Friday, June 11, 2021

एक यात्रा त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर जो अपने तीन छोटे-छोटे शिवलिंगों के लिए विश्व प्रसिद्ध है- ग्राम त्र्यंबक - जिला नासिक महाराष्ट्र भारत A Visit Trimbakeshwar Jyotirlinga Temple which is world famous for its three small Shivlings - Village Trimbak - District Nashik Maharashtra India.

Ek yatra khajane ki khoje

























  नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं दोस्तोंआज की यात्रा पर दोस्त मैं आपको लेकर चल रहा हूं महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित त्र्यंबक गांव की जहां हम दर्शन करेंगे त्रिदेवों की अद्भुत छोटे-छोटे शिवलिंगों की ।






      त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग

  ग्राम- त्र्यंबक , जिला-नासिक

         महाराष्ट्र  - भारतवर्ष 





 नमस्कार दोस्तों आज की यात्रा महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित त्र्यंबक गांव की जहां मौजूद है अलौकिक त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग।दोस्तों आज हमें भगवान के उस अद्भुत और अलौकिक रूप का दर्शन हुआ है दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इस अति प्राचीन मंदिर में भगवान ब्रह्मा , भगवान विष्णु और भगवान शिव यानी त्रिदेव पवित्र लिंग के रूप में विराजमान हैं।













 ( पुराणों में वर्णन है इस क्षेत्र की महत्ता  )
 
 दोस्तों पुराणों के अनुसार माना जाता है कि पूजनीय गौतम ऋषि और गोदावरी नदी के विनम्र निवेदन करने पर ही भगवान शिव इस स्थान पर विराजमान हुए थे और त्र्यंबकेश्वर    के नाम से प्रसिद्ध हुए हैं।दोस्तों मंदिर के गर्भ गृह के अंदर अद्भुत रूप से एक छोटे से गड्ढे में तीन छोटे छोटे लिंग मौजूद हैं जो भगवान ब्रह्मा, भगवान विष्णु और भगवान भोलेनाथ यानी इन तीनों त्रिदेवों के प्रतीक माने जाते हैं।













       (  पौराणिक कथा )
 दोस्तों पौराणिक कथाओं के अनुसार माना जाता है कि प्राचीन काल में त्र्यंबक क्षेत्र गौतम ऋषि की तपोभूमि हुआ करती थी।दोस्तों माना जाता है कि गौतम ऋषि अपने ऊपर लगे गौ हत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए कई युगों तक कठोर तप कर भगवान शिव से माता गंगा को इस क्षेत्र में अवतरित करने का वरदान मांगा था। दोस्तों जिसके फलस्वरूप दक्षिण भारत की गंगा अर्थात पवित्र गोदावरी नदी का उद्गम हुआ था।












   (   प्राचीन स्थापत्य कला )
 दोस्तों ऐतिहासिक दस्तावेजों से पता चलता है कि इस प्राचीन मंदिर का पुनर्निर्माण तीसरे पेशवा बाला जी अर्थात नाना साहब पेशवा ने करवाया था। दोस्तों इस प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार सन 1755 में शुरू हुआ था और  31 साल के लंबे पुनः निर्माण कार्य के बाद 1786 में जाकर संपन्न हुआ था। दोस्तों उस समय के निर्माण कार्य के ऐतिहासिक दस्तावेजों से पता चलता है कि इस भव्य प्राचीन मंदिर के पुनर्निर्माण में लगभग 1600000 रुपए खर्च किए गए थे। जो उस समय के लिए बहुत ही बड़ी रकम हुआ करती थी।

             दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि त्र्यंबकेश्वर मंदिर की भव्य भवन सिंधु - आर्य वास्तुशिल्प का उत्कृष्ट नमूना है।दोस्तों इस प्राचीन मंदिर के अंदर गर्भ गृह में प्रवेश करने के बाद आपको सिर्फ शिवलिंग की केवल आर्घा ही दिखाई देगी शिवलिंग नहीं , क्योंकि दोस्तों काफी गौर से देखने पर आर्घा के अंदर अलौकिक रूप से एक - एक इंच के तीन लिंग दिखाई देते हैं।दोस्तों इन्ही तीनो लिंगो को त्रिदेव यानी भगवान ब्रह्मा भगवान विष्णु और भगवान महेश यानी शिव शंभू का अवतार माना जाता है।दोस्तों सुबह के समय होने वाली विशेष पूजा पद्धति के बाद इस आर्घा पर चांदी का पंचमुखी मुकुट चढ़ा दिया जाता है। 





