Tuesday, June 15, 2021

एक यात्रा प्रेम और बलिदान का प्रतीक रूदाबाई बावड़ी की -अहमदाबाद- जिला -गांधीनगर -गुजरात -भारत. A visit to Rudabai Baori symbolizing love and sacrifice -Ahmedabad-District -Gandhinagar -Gujarat -India.

Ek yatra khajane ki khoje





























  नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं दोस्तों आज की यात्रा पर मैं आपको लेकर चल रहा हूं गुजरात के अहमदाबाद शहर की यात्रा पर जहां हम देखेंगे एक बहुत ही अद्भुत बावड़ी को जो अपने अद्भुत वास्तुकला के लिए विश्व प्रसिद्ध है।

         रूदाबाई बावड़ी

  अहमदाबाद , जिला-गांधीनगर 

        गुजरात  भारतवर्ष   

 दोस्तों आज की यात्रा पर मैं आपको लेकर चल रहा हूं। एक ऐसे प्राचीन बावड़ी की यात्रा पर जो प्रेम , समर्पण और बलिदान का सबसे बड़ा प्रतिक है।
                    दोस्तों जब आप इस अद्भुत संरचना को देखोगे तो आश्चर्य किए बिना नहीं रह पाओगे, कि कैसे हमारे पूर्वजों ने इस अद्भुत संरचना का निर्माण किया होगा।वास्तव में दोस्तों इन संरचनाओं को देखकर आप सोचने पर मजबूर हो जाओगे कि हमारे पूर्वज वास्तुशिल्प में कितने निपुण रहे होंगे।














          (  निर्माण काल  )

 दोस्तों ऐतिहासिक दस्तावेजों से पता चलता है कि इस प्राचीन व अद्भुत पानी के बावड़ी का निर्माण 1498 ईस्वी में गुजरात के राजा राणा वीर सिंह की याद में उनकी धर्मपत्नी रानी रूदा देवी ने करवाया था।
        दोस्तों गुजरात के अहमदाबाद में पानी का यह अदलज बावड़ी या रूदाबाई बावड़ी अपने पुरातन वास्तु शिल्प एवं अद्भुत सुंदरता के कारण पूरे विश्व में प्रसिद्ध है।दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि यह अद्भुत बावड़ी धरती के अंदर यानी गहराई में 5 मंजिल की बनी हुई है जो अपने आप में अद्भुत और अविश्वसनीय है।
               दोस्तों यह बाबरी सन 1498 में पानी को जमा करने , बाहर से आने वाले यात्रियों एवं स्थानीय स्तर पर होने वाले शादी -विवाहों में आने वाले बारातियों को ठहराने की व्यवस्था यहीं पर होती थी। साथ ही दोस्तों आस-पास के गांव में होने वाले धार्मिक आयोजनों में भी इस बावड़ी का उपयोग लोगों को ठहराने के लिए किया जाता था।


















          दोस्तों माना जाता है कि राजा राणा वीर सिंह ने अपने राज्य के इस विराने सुस्त पड़े क्षेत्र में अपने प्रजा की कठिनाइयों को दूर करने  के लिए ही इस अद्भुत पानी के बावड़ी का निर्माण शुरू करवाया था।क्योंकि दोस्तों इस क्षेत्र में रहने वाले निवासी पानी लाने के लिए मीलों पैदल जाया करते थे।

            लेकिन दोस्तों आपको पता है कि यह बावड़ी राजा राणा वीर सिंह के जीवित रहते बन ही नहीं पाया था।क्योंकि वह आक्रमणकारी मुस्लिम शासक महमूद बेगड़ा के साथ हुए युद्ध में वीरगति को प्राप्त हो गए थे।

         दोस्तों दंतकथा यह भी है कि आक्रमणकारी मुस्लिम शासक महमूद बेगड़ा , राजा राणा वीर सिंह की रानी रूदाबाई की रूप पर मोहित हो गया था और राणा वीर सिंह के युद्ध में मौत हो जाने के बाद उसने पूरे राज्य पर अपना कब्जा कर लिया था।  और रानी रूदाबाई के सामने शादी का प्रस्ताव रख दिया था।






