक्ष के इर्द गिर्द पूजा पाठ व समूह नृत्य करते हैं आदिवासी समाज के लोग। दोस्तों राज्य सरकार ने पहली बार पांच मार्च 2022 को रोहतास गढ़ महाउत्सव का आयोजन किया था। 










🔶   परिसर की भव्यता काफी आकर्षित करती हैं  -  दोस्तों करीब 42 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले क़िले में 83 दरवाजे मौजूद हैं। दोस्तों प्रवेश द्वार पर निर्मित हाथी , दरवाजों के बुर्ज , दरवाजों पर बनी आकर्षक पेंटिंग काफी खूबसूरत है। दोस्तों यहां आज भी रंगमहल , शीशा महल  , पंचमहल , खूंटा महल , आईना महल , रानी का झरोखा , मानसिंह की कचहरी और फांसी घर मौजूद हैं। दोस्तों यह सब अकबर के समय में राजा मानसिंह ने बनवाया था। दोस्तों बंगाल - बिहार पर शासन के लिए मानसिंह ने इस जगह को प्रांतीय राजधानी बनाई थी। दोस्तों कुछ समय के लिए यह किला शेरशाह के आधिपत्य में रहा था।
   
       दोस्तों इस प्राचीन क़िले के परिसर में आपको गणेश मंदिर , रोहितेश्वर महादेव मंदिर , हाथी दरवाजा , हथिया पोल , आदि मौजूद हैं दोस्तों इनमें  महादेव मंदिर सबसे महत्वपूर्ण हैं दोस्तों इस मंदिर का निर्माण स्वयं राजा रोहिताश्व ने करवाया था। दोस्तों इसे चौरासन मंदिर के नाम से भी जाना जाता है दोस्तों यहां मौजूद मां पार्वती के मंदिर में 84 सीढ़ियों के बाद अलौकिक शिव लिंग विद्यमान हैं।












            तुतला भवानी जलप्रपात 









🔶 दोस्तों अगस्त से फरवरी तक का समय यहां यात्रा करने के लिए सबसे उपयुक्त है  -  दोस्तों रोहतास गढ़ किला आने का सबसे उपयुक्त समय अगस्त से फरवरी के बीच का है । दोस्तों इस समय उन्मुक्त विचरन करते पशु पक्षी व पहाड़ों के के बीच से बहते जलस्रोत , पहाड़ी पर स्थित महादेव खोह  , मांझर कुंड  एवं तुतला भवानी जलप्रपात व धुआं कुंड के मनोरम दृश्य बरबस आपको अपनी ओर आकर्षित कर लेंगी। दोस्तों पर्यटकों को ठहरने के लिए सासाराम और डेहरी ओन सोन में कई अच्छे होटल मौजूद हैं।









🔶 दोस्तों रेल , वायु व सड़क मार्ग से होकर आसानी से यहां पहुंचा जा सकता है  -  दोस्तों रोहतास जिले का मुख्यालय सासाराम हैं और ज़िले का दूसरा प्रमुख शहर डेहरी ओन सोन हैं। दोस्तों ये दोनों शहर NH -2   से जुड़े हुए हैं। दोस्तों सासाराम से रोहतास गढ़ की दुरी 65 किलोमीटर है और डेहरी ओन सोन से लगभग 60 किलोमीटर है। दोस्तों क़िले तक अपने वाहन से जाया जा सकता है साथ ही जीप व मिनी बसें भी चलती है जिससे आसानी से क़िले तक पहुंचा जा सकता है। दोस्तों दिल्ली - हावड़ा रेल खंड पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय गया रेलखंड के बीच सासाराम वह डेहरी ओन सोन स्टेशन मौजूद हैं। जहां प्रमुख ट्रेनें रुकतीं है। दोस्तों रोहतास गढ़ से नजदीकी एयरपोर्ट गया व पटना है । दोस्तों पटना एयरपोर्ट में प्रमुख शहरों से नियमित उड़ानें मौजूद हैं। दोस्तों गया के लिए कोलकाता व नई दिल्ली से प्रतिदिन विमान सेवा उपलब्ध है। दोस्तों पटना व गया से आप सीधे  डेहरी ओन सोन के रास्ते रोहतास गढ़ पहुंच सकते हैं । दोस्तों पटना से डेहरी ओन सोन 137 किलोमीटर व गया से 125 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है।

       धन्यवाद दोस्तों आज के लिए बस इतना ही।







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           English Translat
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Ek yatra khajane ki khoje





 Friends, in the fort built on Kaimur hill in Rohtas district of Bihar, 83 gates, grand temples, ancient buildings, and springs and water bodies attract tourists from far and wide.



 Friends, if you want to see natural beauty, waterfalls falling from high cliffs, tribal culture and excellent ancient architecture of India together, then there can be no other place suitable than Rohtas Garh Fort in Bihar state.











 🔶Mythological legend  - Friends, there is a mythological belief about the ancient fort situated on Kaimur hill of Rohtas district of Bihar that it was built by Prince Rohitashva, son of King Harishchandra in Treta Yuga.  Friends and later in different periods, different kings revived and expanded it.  Friends, it is believed that in the seventh century, Shashank Dev, the ruler of Bengal, used to rule from here.








 🔶Important glimpses of tribal culture are present on Kaimur hill  - Friends, from the 12th to the 13th century, this ancient fort was under tribal kings such as Kharwar, Oraon, and Chero rulers.  Friends, this place is considered by the tribal society to be the place of origin of their ancestors, so this place holds the importance of an important pilgrimage site for the tribals.

 Friends, every year from Magh Trayodashi to Purnima, there is a great gathering of tribals from all over the country in the pilgrimage festival here.  Due to which the atmosphere of the entire fort becomes festive, as well as the people of tribal society perform worship and group dance around the Karam tree present in the fort premises.  Friends, the state government had organized the Rohtas Garh Maha Utsav for the first time on March 5, 2022.