दोस्तों गोदावरी नदी के किनारे पर स्थित यह प्राचीन त्र्यंबकेश्वर मंदिर काले पत्थरों से बना हुआ है जो इस प्राचीन मंदिर के स्थापत्य को और भी अधिक अद्भुत बना देता है।दोस्तों अलौकिक रूप से इस मंदिर के पंचकोशी में कालसर्प शांति , त्रिपिंडी विधि एवं नारायण नागबली पूजा अनुष्ठान संपन्न होती है जिन्हें श्रद्धालु गान अलग-अलग मन्नत पूरी होने के लिए संपन्न करवाते हैं।

    दोस्तों यह प्राचीन त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग अपने समय काल के सबसे अद्भुत और अलौकिक मंदिरों में से एक है जो तीनों त्रिदेवों का प्रतिनिधित्व लिंग के रूप में करता है।





           धन्यवाद दोस्तों

    माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗
 _________________________

       English translate
      ____________________







 








 Hello friends, I am Mountain Leopard Mahendra, I warmly greet all of you friends, friends, on today's journey, I am taking you to Trimbak village located in Nashik district of Maharashtra, where we will see the wonderful small Shivlings of Tridev.







 Trimbakeshwar Jyotirlinga


 Village- Trimbak, District-Nashik


 Maharashtra - India






 Hello friends, today's visit is to Trimbak village located in Nashik district of Maharashtra, where the supernatural Trimbakeshwar Jyotirling is present. Friends, today we have seen that wonderful and supernatural form of God, friends, you will be surprised to know that in this very ancient temple Lord Brahma, Lord  Vishnu and Lord Shiva i.e. Tridev are seated in the form of holy linga.















 (The importance of this area is described in the Puranas)





 Friends, according to the Puranas, it is believed that Lord Shiva was seated at this place only on the humble request of the revered Gautam Rishi and Godavari river and became famous as Trimbakeshwar.  There are three small lingams present in the pit which are considered to be the symbols of Lord Brahma, Lord Vishnu and Lord Bholenath i.e. these three trinity.












 (  mythology )

 Friends, according to mythology, it is believed that in ancient times, the Trimbak region used to be the tapobhumi of Gautam Rishi. Friends, it is believed that Gautam Rishi did severe penance for many ages to get rid of the sin of killing cows on him and prayed to Lord Shiva.  He had asked for the boon of incarnating Mother Ganga in this area.  Friends, as a result of which the Ganges of South India i.e. the holy Godavari river was originated.















(   Ancient Architecture) 

 Friends, historical documents show that this ancient temple was rebuilt by the third Peshwa Bala ji i.e. Nana Saheb Peshwa.  Friends, the restoration of this ancient temple started in the year 1755 and was completed in 1786 after a long reconstruction work of 31 years.  Friends, the historical documents of the construction work of that time show that about 160000 rupees were spent in the reconstruction of this grand ancient temple.  Which used to be a huge amount for that time.


 Friends, you will be surprised to know that the grand building of Trimbakeshwar temple is an excellent example of Indus-Aryan architecture. Friends, after entering the sanctum sanctorum inside this ancient temple, you will only see only Argha of Shivling, not Shivling, because friends are very careful.  On seeing, supernaturally three lingas of one inch each are seen inside the Argha. Friends, these three lingas are considered to be incarnations of Tridev i.e. Lord Brahma, Lord Vishnu and Lord Mahesh i.e. Shiva Shambhu. Friends, special worship to be done in the morning.  After the ritual, a silver five-faced crown is offered to this Argha.