           दोस्तों माना जाता है कि रानी रूदाबाई को पता था कि वह दुष्ट आक्रमणकारी उन्हें छोड़ने वाला नहीं है ।अतः रानी ने एक चाल चली जिसके परिणाम स्वरुप वह दुष्ट महमूद बेगड़ा से शादी के लिए तैयार हो गई।क्योंकि रानी रूदाबाई को महाराज के द्वारा छोड़े हुए अधूरे कार्य को पूरा करना था। यानी बावड़ी के निर्माण को पूरा करवाना था।जो महाराज राणा वीर सिंह के वीरगति को प्राप्त हो जाने के बाद अधूरा पड़ा हुआ था।

          दोस्तों कहा जाता है कि क्रूर शासक महमूद बेगड़ा रानी की सुंदरता पर इतना मोहित था कि उसने रानी के इस प्रताप को भी स्वीकार कर लिया था कि रानी द्वारा उसके पति के द्वारा शुरू की गई बावड़ी का निर्माण पूरा करना है।
              अतः दोस्तों यही कारण है कि बावड़ी का निर्माण प्रसिद्ध सोलंकी शैली की वास्तु शैली में की गई है और बावड़ी को हिंदू देवी देवताओं व जैन धर्मावलंबियों की मूर्तियों से अलंकृत किया गया है।


            दोस्तों कहां जाता है कि बावड़ी का निर्माण कार्य पूरा हो जाने के बाद रानी रूदाबाई अपने पति महाराज राणा वीर सिंह की याद में बावड़ी के अंदर ही बने गहरे कुएं में कूदकर जान दे दी थी।यानी दोस्तों स्पष्ट होता है कि वह क्रूर आक्रमणकारी महमूद बेगड़ा से शादी करने का कोई इरादा ही नहीं रखती थी वह तो बस अपने पति द्वारा छोड़े गए अधूरे कार्य को पूरा करना चाहती थी।












            दोस्तों बावड़ी की अद्भुत सुंदरता ही इसके बारे में शानदार व्याख्या ही नहीं करती है बल्कि दोस्तों इस बावड़ी की निर्माण की कहानी प्रेम , युद्ध , भक्ति और विश्वासघात से भरी पड़ी हुई है।
                    दोस्तों कुछ भी हो यह बावड़ी हमारे प्राचीन भारत के अद्भुत निर्माण शैली का उच्चतम धरोहर है जिसे हमें बचाए रखना चाहिए ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियां इस अद्भुत वास्तु शिल्प व निर्माण कला को देख सके।


 दोस्तों आज के लिए बस इतना ही।













         धन्यवाद दोस्तों

  माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗

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       English translate
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 Hello friends, I am Mountain Leopard Mahendra, warm greetings to all of you, friends, today I am taking you on a trip to the city of Ahmedabad in Gujarat, where we will see a very wonderful stepwell which is world famous for its amazing architecture.  .







 rudabai stepwell


 Ahmedabad, District-Gandhinagar


 Gujarat  Bharatvarsh





 Friends, I am taking you on today's journey.  On a visit to an ancient stepwell which is the greatest symbol of love, dedication and sacrifice.

 Friends, when you see this amazing structure, you will not be able to live without wonder, how our ancestors must have built this amazing structure. In fact friends, seeing these structures, you will be forced to think that our ancestors were so adept in architecture.  Will be















 (  construction period  )


 Friends, historical documents show that this ancient and wonderful water stepwell was built in the memory of King Rana Veer Singh of Gujarat in 1498 AD by his wife Rani Ruda Devi.

