Tuesday, July 27, 2021

एक यात्रा अद्भुत और रमणीक सिद्धेश्वर धाम की जो अपने अनुपम सौंदर्य और मंदिर प्रांगण में मौजूद भारतवर्ष के चारों धामों का प्रतिनिधित्व करती मंदिर भक्तगणों का मन मोह लेती हैं- सिक्किम भारत A visit to the wonderful and delightful Siddheshwar Dham which captivates the temple devotees with its unique beauty and representation of the four Dhams of India present in the temple courtyard - Sikkim India.

Ek yatra khajane ki khoje


























  नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं। दोस्तों आज की यात्रा पर मैं आपको लेकर चल रहा हूं सिक्किम में स्थित सिद्धेश्वर धाम की जो चारों धामों का संगम है। दोस्तों सिद्धेश्वर धाम अपने अनुपम सौंदर्य के कारण श्रद्धालुगणों के बीच काफी लोग के लिए हैं। दोस्तों सिद्धेश्वर धाम सिक्किम के नामची बाजार से 5 किलोमीटर दूर सोलोफोक पहाड़ी पर स्थित है।दोस्तों यहां पर भगवान शंकर की 108 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित है दोस्तों सिद्धेश्वर धाम भारत के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है।






         सिद्धेश्वर धाम

           सिक्किम

            भारतवर्ष

 दोस्तों सिद्धेश्वर धाम जिसे सिक्किम में चार धाम मंदिर के रूप में जाना जाता है दोस्तों आश्चर्यजनक रूप से यह पवित्र स्थल भारतवर्ष के सभी धार्मिक और पवित्र स्थलों का संगम है।

        दोस्तों सिक्किम के एक छोटे से गांव "नामची" के बाहरी इलाके में एक असाधारण मंदिर मौजूद है जहां प्रत्येक दिन हजारों भक्तगण दर्शन करने आते हैं। दोस्तों इस पवित्र मंदिर को सिद्धेश्वर धाम या चार धाम इसके आध्यात्मिक महत्व के कारण कहा जाता है ।दोस्तों इस क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता आपकी मन को मोह लेगी , दोस्तों जैसे ही आप सोलोफोक पहाड़ की ऊंचाइयों पर पहुंचेंगे दूर से ही आपको भगवान शिव का सुंदर चेहरा नजर आने लगेगा और जैसे ही आप भगवान शिव के दरबार में पहुंचेंगे लगेगा आप जैसे शिव के स्वर्ग में आ गए हैं।













      (  लोकप्रिय किंवदंतियां  )

 दोस्तों स्थानीय कि किंवदंतियों के अनुसार माना जाता है कि प्रसिद्ध पौराणिक महाभारत के युद्ध से ठीक पहले अर्जुन ने इसी पहाड़ी पर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की थी। दोस्तों कहां जाता है कि भगवान शिव प्रसन्न होकर वे अर्जुन के सामने प्रकट हुए और वरदान में सबसे शातिर शत्रुओं का वध करने के लिए सर्वशक्तिमान "पाशुपत" अस्त्र प्रदान किया था।








     दोस्तों यह पूरा मंदिर परिसर सन 2011 में विधिवत प्राण प्रतिष्ठा हो जाने के बाद भक्तजनों के लिए खोल दिया गया था। दोस्तों माना जाता है कि भगवान शिव की महानता  का गुणगान करने के लिए ही मंदिरों के इन समूहों का भव्य निर्माण किया गया है।

           दोस्तों अद्भुत रूप से 108 फीट ऊंची शिव की प्रतिमा मानो ऐसा लगता है जैसे कंचनजंघा घाटी और सूदूरवर्ती हिमालय की घाटियों को अपनी छत्रछाया में लिए हुए हैं।
                  दोस्तों 12 प्रमुख शिव मंदिरों  या पवित्र ज्योतिर्लिंगों से घिरा आधुनिक जटिल कलाकृति और नक्काशी के साथ मथुरा स्कूल ऑफ आर्ट का परिसर शिव पुराण और अन्य शास्त्रों को  आधुनिक तरीके से चलचित्र के रूप में को प्रदर्शित करता है।दोस्तों अद्भुत रूप से यहां मौजूद प्रत्येक ज्योतिर्लिंग भारत के विभिन्न क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करती है।













