नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं ।दोस्तों आज की यात्रा पर मैं आपको लेकर चल रहा हूं मेरुदंड या फिर मेरु स्तंभ राजधानी दिल्ली की यात्रा पर जिसे आज हम सभी मुगल आक्रमणकारियों द्वारा दिए गए परिवर्तित नाम कुतुबमीनार के नाम से जानते हैं।
तो आइए दोस्तों चलते हैं भारत के सबसे प्राचीन व अति महत्वपूर्ण भारतीय ज्योतिषी की वेधशाला दिल्ली स्थित मेंरु स्तम्भ के प्रांगण में।
मेरुस्तंभ या गरुड़ स्तंभ
( परिवर्तित नाम कुतुब मीनार )
दिल्ली भारतवर्ष
दोस्तों प्राचीन भारतवर्ष में विभिन्न स्थानों पर अंतरिक्ष का अध्ययन करने के लिए ऐसी अनेक वेधशालाओं का निर्माण किया गया था।दोस्तों आपको जानकर दुख होगा कि बाहर से आए मुस्लिम और बर्बर आक्रमणकारियों ने भारत देश के सभी महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और ऐतिहासिक व पवित्र धार्मिक मंदिरों एवं उनसे जुड़ी भवनों एवं सभी महत्वपूर्ण वेधशालाओं को नष्ट कर दिया था।
दोस्तों वर्तमान समय में अब केवल भारत की राजधानी दिल्ली स्थित एवं महत्वपूर्ण वेधशाला मेरुदंड यानी में मेरुस्तम्भ भी बचा हुआ है अपने दुर्दशाओं पर आंसू बहाते हुए।
क्योंकि दोस्तों आज इस प्राचीन भारतीय सांस्कृतिक धरोहर को भी क्रूर आक्रमणकारियों ने नाम बदलकर अपना नाम या पहचान देने की कोशिश की है। लेकिन दोस्तों वे इस बात को नहीं झुठला सकते हैं कि यह भारतीय संस्कृति का अनमोल धरोहर है। जिसे छुपाना या झूठलाना असंभव है।
दोस्तों अनेक प्राचीन दस्तावेजों के अध्ययन एवं भारत के कई प्रख्यात विद्वानों ने अपने गहन अध्ययन एवं खोजों द्वारा बताया है कि राजधानी दिल्ली स्थित कुतुब मीनार किसी समय पूरे विश्व की प्रख्यात वेधशाला हुआ करती थी।
( वेधशाला का निर्माण काल )
दोस्तों इस महान स्तंभ का निर्माण अंतरिक्ष का अध्ययन करने के लिए भारत के महान सम्राट वीर विक्रमादित्य जी के नवरत्नों में प्रख्यात ज्योतिष आचार्य वराहमिहिर द्वारा सम्राट के सहयोग से किया गया था। साथी दोस्तों राजधानी दिल्ली के निकट ही बसा ग्राम मिहरावली जिसे हम लोग महरोली के नाम से जानते हैं।
आचार्य वराहमिहिर के नाम से ही बताया गया था।
दोस्तों ऐतिहासिक दस्तावेजों के आधार पर माना जाता है कि अनुमानतः 2200 वर्ष पूर्व आचार्य वराहमिहिर ने 29 नक्षत्रों नौ ग्रहों एवं ध्रुवतारे को इंगित या बोध कराने के लिए एवं अंतरिक्ष से संबंधित जानकारियों को प्राप्त करने के लिए प्राचीन भारत के और आज के राजधानी दिल्ली स्थित एक बड़े सरोवर के मध्य एक मेरु स्तंभ का निर्माण करवाया था।
दोस्तों आश्चर्य की बात यह है कि इस अद्भुत मेरु स्तंभ की ऊंचाई प्रसिद्ध मेरु पर्वत की ऊंचाई के अनुपात में ली गई थी।
दोस्तों आश्चर्यजनक रूप से 7 ग्रहों के अनुसार 7 मंजिलें और नीचे से ऊपर की ओर 29 नक्षत्रों के संख्या के हिसाब से 29 गवाक्ष यानी रोशनदान बने हुए थे।
दोस्तों अद्भुत रूप से स्तंभ के निर्माण में स्तंभ के अंदर वाले हिस्से में काले पत्थरों का प्रयोग हुआ है ताकि अंदर वाले हिस्से में बिल्कुल घोर अंधेरा रहे।
दोस्तों आश्चर्यजनक रूप से इस स्तंभ का मुख्य दरवाजा उत्तरी ध्रुव की ओर इंगित करता हुआ बना हुआ है।