 Friends, this ancient Trimbakeshwar temple situated on the banks of river Godavari is made of black stones which makes the architecture of this ancient temple even more amazing. Friends, supernaturally, Kalsarp Shanti, Tripindi Vidhi and Narayan Nagbali worship in Panchkoshi of this temple.  Rituals take place which are performed by devotees singing songs to fulfill their various vows.


 Friends, this ancient Trimbakeshwar Jyotirlinga is one of the most wonderful and supernatural temples of its time, which represents the three trinity in the form of a linga.









 thanks guys


 Mountain Leopard Mahendra 🧗🧗 
















   Mountain Leopard                Mahendra 🧗🧗











Monday, June 7, 2021

एक यात्रा भारत के छत्तीसगढ़ राज्य में स्थित देवबलोदा महादेव की जिसे छ:मासी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है जो अपने अद्भुत वास्तुकला के लिए विश्व प्रसिद्ध है।-भिलाई ,देवबलोदा छत्तीसगढ़, भारत A visit to Devbaloda Mahadev, also known as Chhamasi Temple, located in the state of Chhattisgarh, India, which is world famous for its amazing architecture. - Bhilai, Devbaloda Chhattisgarh, India.

Ek yatra khajane ki khoje


























 
 नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूंदोस्तों आज की यात्रा पर मैं आपको लेकर चल रहा हूं छत्तीसगढ़ के सुदूर "देवबलोदा"  शहर की यात्रा पर। जहां हम देखेंगे अति प्राचीन शिव मंदिर को जो अपने अद्भुत वास्तु शैली के कारण खजुराहो की याद दिला देती है। दोस्तों यह मंदिर "छः मासी" मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।








 
         छः मासी शिव मंदिर

         देवबलोदा , छत्तीसगढ़ 

                 भारतवर्ष

  नमस्कार दोस्तों आज की यात्रा पर मैं आपको लेकर चल रहा हूं छत्तीसगढ़ राज्य के एक सुदूर शहर देवबलोदा की यात्रा पर जहां हम एक अनोखे शिव धाम की दर्शन करेंगे , जो अपने वास्तुकला के लिए विश्व प्रसिद्ध है। साथ ही दोस्तों इस मंदिर को देखने खजुराहो मंदिर की याद आ जाती है। दोस्तों इस प्राचीन शिव धाम को छ:मासी मंदिर भी कहा जाता है।
             दोस्तों इस प्राचीन मंदिर का निर्माण कलचुरी काल में किया गया था । दोस्तों इस समय यह प्राचीन मंदिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के तहत संरक्षित स्मारक घोषित किया हुआ है।

                 दोस्तों महाशिवरात्रि के दौरान इस प्राचीन मंदिर में तीर्थ यात्रियों की काफी भीड़ जमा होती है ।दोस्तों मंदिर परिसर में एक छोटा मेला का भी आयोजन होता है। जहां काफी संख्या में आसपास के गांव वाले मेले का आनंद उठाने आते हैं और साथ ही मंदिर में मौजूद शिवलिंग का दर्शन कर भगवान से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।


















      [ मंदिर से जुड़ी प्रचलित  ]                        दंतकथा
                __________

 दोस्तों दंत कथाओं के अनुसार माना जाता है कि जो मूर्तिकार इस मंदिर का निर्माण कर रहा था ।वह अपने कार्य में इतना तल्लीन हो गया था , कि उसे अपने कपड़ों और शरीर का परवाह ही नहीं रहा था।अतः वह मंदिर के निर्माण कार्य को पूरा करने के लिए दिन रात काम करते हुए वह एकदम नग्न हो गया था।दोस्तों माना जाता है कि प्रतिदिन उसकी पत्नी उसके लिए भोजन लेकर आती थी ।लेकिन दोस्तों एक दिन किसी कारणवश उसकी बहन भोजन लेकर आ गई ।दोस्तों अचानक अपनी बहन को सामने देख वे दोनों इतनी ज्यादा शर्मिंदा हो गए हैं कि वे दोनों खुद को छिपाने के लिए मंदिर के पास ही स्थित तालाब में कूद गए।दोस्तों माना जाता है कि यह सब देख कर उसकी बहन भी मंदिर के पास ही मौजूद दूसरे तालाब में कूद गई थी। दोस्तों आज भी दोनों तालाब या पवित्र कुंड मंदिर परिसर में ही मौजूद हैं। दोस्तों स्थानीय लोग तालाब को कसारा तालाब के नाम से पुकारते हैं दोस्तों तालाब के पास ही एक अजीब सा पत्थर मौजूद है जो देखने में एकदम कलश यानी मिट्टी के घड़ा के समान लगता है। दोस्तों स्थानीय लोग बताते हैं कि यह वही कलश है। जिसे मूर्तिकार की बहन लेकर आई थी , पानी भरने के लिए जो उस कांड के बाद पत्थर के रूप में बदल गया था।