        दोस्तों सिक्किम के स्थानीय लोग भगवान शिव के  "किरातेश्वर" अवतार की पूजा करते हैं जिनकी प्रतिमा आप मंदिर प्रांगण के प्रवेश द्वार पर देख सकते हैं दोस्तों यह अद्भुत प्रतिमा एक धनुष पकड़े हुए स्थानीय "नामची"  जनजातियों की आस्था का प्रतिनिधित्व करती है।
     दोस्तों मंदिर परिसर के केंद्र में माता गंगा और यमुना की सुंदर मूर्तियां स्थापित है।दोस्तों यह मंदिर परिसर हमारे भारतवर्ष के चारों धामों का प्रतिनिधित्व कर रही है।
















  दोस्तों आश्चर्यजनक रूप से मंदिर परिसर में उत्तराखंड की पवित्र बद्री नाथ मंदिर , द्वारका का सोमनाथ मंदिर जहां भगवान सोमनाथ अपने सामान्य मुद्रा में विराजमान है। दोस्तों उड़ीसा राज्य का प्रतिनिधित्व करते हुए जगन्नाथ पुरी के प्रभु जगन्नाथ , बलभद्र और उनकी बहन सुभद्रा  की प्रतिकृति मूर्तियां स्थापित है। दोस्तों तमिलनाडु राज्य का रामेश्वरम मंदिर जो भगवान राम की मूर्ति द्वारा सुशोभित है।







 दोस्तों ऐसा माना जाता है कि प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में पवित्र चार धाम और 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन हेतु यात्रा नहीं कर सकता ।इसलिए दोस्तों सिक्किम के सिद्धेश्वर धाम में चारों पवित्र धामों और पवित्र 12 ज्योतिर्लिंगों को एक ही स्थान पर प्राण- प्रतिष्ठित किया गया है। ताकि श्रद्धालु गण एक ही स्थान पर सभी पवित्र धामों का दर्शन कर सकें। दोस्तों पवित्र सिद्धेश्वर धाम मंदिर परिसर का वातावरण शांत व भक्ति पूर्ण है।
                     दोस्तों मंदिर परिसर में मौजूद सभी पवित्र मंदिरों के दर्शन में लगभग 2 घंटे का समय लगता है।







          धन्यवाद दोस्तों

 माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗

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      English translate
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 Hello friends, I am Mountain Leopard Mahendra, warm greetings to all of you.  Friends, on today's journey, I am taking you to Siddheshwar Dham situated in Sikkim which is the confluence of all the four Dhams.  Friends, Siddheshwar Dham is for many people among the devotees due to its unique beauty.  Friends Siddheshwar Dham is located on the Solofok hill, 5 km from Namchi Bazar of Sikkim. Friends, there is a 108 feet high statue of Lord Shankar installed here Friends Siddheshwar Dham is one of the major pilgrimage sites in India.






 Siddheshwar Dham


 Sikkim


 Bharatvarsh















 Friends Siddheshwar Dham which is known as Char Dham Temple in Sikkim Friends surprisingly this holy place is the confluence of all religious and holy places of India.







 Friends, there exists an extraordinary temple on the outskirts of a small village "Namchi" in Sikkim, where thousands of devotees come to visit every day.  Friends, this holy temple is called Siddheshwar Dham or Char Dham because of its spiritual importance. Friends, the natural beauty of this area will fascinate your mind, friends, as soon as you reach the heights of the Solofok mountain, you will see the beautiful face of Lord Shiva from afar.  It will be visible and as soon as you reach the court of Lord Shiva, you will feel like you have come to Shiva's heaven.