 🔶The grandeur of the complex attracts a lot  - Friends, there are 83 doors in the fort spread over an area of ​​42 square kilometers.  Friends, the elephants built at the entrance, the turrets of the doors, the attractive paintings made on the doors are quite beautiful.  Friends, even today Rangmahal, Sheesha Mahal, Panchmahal, Khunta Mahal, Mirror Mahal, Rani's Jharokha, Mansingh's court and hanging house are present here.  Friends, all this was built by Raja Mansingh during the time of Akbar.  Friends, Mansingh had made this place the provincial capital to rule over Bengal-Bihar.  Friends, for some time this fort was under the control of Sher Shah.



 Friends, in the premises of this ancient fort, you have Ganesh Temple, Rohiteshwar Mahadev Temple, Hathi Darwaza, Hathi Pol, etc. Friends, among these, Mahadev Temple is the most important, friends, this temple was built by King Rohitashva himself.  Friends, it is also known as Chaurasan Temple. Friends, there is a supernatural Shiva Linga after 84 steps in the temple of Mother Parvati present here.










 🔶Friends August to February is the best time to visit here   -Friends The best time to visit Rohtas Garh Fort is between August and February.  Friends, at this time the birds roaming freely and the water bodies flowing through the mountains, Mahadev Khoh on the hill, Manjhar Kund and Tutla Bhavani Falls and the panoramic view of the smoke pool will attract you towards them.  Friends, there are many good hotels in Sasaram and Dehri On Sone for tourists to stay.








 

🔶Friends can be easily reached here by rail, air and road - Friends, the headquarter of Rohtas district is Sasaram and the second major city of the district is Dehri On Sone.  Friends, both these cities are connected by NH -2 .  Friends, the distance of Rohtas Garh from Sasaram is 65 kms and from Dehri On Sone is about 60 kms.  Friends can reach the fort by their own vehicle, as well as jeeps and mini buses also run, which can easily reach the fort.  Friends, Sasaram and Dehri On Sone station is present between Pandit Deendayal Upadhyay Gaya railway section on Delhi-Howrah rail section.  Where major trains stop.  Friends, the nearest airport from Rohtas Garh is Gaya and Patna.  Friends Patna Airport has regular flights from major cities.  Friends, daily air service is available from Kolkata and New Delhi for Gaya.  Friends, from Patna and Gaya, you can directly reach Rohtas Garh via Dehri on Sone.  Friends, Dehri On Sone is located at a distance of 137 kms from Patna and 125 kms from Gaya.


 Thanks guys that's all for today.








 

 
           TUTALA BHAVANI                                 WATERFALL 


















Monday, September 26, 2022

एक यात्रा - दोस्तों ट्रेकिंग के रोमांच संग प्रभु गणेश के दर्शन का अद्भुत और अलौकिक अनुभव -बस्तर बैलाडीला पहाड़ी छत्तीसगढ़ भारतवर्षA journey - a wonderful and supernatural experience of seeing Lord Ganesha with friends trekking adventure - Bastar Bailadila hill Chhattisgarh Indiavarsh

Ek yatra khajane ki khoje

































  दोस्तों ट्रेकिंग के रोमांच संग प्रभु गणेश के दर्शन का अद्भुत अनुभव प्राप्त होता हैं दोस्तों बैलाडीला की पहाड़ी पर।

 अद्भुत अलौकिक प्राचीनतम छत्तीसगढ़ में बस्तर की बैलाडीला पहाड़ी पर विराजमान हैं ढोलकल गणेश भगवान







  दोस्तों आपको पता है यानी आपको मालूम ही होगा कि प्रथम पूजनीय भगवान गणेश की हजारों प्रतिमाएं देश के हर एक क्षेत्र में स्थापित है। लेकिन दोस्तों छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में 3385 फ़ीट ऊंचे ढोलकल पहाड़ी के शिखर पर स्थापित भगवान गणेश की विध्न विनाशक प्रतिमा मध्य भारत की एकमात्र भगवान गणेश की प्रतिमा है जो इतनी उंचाई पर विराजमान हैं। दोस्तों घने जंगल और ऊंची पहाड़ी पर ट्रैकिंग के अद्भुत रोमांच के बाद प्रभु गणेश के दर्शन का अद्भुत सुख मिलता है यहां।

             दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि दक्षिण बस्तर में मौजूद 14 पहाड़ियों में इस अद्भुत पहाड़ी की आकृति भगवान शिव के वाहन नंदी की पीठ जैसी है दोस्तों इसलिए यह क्षेत्र बैलाडीला कहलाता हैं।








🔶  पौराणिक दंतकथा  -  दोस्तों पुराणों में दर्ज हैं कि यहां मौजूद बैलाडीला पहाड़ी के नंदीराज शिखर पर भगवान शिव समाधी में लीन रहा करते थे । अतः एक दिन उन्होंने अपने पुत्र गणेश से कहा कि वे समाधी में जा रहे हैं अतः कोई विध्न या परेशान न करे। और भगवान शिव समाधी में लीन हो जाते हैं । और भगवान गणेश उनके सुरक्षा में लग जाते हैं।

        दोस्तों  कुछ समय बाद भगवान परशुराम वहां पहुंचते हैं अपने आराध्य भगवान शिव से मिलने की इच्छा लेकर और उस पर्वत शिखर की ओर बढ़ने लगते हैं जहां भगवान शिव समाधी में लीन थे ।यह सब देख कर भगवान गणेश उन्हें रोकने की कोशिश करते हैं और दोनों के बीच महासंग्राम शुरू हो जाता है जिससे क्रोध में आकर भगवान परशुराम ने अपने फरसे वार कर देते हैं जिससे भगवान गणेश का एक दांत कटकर पहाड़ी के नीचे गिर जाता है। दोस्तों इसी समय से भगवान गणेश एकदंत कहलाने लगे । और पहाड़ के नीचे का गांव फरसपाल कहलाया। 