दोस्तों प्राचीन भारतीय वास्तुकला या इंजीनियरिंग का कमाल है यह मेरु स्तंभ क्योंकि दोस्तों इस अद्भुत वेधशाला की नींव 16 गज गहरी और ऊंचाई लगभग 84 गज थी। साथ ही दोस्तो इस स्तंभ का झुकाव 5 अंश दक्षिण की ओर है। दोस्तों आपको जानकर दुख होगा कि अंग्रेजों के शासनकाल में स्तंभ के ऊपरी झुकाव को तुड़वा दिया गया था । जिससे इसकी ऊंचाई 76 गज ही रह गई है।
( अद्भुत संयोग )
दोस्तों मेरू स्तंभ की एक अन्य बहुत ही महत्वपूर्ण विशेषता है ।आपको जानकर यह आश्चर्य होगा कि प्रत्येक वर्ष 21 जून को 12:00 बजे इस स्तंभ की छाया पृथ्वी पर नहीं पड़ती है।दोस्त को छाया नहीं पड़ने का कारण यही है कि प्रत्येक वर्ष 21 जून को सूर्य भूमध्य रेखा से 23.4 डिग्री अक्षांश उत्तर की ओर रहता है।
आइए दोस्तों एक रहस्य और देखते हैं दोस्तों राजधानी दिल्ली भूमध्य रेखा से 28 . 5 डिग्री अक्षांश उत्तर की ओर है अतः इन दोनों अक्षांशों में 5 अंश का अंतर है अतः दोस्तों इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए हमारे प्राचीन ज्योतिषा आचार्यों द्वारा ज्योतिषी गणना के अनुसार स्तंभ निर्माण में ऊपरी हिस्से को 5 डिग्री दक्षिण की ओर झुकाव दिया था।
दोस्तों माना जाता है कि ब्रिटिश शासन काल के दौरान उस समय के इंजीनियरों को इस स्तंभ के टेढ़े होने का कारण समझ में नहीं आ सका था। अतः उन्हें इस स्तंभ के गिरने का खतरा महसूस होने लगा था। अतः दोस्तों उन ब्रिटिश इंजीनियरों ने स्तंभ के भार को कम करने के लिए स्तंभ के ऊपरी खंड को तोड़वा दिया था।
दोस्तों अद्भुत रूप से आचार्य वराहमिहिर के इस अलौकिक स्तंभ के चारों और 27 अन्य वेधशालाओं का निर्माण की गई थी जिन्हें 29 मंदिरों का समूह कहा जाता था। जिनमें हिंदू एवं जैन मंदिर भी शामिल थे।
लेकिन दोस्तों आगे चलकर दुर्भाग्यवश इन महत्वपूर्ण मंदिरों को मुस्लिम मुगल आक्रमणकारी अत्याचारी कुतुबुद्दीन ऐबक ने तुड़वा कर मस्जिद में परिवर्तित करने का प्रयास किया था तथा उस पर अपना नाम खुदवा दिया था।
दोस्तों सुखद बात यह है कि आक्रमणकारियों द्वारा बड़े पैमाने पर तोड़फोड़ करने के बावजूद इस महत्वपूर्ण भारतीय सांस्कृतिक धरोहर मेरु स्तंभ के ध्वंसावशेष अभी भी भारतीय संस्कृति के धरोहर रहे किसी समय के प्रसिद्ध एवं महत्वपूर्ण वेधशाला होने का आभास कराती रहती है। साथ ही दोस्तों अपनी अद्भुत विचित्रताओ से खगोल वैज्ञानिकों का
ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती रहती है।
धन्यवाद दोस्तों आज के लिए बस इतना ही।
माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗
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English translate
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Hello friends, I warmly greet all of you, Mountain Leopard Mahendra. Friends, on today's journey, I am taking you on the journey of Merudand or Meru Pillar capital Delhi, which today we all have changed the name of Qutub Minar given by the Mughal invaders. know from
So friends, let's go to India's oldest and most important Indian astrologer's observatory in the courtyard of Mainru Pillar located in Delhi.