 (popular legends)


 According to local legends, it is believed that just before the famous mythological war of Mahabharata, Arjuna did severe penance on this hill to please Lord Shiva.  Where does friends go that Lord Shiva was pleased that he appeared in front of Arjuna and in a boon had provided the almighty "Pashupat" weapon to kill the most vicious enemies.







 Friends, this entire temple complex was opened to the devotees in the year 2011 after duly consecrated.  Friends, it is believed that these groups of temples have been built grandly to praise the greatness of Lord Shiva.






 Friends, the amazingly 108 feet high statue of Shiva seems as if the Kanchenjunga valley and the remote Himalayan valleys are covered under its shadow.

 Friends, the premises of Mathura School of Art with modern intricate artwork and carvings surrounded by 12 major Shiva temples or holy Jyotirlingas displays Shiva Purana and other scriptures in a modern way of motion picture. Friends, every Jyotirlinga present here is amazing in India.  represents different areas of












 Friends, the local people of Sikkim worship Lord Shiva's "Kirateshwar" incarnation whose statue you can see at the entrance of the temple courtyard. Friends, this wonderful statue represents the faith of the local "Namchi" tribes holding a bow.

 Friends, beautiful idols of Mother Ganga and Yamuna are installed in the center of the temple complex. Friends, this temple complex is representing the four Dhams of our India.










 Friends surprisingly, the holy Badri Nath temple of Uttarakhand in the temple complex, Somnath temple of Dwarka where Lord Somnath is seated in his normal posture.  Representing the Orissa state, replica idols of Lord Jagannath, Balabhadra and his sister Subhadra of Jagannath Puri are installed.  Friends, Rameshwaram temple of Tamil Nadu state which is adorned by the idol of Lord Rama.













 Friends, it is believed that not every person can travel to see the holy Char Dham and 12 Jyotirlingas in his life. Therefore friends, in Siddheshwar Dham of Sikkim, the four holy Dhams and the holy 12 Jyotirlingas have been consecrated at one place.  .  So that the devotees can have darshan of all the holy dhams at one place.  Friends, the atmosphere of the holy Siddheshwar Dham temple complex is calm and full of devotion.

 Friends, it takes about 2 hours to visit all the holy temples present in the temple premises.







 thanks guys


 Mountain Leopard Mahendra 🧗🧗
























 

       Mountain Leopard Mahendra 🧗🧗



















Wednesday, July 21, 2021

एक यात्रा प्रयागराज संगम तट पर मौजूद बड़े हनुमान जी मंदिर की जहां प्रत्येक वर्ष मां गंगा जलाभिषेक, करने आती है बरसात के मौसम में , अपने अद्भुत चमत्कारी शक्तियों के लिए जाने जाते हैं बड़े हनुमान जी - उत्तर प्रदेश प्रयागराज संगम तट भारत. A visit to the Bade Hanuman ji temple on the Sangam beach of Prayagraj, where every year Mother Ganga comes to perform Jalabhishek, during the rainy season, Bade Hanuman ji is known for his amazing miraculous powers - Uttar Pradesh Prayagraj Sangam Coast India.

Ek yatra khajane ki khoje
































  नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं दोस्तों आज की यात्रा पर आपको लेकर चल रहा हूं उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के संगम तट पर जहां हम दर्शन करेंगे अद्भुत और अलौकिक लेटी हुई अवस्था में मौजूद राम भक्त हनुमान  जी की मूर्ति से दोस्तों जिनके दर्शन मात्र से सारी कष्ट और बाधाएं दूर हो जाती है।


         बड़े हनुमान जी

      प्रयागराज, संगम तट, उत्तर                        प्रदेश

                 भारतवर्ष

   दोस्तों हनुमान जी की इस अद्भुत प्रतिमा के बारे में कहा जाता है कि सन् 1400 ईस्वी में जब भारत में औरंगजेब का शासन चल रहा था तब उसने हनुमान जी की प्रतिमा को हटाने की कोशिश की थी ,  दोस्तों कई दिनों तक प्रयास करने के बाद भी टस से मस न हो सकी थी। दोस्तों कहां जाता है कि औरंगज़ेब के  सैनिक गंभीर 
    बिमारी से ग्रस्त हो गये थे, अंततः औरंगजेब को  हनुमान जी की प्रतिमा को वहीं छोड़ कर जाना पड़ा था।

