         
🔶 माना जाता है कि नृपतिभूषण ने की थी स्थापित  -  दोस्तों छिंदक नागवंशीय नरेश नृपतिभूषण को वर्ष 1023 ईस्वी में ढोलकल शिखर पर बाल गणेश और भगवान परशुराम के मध्य हुएं युद्ध की घटना का पता चला तो उन्होंने शिखर पर भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित कर पौराणिक घटनाओं को चिरस्थाई करने की पहल की। दोस्तों भगवान गणेश की यह प्रतिमा दक्षिण भारतीय शैली में  , ललिता आसन मुद्रा में काली चट्टान पर उकेरी गई है। दोस्तों मूर्ति 36 इंच ऊंची और 19 चौड़ी है। 












🔶  दोस्तों असमाजिक तत्वों ने गणेश भगवान की मूर्ति को नीचे फेंक दिया था। -  दोस्तों 25 जनवरी 2017 को कुछ असमाजिक तत्वों ने गणेश भगवान की मूर्ति को तोड़ कर नीचे खाई में फेंक दिया था। तब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के टीम ने भगवान गणेश के प्रतिमा के सभी टुकड़ों को खोजा और जोड़कर पुनः उनके स्थान पर स्थापित किया। दोस्तों इस घटनाक्रम के बाद पर्यटकों और श्रद्धालुओं की संख्या कई गुना बढ़ गई।












🔶 दोस्तों 2012 इस तरह सामने आईं भगवान गणेश की प्रतिमा  -  दोस्तों जैसा कि आपको पता ही होगा कि भगवान गणेश की इस प्रतिमा का इतिहास काफी पुराना है लेकिन दोस्तों काफी लंबे कालखंड के लिए यह आंखों से ओझल सा हो गई थी।और काफी लंबे अरसे बाद सितंबर 2012 में  एक संवाददाता ने भगवान गणेश की प्रतिमा को फिर से देश दुनिया के सामने लें आए।  दोस्तों जब जानकारी मिली कि ढोलकल पहाड़ी के शिखर पर भगवान गणेश की प्राचीन मूर्ति है तो वे लोग इसकी खोज में निकल पड़े। दोस्तों जब वे सभी फरसपाल पहुंचे तो ग्रामीण हंसने लगे क्योंकि बरसात के मौसम में पहाड़ पर चढ़ना काफी कठिन होता है। फिर भी किसी तरह वे सभी शिखर पर पहुंचे तब दुनिया के सामने आई ढोलकल गणेश भगवान की जानकारी।













🔶 दोस्तों सूर्य मंदिर की चट्टान से होता है नंदराज का सुखद दर्शन  -  दोस्तों जैसे ही आप ढोलकल शिखर पर पहुंचेंगे , तो आपको दूर दूर तक हरियाली से ढंकी पहाड़ियां नज़र आएंगी। दोस्तों ढोलकल शिखर के बाईं ओर की चट्टान पर कभी सूर्य देव का मंदिर हुआ करता था। लेकिन कुछ असमाजिक तत्वों ने मंदिर को तोड़कर उसमें स्थापित भगवान सूर्य की मूर्ति को गायब कर दिया है लगभग 25 वर्षों से भगवान सूर्य की अष्टधातु की मूर्ति गायब है। दोस्तों इसी चट्टान के पीछे नन्दी जैसी आकृति वाली दुसरा शिखर हैं जिसे नन्दी राज कहते हैं। दोस्तों बैलाडीला क्षेत्र में रहने वाले लोग इसे नंद राज कहकर पूजा करते हैं दोस्तों इस शिखर पर पहुंचना काफी कठीन है इसलिए अधिकांश लोग सूर्यदेव मंदिर की चट्टान पर खड़े होकर नंदी महाराज की आराधना करते हैं।

  धन्यवाद दोस्तों आज के लिए बस इतना ही।









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             English Translat
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        Friends get a wonderful experience of seeing Lord Ganesha with the thrill of trekking, friends on the hill of Bailadila.










                      
  Wonderful supernatural being situated on the Bailadila hill of Bastar in the oldest Chhattisgarh, Lord Dholkal Ganesh



 
Friends, you know that means you must know that thousands of statues of the first revered Lord Ganesha are installed in every area of ​​the country.  But friends, the destroyer statue of Lord Ganesha, established on the summit of 3385 feet high Dholkal hill in Bastar district of Chhattisgarh, is the only idol of Lord Ganesha in central India who is seated at such a height.  Friends, after the wonderful adventure of trekking on the dense forest and high hill, one gets the wonderful pleasure of seeing Lord Ganesha here.


 Friends, you will be surprised to know that among the 14 hills present in South Bastar, the shape of this wonderful hill is like the back of Nandi, the vehicle of Lord Shiva, hence this area is called Bailadila.












🔶 
Mythical legend - Friends are recorded in the Puranas that Lord Shiva used to be absorbed in the samadhi on the Nandiraj peak of Bailadila hill present here.  So one day he told his son Ganesha that he was going to Samadhi, so no one should disturb or disturb him.  And Lord Shiva gets absorbed in Samadhi.  And Lord Ganesha gets involved in their protection.


 Friends, after some time Lord Parashuram reaches there with the desire to meet his beloved Lord Shiva and starts moving towards the mountain peak where Lord Shiva was absorbed in the samadhi. Lord Ganesha tries to stop him and both of them are seen.  In between, a great battle ensues, due to which Lord Parashurama, in anger, stabs his ax, cutting off a tooth of Lord Ganesha and falling down the hill.  Friends, from this time Lord Ganesha started being called Ekadanta.  And the village under the mountain was called Faraspal.













  🔶 It is believed that Nripatibhushan had established - Friends, Chhindak Nagvanshi Naresh Nripatibhushan came to know about the incident of war between Bal Ganesh and Lord Parashuram on the Dholkal peak in the year 1023 AD, then he installed the idol of Lord Ganesha on the summit and told the mythological events. Endeavoring initiative. Friends, this idol of Lord Ganesha is carved on a black rock in the South Indian style, in Lalita posture posture. Friends, the idol is 36 inches high and 19 wide.
 









🔶  Friends, anti-social elements had thrown down the idol of Lord Ganesha. Friends, on January 25, 2017, some anti-social elements broke the idol of Lord Ganesha and threw it into the ditch below. Then the team of Archaeological Survey of India found all the pieces of the idol of Lord Ganesha and re-installed them in their place. Friends, after this development, the number of tourists and devotees increased manifold.