 Friends, this stepwell of water in Ahmedabad, Gujarat or Rudabai stepwell is famous all over the world due to its ancient architectural craft and amazing beauty. Friends, you will be surprised to know that this wonderful stepwell is made of 5 floors deep inside the earth.  Amazing and incredible in itself.

 Friends, this Babri, in 1498, arrangements were made to store water, travelers coming from outside and weddings at the local level, arrangements were made here.  Along with this, this stepwell was also used to accommodate people in religious events held in the nearby village.


















 Friends, it is believed that Raja Rana Veer Singh had started the construction of this wonderful water well in order to overcome the difficulties of his subjects in this deserted area of ​​his kingdom. Because friends, the residents living in this area bring water.  Used to walk for miles.







 But friends, you know that this stepwell could not be built during the survival of Raja Rana Veer Singh. Because he had attained martyrdom in the war with the invading Muslim ruler Mahmud Begada.


 Friends legend also has it that the invading Muslim ruler Mahmud Begada was fascinated by the form of Rani Rudabai of Raja Rana Veer Singh and took over the entire kingdom after Rana Veer Singh died in battle.  And had proposed marriage in front of Rani Rudabai.


 Friends, it is believed that Rani Rudabai knew that the evil invader was not going to leave them. So the queen played a trick as a result of which she agreed to marry the evil Mahmud Begada. Because Rani Rudabai was abandoned by the Maharaj.  Unfinished business had to be completed.  That is, the construction of the stepwell was to be completed. Which was lying unfinished after the death of Maharaja Rana Veer Singh.







 Friends, it is said that the cruel ruler Mahmud Begada was so fascinated by the beauty of the queen that he even accepted the queen's majesty to complete the construction of the stepwell started by the queen by her husband.

 So friends, this is the reason why the stepwell has been built in the famous Solanki style of architecture and the stepwell has been decorated with the idols of Hindu deities and Jains.









 Where does friends go that after the completion of the construction work of the stepwell, Rani Rudabai had committed suicide by jumping into the deep well built inside the stepwell in memory of her husband Maharaj Rana Veer Singh. That is, friends, it is clear that she was the cruel invader Mahmud Begda.  She had no intention of marrying him, she just wanted to complete the unfinished work left by her husband.







 Friends, the wonderful beauty of the stepwell not only gives a wonderful explanation about it, but friends, the story of the construction of this stepwell is full of love, war, devotion and betrayal.

 Friends, whatever be the case, this stepwell is the highest heritage of the wonderful construction style of our ancient India, which we should preserve so that our coming generations can see this wonderful architectural craft and construction art.













 Friends, that's all for today.







 thanks guys


 Mountain Leopard              Mahendra🧗🧗






      





















       
       Mountain Leopard              Mahendra 🧗🧗






















 
  
               

Sunday, June 13, 2021

एक यात्रा अद्भुत अलौकिक स्वयंभू भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की, भगवान शिव शंभू ने रावण के छोटे भाई कुंभकरण के पुत्र भीमा राक्षस का संहार कर इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना की थी मनुष्यों के कल्याण के लिए - पुणे महाराष्ट्र भारत. A visit to the wonderful supernatural self-styled Bhimashankar Jyotirlinga, Lord Shiva Shambhu established this Jyotirlinga by killing the demon Bhima, son of Ravana's younger brother Kumbhakaran, for the welfare of humans - Pune Maharashtra India.

Ek yatra khajane ki khoje






















  नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं दोस्तों आज की यात्रा पर मैं आपको लेकर चल रहा हूं महाराष्ट्रा के पुणे जिले में स्थित लाल वन क्षेत्र के वन्य जीव अभ्यारण में स्थित प्राचीन भीमशंकर ज्योतिर्लिंग की यात्रा पर।

             भीमशंकर ज्योतिर्लिंग 

                 पुणे - महाराष्ट्र

                    भारतवर्ष






नमस्कार दोस्तों आज की यात्रा पर हम चल रहे हैं महाराष्ट्र के पुणे में स्थित प्राचीन भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर की दर्शन को ।दोस्तों माना जाता है कि यह अलौकिक ज्योतिर्लिंग स्वयंभू है यानी यह शिवलिंग स्वयं प्रकट हुए थे। देवताओं के आवाहन पर।
             