Merustambha or Garuda Pillar
( changed name Qutub Minar)
Delhi Bharatvarsh
Friends, in ancient India, many such observatories were built to study space at different places. Friends, you will be sad to know that the Muslim and barbaric invaders from outside have destroyed all the important cultural and historical and holy religious temples of India and from them. Attached buildings and all important observatories were destroyed.
Friends, in the present time, now only Merustambh is left in the important observatory located in Delhi, the capital of India, shedding tears over its plight.
Because friends, today this ancient Indian cultural heritage has also been renamed by cruel invaders and tried to give their name or identity. But friends, they cannot deny that it is a priceless heritage of Indian culture. Which is impossible to hide or lie.
Friends, studying many ancient documents and many eminent scholars of India have told through their deep studies and discoveries that Qutub Minar located in the capital Delhi was once a famous observatory of the whole world.
( construction period of the observatory )
Friends, this great pillar was built by the eminent astrologer Acharya Varahamihira in the Navaratnas of the great emperor of India, Veer Vikramaditya, with the help of the emperor, to study the space. Friends, the village Mihravali, which is situated near the capital Delhi, is known by the name of Mehroli.
It was told by the name of Acharya Varahamihira.
Friends, on the basis of historical documents, it is believed that approximately 2200 years ago, Acharya Varahamihira, to indicate or understand the 29 constellations, nine planets and polar stars and to obtain information related to space, is a place in ancient India and today's capital Delhi. A Meru pillar was built in the middle of the big lake.
Friends, the surprising thing is that the height of this wonderful Meru pillar was taken in proportion to the height of the famous Meru mountain.
Friends, surprisingly, there were 7 floors according to the 7 planets and 29 Gavaksha i.e. skylights were made according to the number of 29 constellations from bottom to top.
Friends, wonderfully, in the construction of the pillar, black stones have been used in the inner part of the pillar so that the inner part remains absolutely dark.
Friends, surprisingly, the main door of this pillar is made pointing towards the North Pole.
Friends, this Meru pillar is a marvel of ancient Indian architecture or engineering, because friends, the foundation of this wonderful observatory was 16 yards deep and the height was about 84 yards. Also friends, the inclination of this pillar is 5 degrees towards south. Friends, you will be sad to know that the upper inclination of the pillar was broken during the British rule. Due to which its height has remained only 76 yards.
(wonderful coincidence)
Friends, there is another very important feature of Meru pillar. You will be surprised to know that every year on 21st June at 12:00, the shadow of this pillar does not fall on the earth. The reason why friend does not get shadow is that every year 21 In June, the Sun is 23.4 degrees north of the equator.
Come friends let's see a secret and friends, the capital Delhi is 28 from the equator. 5 degree latitude is towards the north, so there is a difference of 5 degrees between these two latitudes, so friends, keeping this fact in mind, according to the astrological calculations by our ancient astrologers, the upper part was tilted towards 5 degree south in the pillar construction.
Friends, it is believed that during the British rule, the engineers of that time could not understand the reason for the crookedness of this pillar. So they started feeling the danger of falling of this pillar. So friends, those British engineers had broken the upper section of the column to reduce the weight of the column.
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Friends, wonderfully 27 other observatories were built around this supernatural pillar of Acharya Varahamihira which was called a group of 29 temples. In which Hindu and Jain temples were also included.
But friends later, unfortunately, these important temples were demolished by the Muslim Mughal invader tyrant Qutubuddin Aibak and tried to convert it into a mosque and got his name carved on it.
Friends, the pleasant thing is that despite the massive sabotage by the invaders, the ruins of this important Indian cultural heritage Meru Pillar still give the impression of being a famous and important observatory of some time, which was the heritage of Indian culture. Along with this, friends of astronomers with their amazing quirks
Keeps attracting attention.
Thanks guys that's all for today.
Mountain Leopard Mahendra🧗🧗