   दोस्तों माना जाता है कि श्री लंका से अयोध्या वापस लौटने के समय भगवान श्री राम , माता सीता के साथ हनुमान जब संगम तट पर पहुंचे तो माता सीता ने हनुमान जी को यहां विश्राम करने को बोला था , दोस्तों तभी से यहां मौजूद मूर्ति विश्राम अवस्था में है।







 दोस्तों गंगा , यमुना और सरस्वती इन तीनों पवित्र नदियों के संगम तट पर बसा उत्तर प्रदेश का जिला इलाहाबाद वर्तमान में प्रयागराज के नाम से भी जाना जाता है ।दोस्तों श्रद्धा से भक्तगण इस पावन भूमि को तीर्थों का राजा प्रयागराज अर्थात तीर्थराज भी कहते हैं।

             क्योंकि दोस्तों यहीं पर प्रत्येक 12 वर्ष में पवित्र महाकुंभ मेला का आयोजन होता है ।इस दौरान भक्तगण खिचड़ी , मौनी अमावस्या , बसंत पंचमी आदि पावन तिथियों में भारी मात्रा में स्नान  करने दूर-दूर से आते हैं। दोस्तों इस पावन अवसर पर  विदेशों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण आते हैं।

          दोस्तों संगम के इसी पावन तट पर श्री राम भक्त हनुमान जी का एक प्राचीन मंदिर मौजूद है दोस्तों इस प्राचीन मंदिर की खास बात यह है कि यहां विराजमान हनुमान जी की प्रतिमा लेटी हुई अवस्था में है।

     दोस्तों 16 वी शताब्दी से ही बाघंबरी   गद्दी मठ की देखरेख में यह प्राचीन मंदिर है। दोस्तों प्रयाग के कोतवाल कहे जाने वाले लेटे हुए हनुमान जी  एवं दोस्तों बांध के नीचे स्थित होने की वजह से बंधवा वाले हनुमान जी के नाम से भी जाने जाते हैं। दोस्तों कहां जाता है कि इनके दर्शन के बिना किसी भी भक्त का संगम में स्नान करना सफल नहीं होता है।















 ➡️  दोस्तों बहुत सारी मान्यताएं हैं ।इस मंदिर को लेकर परंतु दोस्तों प्रत्येक मान्यता हिंदुओं के दिल में बंधवा वाले हनुमान जी के प्रति एक अटूट विश्वास पैदा करती है ।और दोस्तों राम भक्त हनुमान जी भी श्रद्धा भाव रखने वाले भक्तों को कभी निराश नहीं करते हैं  किसी न किसी रूप में उनकी रक्षा कोतवाल की तरह करते रहते हैं।






☀️ संगम तट पर मौजूद प्राचीन हनुमान मंदिर का इतिहास ☀️

 दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि भगवान श्री राम के परम भक्त भगवान शिव के रूद्र अवतार श्री हनुमान जी ने आशीर्वाद प्राप्त करने की भावना लेकर आने वाले श्रद्धालुओं को खुब आशीर्वाद दिया और कट्टरता के भाव लाने वालों को भी बखूबी ज्ञान दिया है।

          दोस्तों की किंवदंतियां है कि हिंदुओं के सबसे बड़े विरोधी और मुगल सल्तनत के सबसे क्रूर और अत्याचारी शासक औरंगजेब  जब भारतवर्ष के मंदिरों को विध्वंस करवा रहा था। तो उसने प्रयागराज के बड़े हनुमान जी के इस मंदिर को भी तोड़ने की सोची और अपने मजदूरों से मंदिर के अंदर मौजूद मूर्ति को बाहर निकाल कर फेंकने को बोला और मंदिर को नष्ट करने का आदेश दिया तो मजदूरों ने हनुमान जी की मूर्ति को उठाने की बेहद चेष्टा की किंतु हनुमान जी की मूर्ति टस से मस नहीं हुई बल्कि और चमत्कारी रूप से धरती के अंदर धंसती ही गई थी । भगवान के इस चमत्कार को देखकर   अत्याचारी औरंगजेब डर गया और हार मान कर इस प्राचीन मंदिर को वैसे ही छोड़ दिया था।