         दोस्तों जब आप इस मंदिर की यात्रा पर आओगे तो देखोगे कि मंदिर कब मंडप आज भी अधूरा है शायद यह वही कारण रहा होगा जिसके कारण मंदिर का मंडप आज तक नहीं बन पाया होगा।

















        दोस्तों स्थानीय लोगों का मानना है कि मंदिर परिसर में मौजूद तालाब या कुंड के अंदर एक गुप्त सुरंग मौजूद है जो काफी दूर मौजूद छत्तीसगढ़ के ही एक पुराने शहर "आरंग" कस्बा में मौजूद एक मंदिर के पास निकलता है। दोस्तों लोग बताते हैं कि मूर्तिकार ने जब तालाब में छलांग लगाई तो उसे वह सुरंग मिल गई , और वह सुरंग के रास्ते "आरंग" कस्बा जा पहुंचा जहां वह पत्थर की मूर्ति बन गया।दोस्तों माना जाता है कि आज उसी स्थान पर "भानदेव" का मंदिर बना हुआ है।
           दोस्तों मंदिर परिसर में मौजूद पवित्र कुंड के बगल में ही 23 सीढ़ियां और 2 प्राचीन कुएं में मौजूद हैं।दोस्तों माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण मात्र 6 महीने में किया गया था इसलिए इसे छ: मासी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।

















        (  वास्तुकला )
         ___________

 दोस्तों यह प्राचीन मंदिर पूर्व मुखी है दोस्तों इस मंदिर के निर्माण में बलुआ पत्थरों का उपयोग किया गया है दोस्तों मंदिर  में एक गर्भ गृह मौजूद है जो एक मंडप से जुड़ा हुआ है। मंडप नक्काशीदार खंभों से युक्त है। जो नागर वास्तुशैली को दर्शाता है।

        दोस्तों गर्भ गृह में डेढ़ फीट ऊंचे शिवलिंग स्थापित है।दोस्तों गर्भ गृह के अंदर अद्भुत रूप से शैव द्वारपालों द्वारा संरक्षित एक अत्यधिक अलंकृत प्रवेश द्वार के माध्यम से पहुंचा जाता है।साथ ही में दोस्तों गर्भ गृह के अंदर माता पार्वती , भगवान गणेश और हनुमान जी की भी मूर्ति स्थापित है। दोस्तों मंडप में स्थित स्तंभों को भैरव की छवियों से अलंकृत किया गया है।साथ ही साथ भगवान विष्णु , देवी दुर्गा ,भगवान शिव शंभू , संगीतकारों , नर्तक - नर्तकियों  को भी बहुत ही सुंदर तरीके से स्तंभों पर उकेरा गया है।दोस्तों मंदिर की बाहरी दीवारों पर शिकार , शिकारियों और सांडों की लड़ाईयों को बहुत ही अद्भुत तरीके से चित्रित किया गया है।

          दोस्तों मंदिर के सामने ही नंदी बाबा मौजूद हैं।

















         (  आवागमन )
          ___________

 दोस्तों यह प्राचीन मंदिर ट्रेन और सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।

 सड़क मार्ग  -     दोस्तों यह प्राचीन मंदिर राष्ट्रीय राजमार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।जो राष्ट्रीय राजमार्ग द्वारा   अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। जो राजधानी रायपुर से 20 किलोमीटर की दूरी पर और  भिलाई नगर से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
 