      दोस्तों प्राचीन भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग भोरगिरी ग्राम खेड़ से 50 किलोमीटर उत्तर पश्चिम की ओर और पुणे शहर से 110 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि यह पवित्र ज्योतिर्लिंग पश्चिमी घाट के सहाद्रि पर्वतमला के ऊंचे पर्वतों पर स्थित है। दोस्तों सहाद्रि पर्वतमाला से ही भीम नदी का उद्गम हुआ है। दोस्तों भीमा नदी दक्षिण पश्चिम दिशा में बहती हुई रायचूर जिले में कृष्णा नदी से जा मिलती है।








                और दोस्तों यही पर मौजूद है भगवान शिव का प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग दोस्तों यह अति प्राचीन शिव मंदिर हमारे देश भारत में पाए जाने वाले 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है।दोस्तों गौर करने वाली बात यह है कि सहाद्रि पर्वत माला की ऊंचाइयों पर स्थित यानी कि 3250 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस प्राचीन मंदिर का पवित्र शिवलिंग काफी मोटा है। इसलिए इसे इस क्षेत्र में मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है।

    








                  (  वास्तु शिल्प )

 दोस्तों भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर प्रसिद्ध नागर शैली की वास्तुकला में बनी एक प्राचीन और नई संरचनाओं का अद्भुत संगम है। दोस्तों इस अद्भुत मंदिर में बने प्राचीन कलाकृतियों केअद्भुत नक्काशी यों को देखकर आश्चर्य होता है कि कितने महान रहे होंगे उस समय के विश्वकर्मा वास्तुशिल्पी । साथ ही दोस्तों ऐतिहासिक दस्तावेजों से पता चलता है कि इस प्राचीन मंदिर के पुनर्निर्माण के समय मंदिर का शिखर नाना फडणवीस द्वारा 18वीं सदी में बनवाया गया था। 
                     साथी दोस्तों पता चलता है कि महान मराठा सम्राट छत्रपति शिवाजी महाराज ने भी इस पवित्र ज्योतिर्लिंग की पूजा एवं मंदिर के रखरखाव के लिए काफी सुविधाएं प्रदान की थी।








                       दोस्तों आपको इस मंदिर प्रांगण में एक बड़ा सा घंटा लटका हुआ मिलेगा जिसके बारे में कहा जाता है कि इस घंटे का भी निर्माण नाना फडणवीस ने ही करवाया था।










      (     प्रसिद्ध रमणीक पर्यटन स्थल  )

 दोस्तों इस क्षेत्र की यात्रा करने पर आपको यहां के प्रसिद्ध हनुमान झील , गुप्त भीमाशंकर , भीमा नदी का उद्गम स्थल , नागफनी , मुंबई पॉइंट व साक्षी विनायक जैसे प्रसिद्ध स्थलो को देखने का अवसर प्राप्त हो सकता है।दोस्तों भीमाशंकर मंदिर लाल वन क्षेत्र और वन्य जीव अभ्यारण द्वारा संरक्षित है दोस्तों इस वन अभ्यारण्य क्षेत्र में विभिन्न प्रजातियों के पक्षियों , जानवरों ,पेड़ पौधे एवं फूलों की अनेक प्रजातियां मौजूद है।दोस्तों यह क्षेत्र श्रद्धालुओं के साथ-साथ पर्वतारोहियों के बीच भी काफी प्रसिद्ध है यहां काफी   प्रसिद्धि ट्रैकिंग क्षेत्र मौजूद हैं जहां पर्वतारोही समय-समय पर पर्वतारोहण का लुफ्त उठाते रहते हैं।साथी दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि यहां संसार के सभी क्षेत्रों से लोग इस अद्भुत मंदिर को देखने और पूजा करने के लिए आते हैं।


