 दोस्तों एक किवदंती यह भी है कि प्राचीन काल में किसी समय हनुमान जी का एक परम भक्त व्यापारी हनुमान जी की इस बड़ी मूर्ति को लेकर जलमार्ग से अपने गांव जा रहा था लेकिन हनुमान जी की माया से संगम तट पर आते ही मूर्ति की वजह से नांव का वजन अत्यधिक बढ़ गया जिस वजह से नांव दो टुकड़ों में बट गया और हनुमान जी की मूर्ति नदी की   अथाह गहराइयों में  डूब गई।
                 दोस्तों कहा जाता है कि कई वर्षों पश्चात जब गंगा जी का जल स्तर कम हुआ तो यह अद्भुत मूर्ति प्रकट हुई, तो उस वक्त मुगल शासक अकबर ने इस भव्य मंदिर का निर्माण करवाया था ।दोस्तों ऐसी मान्यता है।

☀️  अद्भुत रूप से गंगा माता प्रत्येक वर्ष जलाभिषेक करती है इस पवित्र मूर्ति को ☀️

 दोस्तों इस प्राचीन मंदिर की देखरेख करने वाले "महंत" आनंद गिरी बताते हैं कि हनुमान जी की इस अनोखी मुद्रा वाले मंदिर को प्रत्येक वर्ष बरसात के दिनों में गंगा मैया मंदिर तक बढ़कर आती है और भोले नाथ के रूद्र अवतार का जलाभिषेक करके पुनः अपनी सीमाओं में लौट जाती है।







☀️  रामायण काल से भी जुड़ी हुई है इस मंदिर का इतिहास। ☀️

 दोस्तों संगम तट पर स्थित अकबर के किले के नजदीक स्थित यह प्राचीन व पवित्र मंदिर स्वयं में हनुमानजी के 20 फीट की मूर्ति के साथ-साथ कई अद्भुत कहानियों को अपने अंदर समेटे हुए अटल खड़ा है।
              दोस्तों मान्यता है कि लंका विजय के पश्चात जब पुष्पक विमान से भगवान श्री राम , माता सीता और लक्ष्मण जी के साथ-साथ हनुमान जी अयोध्या लौटते हुए संगम तट पर पहुंचे थे , तो माता सीता ने हनुमान जी को यही पर विश्राम करने को बोला था। दोस्तों मान्यता है कि उसी समय से यहां पर विश्रामाअवस्था में हनुमान जी की अद्भुत मूर्ति विराजमान है।






        दोस्तों आज के लिए बस इतना ही।

          धन्यवाद दोस्तों

 माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗

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      English translate
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   Hello friends, I am Mountain Leopard Mahendra, warm greetings to all of you, friends, I am taking you on today's journey on the Sangam coast of Prayagraj, Uttar Pradesh, where we will see the wonderful and supernatural statue of Lord Hanuman in a lying position.  Friends, whose mere sight removes all the troubles and obstacles.







 Big hanuman ji


 Prayagraj, Sangam 

Beach, Uttar Pradesh 


 Bharatvarsh






 Friends, it is said about this wonderful statue of Hanuman ji that in 1400 AD, when Aurangzeb was ruling in India, he tried to remove the statue of Hanuman ji.  Couldn't mind.  Where does friends go that Aurangzeb's soldiers are serious

 Due to illness, Aurangzeb eventually had to leave the statue of Hanuman ji there.
















 Friends, it is believed that on the time of returning back to Ayodhya from Sri Lanka, Lord Rama, along with Mother Sita, when Hanuman reached the Sangam coast, had asked Hanuman to rest here, friends, since then the idol present here is in a state of rest.  is.