🔶   Friends 2012, the statue of Lord Ganesha appeared in this way - Friends, as you must know that the history of this statue of Lord Ganesha is very old, but friends, it was lost from the eyes for a long period of time. And after a long time. In September 2012, a reporter brought the statue of Lord Ganesha again to the world. Friends, when they got information that there is an ancient idol of Lord Ganesha on the top of Dholkal hill, they set out in search of it. Friends, when they all reached Farspal, the villagers started laughing because it is very difficult to climb the mountain during the rainy season. Yet somehow they all reached the summit, then the information of Lord Dholkal Ganesh came in front of the world.













🔶   Friends, there is a pleasant sight of Nandraj from the rock of the Sun temple. Friends, there used to be a temple of Sun God on the rock on the left side of Dholkal peak. But some anti-social elements have vandalized the idol of Lord Surya installed in the temple and the Ashtadhatu idol of Lord Surya has been missing for almost 25 years. Friends, behind this rock there is another peak with a shape like Nandi, which is called Nandi Raj. Friends, people living in Bailadila area worship it as Nand Raj, friends, it is very difficult to reach this peak, so most of the people stand on the rock of Suryadev temple and worship Nandi Maharaj.



  Thanks guys that's all for today.





















































Friday, September 2, 2022

एक यात्रा - नर्मदा नदी घाटी के उस उस अनसुलझे रहस्य को जानने की ? क्या नर्मदा घाटी के मानवों के संपर्क में थे परग्रही यानी एलियन।A Journey - To know that unsolved mystery of Narmada river valley? Were the aliens in contact with the humans of the Narmada Valley?

Ek yatra khajane ki khoje

































   एक यात्रा  -  नर्मदा नदी घाटी के उस अनसुलझे रहस्य को जानने की  ?   क्या नर्मदा घाटी में एलियन यानी परग्रहियों का आना जाना था। क्या नर्मदा घाटी के मानवों के संपर्क में थे परग्रही यानी एलियन  ?










    नर्मदा घाटी के अनसुलझे रहस्य  ?

  नमस्कार दोस्तों हमारे यात्रा ब्लॉग में आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन है आइए दोस्तों चलते हैं रहस्यमई नर्मदा नदी घाटी की यात्रा पर।

        दोस्तों हमारे भारतवर्ष में मौजूद नर्मदा नदी घाटी के इतिहास को देखा जाए तो पुरातनकाल से लेकर आज तक रहस्यों से ही भरा रहा है। 
                             क्यों कि दोस्तों हम नर्मदा घाटी को जितना समझने की कोशिश करते हैं उससे ज्यादा नये नये परश्न मन में उभरने लगते हैं? और हम नर्मदा घाटी के अनन्त रहस्यों में खो जाते हैं।
         दोस्तों क्या आप को पता है जब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग वालों ने नर्मदा घाटी को खंगाला तो क्या मिला ? दोस्तों उन्हें गुफाओं में आदिमानवों द्वारा बनाए गए वे रहस्यमई शैलचित्र जिनमें दुसरे ग्रहों के मानव यानी एलियन मौजूद थे मिले। जो चीख चीख कर इशारा कर रहे थे कि नर्मदा के रहने वाले मानव जाति परग्रहियों के संपर्क में थे।

            दोस्तों अब सवाल उठता है कि क्या नर्मदा नदी घाटी ही मानव जाति का उत्पत्ति  स्थल रहा है? 

         दोस्तों सवाल इसलिए उठता है कि अलग अलग काल के क्यों मिल रहे है आदिमानवों द्वारा बनाए गए परग्रहियों के शैल चित्र ? 













🔶  दोस्तों क्या इस ब्रह्माण्ड में हमारे अलावा भी एलियन या परग्रही मौजूद हैं।


  आईए दोस्तों चलते हैं धरती के पुरातन इतिहास की ओर। 

  दोस्तों जैसा कि आपको पता ही होगा कि भारत ही नहीं बल्कि आदिमानवों द्वारा बनाए गए शैल चित्रों की अनेकों श्रृंखलाएं विश्व भर से प्राप्त हुई हैं। दोस्तों इन शैल चित्रों में  रंग और रंगों में उन्नति और उनका अधीक समय तक टिके रहने की प्रतिस्पर्धाएं हजारों वर्षों से शामिल रहीं हैं।

      दोस्तों जैसे जैसे मानवता का विकास हुआ वैसे वैसे मानवों द्वारा भी चित्रों को बनाने की कला और भी अधिक विकसित होती गई। और हम आधुनिक मानव भी शुरूआत से ही आदिमानवों द्वारा बनाए गए शैल चित्रों का अध्ययन करते रहे हैं।

      दोस्तों संसार में सबसे प्राचीन शैल चित्रों की  मौजूदगी पियोलेथिक युग की गुफा की दीवारों पर उत्कीर्ण हैं। दोस्तों इन गुफाओं की दीवारों पर आदिमानवों के हाथों की छापें और लहराती हुई अंगुलियों के शैल चित्र शोधकर्ताओं को अपनी ओर आकर्षित करती रही हैं। दोस्तों कालांतर में इन शैल चित्रों को गीली मिट्टी से दबा दिया गया था।












             दोस्तों आप देखोगे कि आरंभिक पाषाण युग के बने शैल चित्रों के रंग और रूप में सादगी और काफी समानताएं नज़र आतीं हैं। 
               दोस्तों आप देखोगे कि अधिकतर राॅक पेंटिंग्स में विभिन्न जानवरों की रूपरेखा मौजूद हैं दोस्तों इन शैल चित्रों में चमकीले लाल रंग , पिला रंग , गोल धब्बा से पुरी तरह रंगा हुआ है । दोस्तों आश्चर्य चकित कर देने वाला रहस्य यह हैं कि आज भी इन गुफाओं में आदिमानवों द्वारा जलाएं गये आग की  धुंआ की कालिख हजारों साल बीत जाने के बाद भी गुफा की दीवारों पर बरकरार हैं।
   