             (  पौराणिक दंतकथा )

 दोस्तों शिवपुराण में वर्णित है कि त्रेता युग में रावण के छोटे भाई कुंभकरण का पुत्र भीम नाम का एक राक्षस हुआ करता था।दोस्तों माना जाता है कि इस राक्षस का जन्म ठीक उसके पिता कुंभकरण के मृत्यु के बाद हुआ था।जिस कारण से उसे अपने पिता की मृत्यु भगवान राम के हाथों होने की घटना की जानकारी नहीं थी। दोस्तों बाद में जब उसे अपनी माता से इस घटना की जानकारी हुई तो , वह भगवान श्रीराम का वध करने के लिए आतुर हो गया था । अतः दोस्तों अपने उद्देश्य को पूरा करने के लिए भीम राक्षस ने कई वर्षों तक कठोर तपस्या की जिससे प्रसन्न होकर उसे भगवान ब्रह्मा जी ने सदा विजयी होने का वरदान दे दिया था। दोस्तों वरदान पाने के बाद वह और ज्यादा अत्याचारी हो गया था जिस कारण से दोस्तों उससे मनुष्यों के साथ-साथ देवी देवता भी भयभीत रहने लगे थे। दोस्तों माना जाता है कि पूरे ब्रह्मांड में उसकी आतंक चर्चा होने लगी थी। दोस्तों उसका आतंक इतना बढ़ गया था कि युद्ध में उसने देवताओं को भी पराजित करना शुरू कर दिया था।

               दोस्तों हद तो तब हो गई जब उसने धरती पर सभी धार्मिक अनुष्ठानों को बंद करवा दिया था।










              अंतता दोस्तों हद से ज्यादा परेशान होकर सभी देवगण भगवान शिव के शरण में गए और भगवान शिव से प्रार्थना की कि उन्हें इस दुष्ट से मुक्ति दिलाएं।दोस्तों तब भगवान शिव ने सभी को आश्वासन दिया कि वे इस अत्याचारी राक्षस का संहार करेंगे।दोस्तों कहा जाता है कि भगवान शिव और भीम राक्षस के बीच घमासान युद्ध हुआ था। दोस्तों जिसमें अंततः भगवान शिव ने उस दुष्ट राक्षस को भस्म यानी जलाकर राख कर दिया था।और अंततः दुष्ट राक्षस के अत्याचार से सभी को मुक्ति मिल पाई थी।









           दोस्तों कहा जाता है कि भगवान शिव से सभी देवगण ने आग्रह किया कि वे इसी स्थान पर शिवलिंग के रूप में विराजमान हो जाएं ।दोस्तों  वे मनुष्यों के कल्याण के लिए देवताओं की प्रार्थना को स्वीकार कर  भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के रूप में आज भी मंदिर के गर्भ गृह में विराजमान हैं।

       दोस्तों आज के लिए बस इतना ही।









                   धन्यवाद दोस्तों

               माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗

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              English translate
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      Hello friends, I am Mountain Leopard Mahendra, I warmly greet all of you, friends, on today's journey, I am taking you on the journey of ancient Bhimashankar Jyotirlinga located in the Wildlife Sanctuary of Red Forest area located in Pune district of Maharashtra.


 Bhimashankar Jyotirlinga


 PUNE - MAHARASHTRA


 Bharatvarsh







 Hello friends, we are going on today's journey to visit the ancient Bhimashankar Jyotirlinga temple located in Pune, Maharashtra. Friends, it is believed that this supernatural Jyotirlinga is Swayambhu i.e. this Shivling himself appeared.  At the call of the gods.








 Friends, the ancient Bhimashankar Jyotirling is located 50 km northwest of Bhorgiri village Khed and 110 km from Pune city. Friends, you will be surprised to know that this holy Jyotirling is situated on the high mountains of Sahadri range of Western Ghats.  Friends, the Bhima river has originated from the Sahadri ranges.  Friends, the Bhima river flows in the south-west direction and joins the Krishna river in Raichur district.