 Friends, the district of Uttar Pradesh, situated on the confluence of these three holy rivers Ganga, Yamuna and Saraswati, is presently known as Prayagraj.


 Because friends, the holy Maha Kumbh Mela is organized here every 12 years. During this, devotees come from far and wide to take bath in large quantities on the holy dates like Khichdi, Mauni Amavasya, Basant Panchami etc.  Friends, on this auspicious occasion, a large number of devotees from abroad also come.






 Friends, there is an ancient temple of Shri Ram devotee Hanuman ji on this holy bank of Sangam. Friends, the special thing about this ancient temple is that the statue of Hanuman ji sitting here is in a lying position.


 Friends, this ancient temple is under the supervision of Baghambari Gaddi Math since the 16th century.  Friends, Hanuman ji, who is called the Kotwal of Prayag, and friends are also known as Hanuman ji, due to being located under the dam.  Where does friends go that without their darshan, it is not successful for any devotee to take a bath in the confluence.













 ️  Friends, there are many beliefs about this temple, but friends, each belief creates an unwavering faith in the hearts of Hindus towards Hanuman ji. And friends, Ram Bhakt Hanuman ji also never disappoints the devotees who have reverence.  In some way or the other, they keep protecting them like Kotwal.








 ️ History of the ancient Hanuman temple on the Sangam coast ️


 Friends, you will be surprised to know that the Rudra incarnation of Lord Shiva, the supreme devotee of Lord Shri Ram, has blessed the devotees who come with the spirit of getting blessings and has also given great knowledge to those who bring fanaticism.






 There are legends of friends that when Aurangzeb, the biggest opponent of Hindus and the most cruel and tyrannical ruler of the Mughal Sultanate, was destroying the temples of India.  So he thought of destroying this temple of Lord Hanuman of Prayagraj too and asked his laborers to throw out the idol present inside the temple and ordered to destroy the temple, then the laborers tried to lift the idol of Hanuman ji.  Tried but the idol of Hanuman ji did not budge, but miraculously, it had sunk inside the earth.  Seeing this miracle of God, the tyrant Aurangzeb got scared and left this ancient temple after giving up.








 Friends, there is also a legend that at some point in ancient times a great devotee of Hanuman ji was going to his village by waterway with this big idol of Hanuman ji, but as soon as Hanuman ji came to the Sangam coast from Maya, the name of the idol caused the name.  Due to which the boat got split in two pieces and the idol of Hanuman ji got drowned in the "immeasurable depths" of the river.

 Friends, it is said that after many years, when the water level of Ganga ji decreased, then this wonderful idol appeared, then at that time the Mughal ruler Akbar had built this grand temple. Friends, there is such a belief.


 ️  Amazingly Ganga Mata performs Jalabhishek every year to this holy idol ️







 Friends, "Mahant" Anand Giri, who maintains this ancient temple, tells that the temple with this unique posture of Hanuman ji rises up to the Ganga Maiya temple every year during the rainy season and after performing Jalabhishek of the Rudra incarnation of Bhole Nath again its borders.  returns in.







 The history of this temple is also associated with the Ramayana period.  ️


 Friends, this ancient and holy temple, situated near the fort of Akbar, situated on the Sangam coast, stands firm in itself, with a 20 feet statue of Hanumanji, as well as many wonderful stories inside it.

 Friends, it is believed that after the victory of Lanka, when Lord Shri Ram, Mata Sita and Lakshman ji along with Lord Shri Ram, Mata Sita and Lakshman ji reached the Sangam beach while returning to Ayodhya, Mother Sita asked Hanuman ji to rest on it.  .  Friends, it is believed that since that time a wonderful idol of Hanuman ji is sitting here in the state of rest.







 Friends, that's all for today.


 thanks guys






 Mountain Leopard Mahendra🧗🧗



























Ek yatra khajane ki khoje me

एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग

          ( एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग )                          www.AdventurSport.com सभी फोटो झारखणड़ के...