             दोस्तों सत्य यही है कि मानव विकास के आरंभिक दौर में आदिमानवों को चित्र कला के बारे में कुछ भी पता नहीं था। अतः वे अपने कालखंड में जो देखते थे उसे वे उसी रूप में बना देते थे । यानी जो घटनाएं उनके सामने घटती थी वे उन्हें गुफाओं में चित्रों के रूप में बना देते थे।

   दोस्तों अब सवाल उठता है कि आदिमानवों ने ऐसे चित्रों को क्यों बनाया जिनका संबंध उनके दैनिक जीवन से मेल नहीं खाता था ? 
                       क्योंकि दोस्तों ये वो विवादित चित्र है जो परग्रहियों यानी एलियन के है जिसमें UFO 👾  के चित्र भी शामिल हैं जिन्हें आज भी विश्व के अनेक क्षेत्रों में देखें जाने का दावा किया जाता रहा है। 

                    दोस्तों विकास के विभिन्न चरणों  में  पाएं गये शैल चित्रों को निर्धारित करके विशेषज्ञों ने शोधकर्ताओं ने देखा कि समय के साथ साथ शैल चित्रों में कैसे कैसे बदलाव आ गये । क्यों कि दोस्तों सरल द्विआयामी छवियों से शुरू होकर सूदूर अतीत के कलाकारों ने अपनी रचनाओं में और अधिक विवरणात्मक सुधार किया था एवं समय के साथ साथ उनके द्वारा छाया और मात्राएं जोड़कर उन्होंने अपने कौशल में काफी सुधार किया था।

  दोस्तों शोधकर्ताओं द्वारा गुफाओं के अध्ययन में आधुनिक स्कैनर का उपयोग उन सभी रहस्यों का उजागर कर दिया है। यानी दोस्तों आधुनिक यंत्रों द्वारा अतीत गहराइयों में जाने पर  शैल चित्रों से यहीं पता चलता है कि उन मानवों का संपर्क परग्रहियों यानी एलियनो से जरूर हुआ था।  












  
🔶 दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि संसार की सबसे प्राचीन गुफा चित्र  L- कैस्टिलो स्पेन में मौजूद हैं दोस्तों उस गुफा में आदिमानवों के हथेलियों की छापें और लहराती उंगलियों के निशान मौजूद हैं।

🔶 दोस्तों जैसा कि आपको मालूम ही होगा वैज्ञानिक शोधकार्य के लिए अब पारंपरिक C-14 की जगह अब यूरेनियम रेडियो धर्मी ने ले ली है जिससे कि अब और अधिक स्पष्ट जानकारी प्राप्त हो जाती हैं।
🔶 दोस्तों आपको जानकर हैरानी होगी कि स्पेन के L-  कैस्टिलो गुफाओं में जो शैल चित्र मौजूद हैं उनके बारे में माना जाता था कि आधुनिक मानव होमोसिपियन्स  ने बनाया था , लेकिन अब आधुनिक खोज के द्वारा यह पता चला है कि इन शैल चित्रों को निएंडरथल मानवों ने बनाया था।

    दोस्तों भारतवर्ष के छत्तीसगढ़ प्रदेश के कांकेर जिले के चश्मा क्षेत्र में 10000 वर्ष प्राचीन राॅक पेंटिंग्स मिलें हैं। दोस्तों साथ ही गोटिटोला और चंदेली गुफाओं और पहाड़ियों पर मौजूद शैल चित्रों में हैरान कर देने वाले एलियनो और उनके उड़नतश्तरीयां यानी UFO  के चित्र बनें हुए हैं। 













      दोस्तों छत्तीसगढ़ के पुरातत्व विभाग वाले  NASA  और ISRO की मदद ले रहे हैं ताकि यह पता चल सके कि क्या कभी आदिमानवों का टकराव एलियनो से हुआ था।   
          दोस्तों पुरातत्वविदों के अनुसार इस क्षेत्र में किसी समय परग्रहियों और धरती के आदिमानवों का आपस में मिलन जरुर हुआ होगा जिनकी गवाही आज ये राॅक पेंटिंग्स दें रही है। दोस्तों क्योंकि  मध्यपाषाण युगीन मानव  देखी गई  वस्तुओं और दैनिक जीवन के चित्रों को पत्थरों पर उकेर दिया करते थे। क्योंकि दोस्तों खाली समय में आदिमानव ऐसा किया करते थे शायद यही मानव विकास क्रम का हिस्सा रहा हों।

        दोस्तों राॅक पेंटिंग्स में UFO  ऐसे मानवों के चित्रों को उकेरना जिनके हाथों में यंत्र है और जो एस्ट्रोनॉट जैसे कवच धारण किए हुए हैं उनके सिर पर एंटेना है दोस्तों चित्रों को देखकर लगता नहीं है कि यह उन आदिमानवों के दैनिक जीवन की क्रिया कलापों का हिस्सा रहा होगा।

दोस्तों हजारों हजार साल बाद भी शैल चित्रों के रंगों में फीकापन नहीं आया है जो हैरान करने वाली बात है। 

🔶  दोस्तों नर्मदा घाटी क्षेत्र में एक बहुत ही पौराणिक और प्रसिद्ध कहानी प्रचलित हैं । दोस्तों इस क्षेत्र के निवासियों का धारणा है कि खुले आसमान से एक गोल चक्करी आतीं हैं और वह जमीन को नहीं छुता है क्योंकि एक बहुत तेज रोशनी उसको ऊपर उठाकर रखतीं हैं और उनमें से बड़ी बड़ी आंखों वाले और बड़े बड़े कान वाले लोग बाहर निकलते है और ये अद्भुत प्राणी पृथ्वी पर थोड़ी देर विचरण करने के बाद अपने गोल चक्करी में गायब हो जातें हैं। दोस्तों यह प्रचलित कहानी पीढ़ी दर पीढ़ी चलीं आ रही हैं।