 And friends, this is the famous Jyotirlinga of Lord Shiva. Friends, this very ancient Shiva temple is one of the 12 Jyotirlingas found in our country India. Friends, the thing to note is that it is situated on the heights of the Sahadri mountain range i.e. 3250 feet.  The sacred Shivling of this ancient temple, situated at a height of .  Hence it is also known as Moteshwar Mahadev in this region.






















 (  architectural craft )


 Friends, Bhimashankar Jyotirlinga Temple is a wonderful amalgamation of ancient and new structures built in the famous Nagara style of architecture.  Friends, seeing the wonderful carvings of ancient artifacts made in this wonderful temple, it is surprising how great Vishwakarma architect must have been at that time.  Also friends, historical documents show that at the time of the reconstruction of this ancient temple, the shikhara of the temple was built by Nana Fadnavis in the 18th century.

 Fellow friends learn that the great Maratha emperor Chhatrapati Shivaji Maharaj had also provided a lot of facilities for the worship of this holy Jyotirlinga and the maintenance of the temple.








 Friends, you will find a big bell hanging in this temple courtyard, about which it is said that this hour was also built by Nana Fadnavis.










 (  Famous Delightful Tourist Place)


 Friends, on traveling to this area, you can get an opportunity to see famous places like Hanuman Lake, Gupt Bhimashankar, the origin of Bhima River, Hawthorn, Mumbai Point and Sakshi Vinayak. Friends, Bhimashankar Temple Red Forest Area and Wilderness.  The wildlife is protected by the sanctuary, friends, many species of birds, animals, trees, plants and flowers of different species are present in this forest sanctuary area. Friends, this area is very famous among devotees as well as mountaineers. There are quite a lot of famous trekking areas.  Where mountaineers keep enjoying mountaineering from time to time. Fellow friends, you will be surprised to know that people from all regions of the world come here to see and worship this wonderful temple.
















 (mythical legend)


 Friends, it is described in Shiv Puran that in Treta Yuga, there used to be a demon named Bhima, son of Ravana's younger brother Kumbhakaran. Friends, it is believed that this demon was born right after the death of his father Kumbhakaran.  The incident of the death of the father at the hands of Lord Rama was not known.  Friends, later when he came to know about this incident from his mother, he became eager to kill Lord Shri Ram.  So friends, in order to fulfill his purpose, the demon Bhima did severe penance for many years, due to which Lord Brahma ji gave him a boon to be victorious forever.  Friends, after getting the boon, he had become more tyrannical, due to which friends, along with humans, gods and goddesses were also afraid of him.  Friends, it is believed that his terror was being discussed in the whole universe.  Friends, his terror had increased so much that in the war he had started defeating even the gods.









 Friends, the limit was reached when he had stopped all religious rituals on earth.

 In the end friends, all the gods went to the shelter of Lord Shiva and prayed to Lord Shiva to give them freedom from this evil. Friends, then Lord Shiva assured everyone that he would kill this tyrannical demon.  It is said that there was a fierce battle between Lord Shiva and the demon Bhima.  Friends, in which finally Lord Shiva had burnt that evil demon to ashes. And finally everyone got freedom from the tyranny of the evil demon.










 Friends, it is said that all the gods requested Lord Shiva to sit in the form of Shivling at this place. Friends, by accepting the prayers of the gods for the welfare of human beings, even today in the form of Bhimashankar Jyotirling, the sanctum sanctorum of the temple  are seated in


 Friends, that's all for today.








 thanks guys


 Mountain Leopard Mahendra
                    🧗🧗











Mountain Leopard Mahendra
                     🧗🧗

































 

Ek yatra khajane ki khoje me

एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग

          ( एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग )                          www.AdventurSport.com सभी फोटो झारखणड़ के...