🔶  दोस्तों आपको जानकारी के लिए बता दूं कि आज से 49000 हजार वर्ष पहले अफ्रीका में शिबुड़ की गुफा में दुध के साथ गेरूआ रंग मिलाकर पत्थरों पर चित्रकारी की जाती थी । 
              जबकि 250000 वर्ष पहले के शैल चित्रों में केवल गेरूआ रंग का उपयोग किया गया है यानी  लगभग 49000 हजार वर्ष पहले अफ्रीका में पशुपालन की शुरुआत हो चुकी थी। ये नये शोधों से पता चला है दोस्तों। 


🔶 दोस्तों कई बार एक ही चट्टानों पर शोधकर्ताओं को विभिन्न सहस्त्राब्दियों के बने शैल चित्रों का जमावड़ा मिला है जो अलग अलग कालों में बनाए गए थे। दोस्तों प्राचीन समय में एक ही प्रकृति और उससे संबंधित सार्वभौमिक ज्ञान सर्वत्र मौजूद था।

     दोस्तों विशेष रूप से ऐसे मानव  जिनके सर से प्रकाश का उत्सर्जन हों रहा है। दोस्तों इस प्रकार के शैल चित्रों की पहली छवियां माउंट हुआन  चीन में मिलीं थीं। दोस्तों इन शैल चित्रों की आयु 47000 हजार वर्ष है दोस्तों ये उन शैल चित्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं जो परग्रहियों से मानवों के संपर्क को दर्शाता है।















🔶 दोस्तों इसी प्रकार ब्राजील के सेरा द केपीहारा में इसी प्रकार के शैल चित्र पाएं गये है। इनकी आयु 20900 वर्ष पुरानी है दोस्तों ख़ास बात यह है कि इसी प्रकार के शैल चित्र भारत के छत्तीसगढ़ राज्य में भी पाएं गये है जिनकी आयु मात्र 10000 हजार वर्ष है इन शैल चित्रों में काफी समानताएं हैं। इसी प्रकार इटली के केमिनो घाटी क्षेत्र में भी शैल चित्र पाएं गये है।

🔶 दोस्तों इन शैल चित्रों में एक ऊंचे सिंहासन पर बैठे परग्रही एलियन कवच धारण किए हुए हाथों में एक उपकरण लिए हुए है। जो कि छड़ी नुमा हैं और दोस्तों उसके आसपास उसी जैसे और भी एलियन खड़े हैं और वो उनसे दूर बैठे मानवों को कुछ निर्देश दें रहा है। दोस्तों उनकी बैठक से कुछ ही दुरी पर गोल चक्करी नुमा तेज़ रोशनी वाली एक विशाल वस्तु मौजूद हैं जो जमीन को नहीं छू रहीं हैं दोस्तों यह शैल चित्र उज़्बेकिस्तान के नबोयी शहर से 18 किलोमीटर दूर पश्चिम में एक गुफा में मौजूद हैं।













🔶 दोस्तों ओगा रुस के कैव बेसवा नोसा में पेट्रग्लिस नामक एक प्रसिद्ध जगह है दोस्तों इसकी लंबाई ढ़ाई किलोमीटर है यह क्षेत्र ज़मीन को दो भागों में बांट रही हैं दोस्तों माना जाता है कि यहां पर कभी माना जाता है कि एलियनो का स्पेस सेंटर था जो अब बर्बाद हो चुकी है यहां पर अब केवल जमीन पर दरार रह गई हैं। दोस्तों इस दरार के एक किलोमीटर वर्ग क्षेत्र में किसी भी प्रकार का इलेक्ट्रॉनिक यंत्र काम करना बंद कर देता है । साथ ही दोस्तों सारे नेविगेशन सिस्टम बंद हो जातें हैं।

🔶 दोस्तों भारत के छत्तीसगढ़ राज्य के सिरपुर क्षेत्र में अमेरिका के वैज्ञानिकों का एक दल यहां शोध करने आईं हुईं थीं। दोस्तों भारत के जाने माने पुरातत्ववेत्ता पदमश्री डॉ अरुण शर्मा के नेतृत्व में इस दल ने  26000 हजार वर्ष पुरानी मिट्टी के खिलौने खोजें थे। आश्चर्य करने वाली बात यह थी दोस्तों ये खिलौने परग्रहियों और और उनके यानो के थे। दोस्तों जैसा कि यहां पर मौजूद शैल चित्रों में एलियनो और उनके UFO   दर्शाया गया है।

     दोस्तों इसी प्रकार रायसेन के पास मिले शैल चित्रों के आधार पर दावा किया गया है कि नर्मदा नदी घाटी में एलियनो का आवागमन हुआ करता था।

    दोस्तों इसलिए नर्मदा नदी घटी विश्व भर के वैज्ञानिकों को अपनी ओर आकर्षित करती रही हैं। क्योंकि यहां पर परग्रहियों से लेकर डायनासोर के अण्डे व विशालकाय कंकाल मिलते रहे हैं।









🔶 दोस्तों अब सवाल उठता है कि पाषाणयुगीन मानवों ने आख़िर 
 ऐसे  शैल चित्र क्यों बनाये थे ?

                  दोस्तों इस प्रकार के परग्रही प्राणियों के शैल चित्रों की एक श्रृंखला पुरे विश्व में मौजूद हैं जो 50000 साल से लेकर 10000 साल तक के हैं जिनका सीधा संबंध परग्रही एलियनो से हैं जिनका संपर्क आदिमानवों से हुआ था।

      दोस्तों रायसेन के फुलवारी घाटी , नर्मदा घाटी  , सोनभद्र इन सभी क्षेत्रों में वृहत पैमाने पर शैल चित्रों के मिलने का संभावना है। 










🔶 दोस्तों कुछ दशक पूर्व जियोलाजिस्ट  अरूण सोनकिया ने  नर्मदा घाटी के हथनानारा गांव से एक मानव कंकाल ख़ोज निकाला था । दोस्तों  C-14  के अनुसार यह कंकाल 3 लाख 50 हजार वर्ष पुराना था। दोस्तों इसी प्रकार भारतीय पुरातत्व विभाग और NASA  ने बस्तर जिले के एक गुफा में 10000 साल पुरानी शैल चित्र ख़ोज निकालें थे। और इनको पुख्ता सबूत माना गया था क्योंकि ये सभी UFO  और एलियन के सुस्पष्ट शैल चित्र थे। 

🔶 दोस्तों परग्रहियों के धरती पर स्पेस सेंटर और रूकने के जगह भी मौजूद थे कालान्तर में। जैसे कि आज वर्तमान समय में अजंता एलोरा मंदिर के नीचे अंडरग्राउंड गुफाओं में दिखता है। दोस्तों जिसकी कटिंग मानों किसी अदभुत और अलौकिक यंत्रों से की गई हों।











🔶 दोस्तों कैलाश मंदिर आपको आश्चर्यों से भर देगा क्योंकि दोस्तों मंदिर का निर्माण कार्य ऊपर से नीचे की ओर किया गया है लेकिन आश्चर्यचकित करने वाली बात यह है कि निर्माण कार्य के दौरान निकलने वालें वेस्ट मैटेरियल आखीरकार गये कहां ? दोस्तों सैकड़ों किलोमीटर दूर दूर तक वे नज़र नहीं आते हैं।

🔶 दोस्तों केरल के महाबलीपुरम के राजा  हुआ करतें थे। दोस्तों यहां उनके समय के अतिप्राचीन मंदिर है जिसका शिखर इस प्रकार बना हुआ है मानों वह कोई राकेट लांचर हों। दोस्तों इसे परफेक्स होल भी कहा जाता है।










       दोस्तों यह तय कर पाना मुश्किल हो रहा है कि क्या कभी इस धरती पर मानव जाति को बसाने और निर्माण कार्य सिखाने वाले लोग परग्रही एलियन थे। 


  दोस्तों मुझे महान् भौतिक वैज्ञानिक प्रोफेसर जॉन हाकिंस वह चेतावनी याद आ गई  जिसमें वह कह रहे थे कि पृथ्वी वासियों को ब्रह्माण्ड में नई जगह की तलाश शुरू कर देनी चाहिए क्योंकि अब एलियनो से हमारी मुलाकात साधारण या दोस्ताना नहीं होगी । और उनके आगे हमारी सारी टेक्नोलॉजी धरी की धरी रह जाएगी। 

     धन्यवाद दोस्तों आज के लिए बस इतना ही। 









 

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      English Translat   
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A Journey - To know that unsolved mystery of Narmada river valley?  Was there the arrival of aliens i.e. aliens in Narmada Valley?  Were the aliens in contact with the humans of the Narmada Valley?








 
  Unsolved Mysteries of Narmada Valley?



   Hello friends, a warm welcome to all of you in our travel blog, let's go on a journey to the mysterious Narmada river valley.


 Friends, if we look at the history of Narmada river valley present in our India, it has been full of mysteries from ancient times till today.









 Because friends, as much as we try to understand the Narmada valley, more new questions start emerging in our mind?  And we get lost in the eternal mysteries of the Narmada Valley.

 Friends, do you know what did the people of the Archaeological Survey of India find when they explored the Narmada Valley?  Friends, they found those mysterious rock paintings made by primitive humans in caves in which humans of other planets i.e. aliens were present.  Those who were screaming and indicating that the human race living in Narmada was in contact with the aliens.


 Friends, now the question arises whether the Narmada river valley has been the place of origin of mankind?


 Friends, the question arises because why are the rock paintings of aliens made by primitive humans from different periods? 










🔶  Friends, are there aliens or aliens in this universe other than us?


 Come friends, let's go to the ancient history of the earth.


 Friends, as you must be aware that not only India but many series of rock paintings made by primitive humans have been received from all over the world. Friends, in these rock paintings, competitions for the advancement of colors and colors and their longevity have been involved for thousands of years.









 Friends, as humanity developed, in the same way the art of making pictures by humans also developed more and more. And we modern humans have also been studying rock paintings made by primitive humans from the very beginning.


 Friends, the presence of the oldest rock paintings in the world are engraved on the cave walls of the Paleolithic era. Friends, the handprints of primitive humans on the walls of these caves and the rock paintings of waving fingers have been attracting researchers towards them. Friends, these rock paintings were later buried with wet soil.


 Friends, you will see that there are simplicity and many similarities in the color and form of rock paintings made of early stone age.

 Friends, you will see that most of the rock paintings have the outlines of various animals, friends, these rock paintings are completely colored with bright red color, yellow color, round spots. Friends, the surprising secret is that even today the soot of the smoke of the fire lit by the primitive humans in these caves remains intact on the walls of the cave even after thousands of years. 









Friends, the truth is that in the early stages of human development, primitive humans did not know anything about painting. Therefore, what they saw in their time period, they used to make it in that form. That is, the events that happened in front of them made them in the form of paintings in caves.


 Friends, now the question arises that why did the primitive humans make such pictures whose relation did not match with their daily life?

 Because friends, this is the disputed picture that belongs to the aliens, which also includes the pictures of UFO , which are claimed to be seen in many areas of the world even today.


 Friends, by determining the rock paintings found in different stages of development, the researchers saw how the rock paintings changed over time. Because friends, starting with simple two-dimensional images, artists of the distant past had made more descriptive improvements to their compositions, and over time they had greatly improved their skills by adding shadows and volumes to them.


 Friends, the use of modern scanners in the study of caves by researchers has exposed all those mysteries. That is, friends, on going into the depths of the past by modern instruments, it is revealed from the rock paintings here that those humans had definitely had contact with aliens ie aliens.


🔶  Friends, you will be surprised to know that the world's oldest cave paintings are present in L-Castillo Spain, friends, the impressions of the palms of primitive humans and wavy fingerprints are present in that cave.













🔶   Friends, as you must know, for scientific research, now the traditional C-14 has been replaced by Uranium Radio Righteous, so that now more clear information is obtained.

🔶  Friends, you will be surprised to know that the rock paintings present in the L-  Castillo Caves of Spain were believed to have been made by modern humans Homosippians, but now through modern discovery it has been found that these rock paintings were made by Neanderthal humans.  created.

      Friends, 10,000 years old rock paintings have been found in Chashma area of ​​Kanker district of Chhattisgarh state of India.  Friends, as well as the rock paintings on the Gotitola and Chandeli caves and hills, there are pictures of astonishing aliens and their flying saucers i.e. UFO's.










 Friends, the Archaeological Department of Chhattisgarh is taking the help of NASA and ISRO so that it can be found out whether there was ever a collision of primitive humans with aliens.

 Friends, according to archaeologists, there must have been a meeting of aliens and the primitive humans of the earth at some point in this area, whose testimony is being given by these rock paintings today.  Friends, because the Mesolithic people used to carve pictures of seen objects and daily life on stones.  Because friends, primitive humans used to do this in their spare time, perhaps this may have been a part of human evolution.


 Friends, in rock paintings, UFOs engraved pictures of such humans who have instruments in their hands and those who are wearing armor like astronauts, they have antennas on their heads.  Will happen.


 Friends, even after thousands of years, the colors of rock paintings have not faded, which is surprising.











    🔶   Friends, a very mythical and famous story is prevalent in the Narmada Valley region.  Friends, the residents of this area have a belief that a roundabout comes from the open sky and it does not touch the ground because a very strong light keeps it up and people with big eyes and big ears come out of them.  And these wonderful creatures, after wandering for a while on the earth, disappear in their circular motion.  Friends, this popular story is being passed down from generation to generation.

🔶     Friends, let me tell you for information that 49000 thousand years ago in Africa, painting was done on stones by mixing ocher color with milk in the cave of Shibud.

 Whereas only ocher color has been used in the rock paintings of 250000 years ago i.e. about 49000 thousand years ago animal husbandry had started in Africa. This new research has revealed, friends.









🔶     Friends, many times researchers have found a collection of rock paintings made of different millennia on the same rocks which were made in different periods. Friends, in ancient times only one nature and universal knowledge related to it was present everywhere.


 Friends, especially such human beings, whose head is emitting light. Friends, the first images of such rock paintings were found in Mount Huan, China. Friends, the age of these rock paintings is 47000 thousand years, friends, they represent those rock paintings which shows the contact of humans with aliens.


🔶   Friends, similar rock paintings have been found in Serra de Capihara, Brazil. Their age is 20900 years old, friends, the special thing is that similar rock paintings have also been found in Chhattisgarh state of India, whose age is only 10000 thousand years, there are many similarities in these rock paintings. Similarly, rock paintings have also been found in the Camino Valley region of Italy.











🔶   Friends, in these rock paintings, alien aliens sitting on a high throne are holding a tool in their hands wearing armor. Those who are like sticks and friends are standing around him like other aliens and he is giving some instructions to the humans sitting away from them. Friends, just a short distance from their meeting, there is a huge circular shaped object with bright light which is not touching the ground, friends, these rock paintings are present in a cave 18 km west of Naboyi city of Uzbekistan.


🔶   Friends, there is a famous place called Petraglis in Kav Besava Nosa of Oga Rus. Friends, its length is two and a half kilometers, this area is dividing the land into two parts. Friends, it is believed that here it is believed that there was a space center of Aliano which is now ruined. It is done, now only cracks are left on the ground. Friends, in one kilometer square area of ​​this crack, any type of electronic device stops working. Also friends, all the navigation systems are turned off.














🔶   Friends, a team of American scientists had come here to do research in Sirpur area of ​​Chhattisgarh state of India. Friends, under the leadership of India's famous archaeologist Padmashree Dr. Arun Sharma, this team had discovered 26000 thousand years old clay toys. The surprising thing was that these toys belonged to the aliens and their vehicles. Friends, as shown in the rock paintings here, aliens and their UFOs.


 Similarly, on the basis of rock paintings found near Raisen, it has been claimed that there used to be movement of aliens in the Narmada river valley.


 Friends, this is why the river Narmada has been attracting scientists from all over the world. Because from aliens to dinosaur eggs and giant skeletons have been found here.











🔶   Friends, now the question arises that stone age humans have finally

 Why were such rock paintings made?


 Friends, a series of rock paintings of these types of alien creatures are present all over the world, which are from 50000 years to 10000 years, which are directly related to alien aliens who had contact with primitive humans.


 Friends, there is a possibility of getting large scale rock paintings in the Phulwari valley, Narmada valley, Sonbhadra of Raisen in all these areas.











🔶   Friends, a few decades ago, the geologist, Arun Sonakia, had discovered a human skeleton from the village of Hathnara in the Narmada Valley.  According to friends, C-14, this skeleton was 3 lakh 50 thousand years old.  Friends, in the same way, the Archaeological Department of India and NASA had discovered 10000 years old rock paintings in a cave in Bastar district.  And these were considered strong evidence because they were all clear rock paintings of UFOs and aliens.

🔶   Friends, space centers and places of stay were also present on the earth of the aliens, over a period of time. As seen today in the underground caves below the Ajanta Ellora temple. Friends, whose cutting has been done as if with some amazing and supernatural instruments.











🔶  Friends, the Kailash temple will fill you with surprises because friends, the construction work of the temple has been done from top to bottom, but the surprising thing is that where did the waste material released during the construction work finally go? Friends, they are not visible even hundreds of kilometers away.

 🔶   Friends used to be the kings of Mahabalipuram in Kerala. Friends, here is the ancient temple of their time, whose peak is made in such a way that it is a rocket launcher. Guys it's perfect











  Friends, it is becoming difficult to decide whether the people who once settled the human race on this earth and taught construction work were alien aliens.

   Friends, I remembered the great physicist Professor John Hawking's warning in which he was saying that the people of the earth should start looking for a new place in the universe because now our meeting with aliens will not be normal or friendly. And in front of them all our technology will remain grounded.

    Thanks guys that's all for today.







































Ek yatra khajane ki khoje me

एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग

          ( एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग )                          www.AdventurSport.com सभी फोटो झारखणड़ के...