 रेलमार्ग  - दोस्तों देवबलोदा चरौदा रेलवे स्टेशन मंदिर के पास ही स्थित है । जहां सभी जगह से आने वाली ट्रेनें रूकती है।

 हवाई मार्ग  -  दोस्तों निकटतम हवाई अड्डा स्वामी विवेकानंद हवाई  अड्डा रायपुर में स्थित है।








            धन्यवाद दोस्तों

     माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗
  ________________________

      English translate 
            ______________________________________










 













 


   Hello friends, I am Mountain Leopard Mahendra, I warmly greet all of you, friends, on today's journey, I am taking you on a journey to the remote "Devbaloda" city of Chhattisgarh.  Where we will see the very ancient Shiva temple which reminds of Khajuraho due to its amazing architectural style.  Friends, this temple is also known as "Chha Masi" temple.


















 Chhas Masi Shiva Temple


 Devbaloda, Chhattisgarh


 Bharatvarsh







 Hello friends, on today's journey, I am taking you on a journey to Devbaloda, a remote city in the state of Chhattisgarh, where we will see a unique Shiva Dham, which is world famous for its architecture.  Also friends, seeing this temple reminds me of Khajuraho temple.  Friends, this ancient Shiva Dham is also called Chhamasi Temple.

 Friends, this ancient temple was built in the Kalachuri period.  Friends, at this time this ancient temple has been declared a protected monument under the Archaeological Survey of India.







 Friends, during Mahashivratri, a large crowd of pilgrims gather in this ancient temple. Friends, a small fair is also organized in the temple premises.  Where a large number of nearby villages come to enjoy the fair as well as get blessings from God by visiting the Shivling present in the temple.
















 [ Previous associated with the temple] 

 __________


 Friends, according to legends, it is believed that the sculptor who was building this temple was so engrossed in his work, that he did not care about his clothes and body. So he completed the construction work of the temple.  He had become completely naked while working day and night to do this. Friends, it is believed that his wife used to bring food for him every day. But friends, one day for some reason his sister came with food. Friends suddenly saw their sister in front.  Both of them have become so embarrassed that they both jumped into the pond located near the temple to hide themselves. Friends, it is believed that seeing all this, his sister also jumped into another pond near the temple.  Friends, even today both the ponds or the holy tank are present in the temple premises only.  Friends, local people call the pond by the name of Kasara Talab. Friends, there is a strange stone near the pond, which looks like a pot of earth.  Friends, local people tell that this is the same Kalash.  Which was brought by the sister of the sculptor, to fill the water which had turned into stone after that incident.


 Friends, when you come to visit this temple, you will see that when the temple pavilion is still incomplete, perhaps this must have been the reason due to which the temple pavilion would not have been built till date.



















 Friends, local people believe that there is a secret tunnel inside the pond or pool present in the temple premises, which comes out near a temple present in "Arang" town, an old city of Chhattisgarh, which is very far away.  Friends, people tell that when the sculptor jumped into the pond, he found that tunnel, and through the tunnel he reached "Arang" town where he became a stone idol. Friends, it is believed that today at the same place "Bhandev"  The temple has been built.

 Friends, there are 23 steps and 2 ancient wells next to the holy pool present in the temple premises. Friends, it is believed that this temple was constructed in just 6 months, hence it is also known as Chha Masi Mandir.  .





















 (  architecture )

 ___________


 Friends, this ancient temple is facing east. Friends, sandstone has been used in the construction of this temple. Friends, there is a sanctum sanctorum in the temple which is connected to a mandap.  The mandapa is dotted with carved pillars.  Which shows the Nagara architectural style.







 One and a half feet high Shivling is installed in the sanctum sanctorum. The inside of the sanctum sanctorum is wonderfully accessed through a highly ornate entrance guarded by Shaivite gatekeepers. Also inside the sanctum sanctorum are Mata Parvati, Lord Ganesha and Hanuman  The idol of Ji is also installed.  The pillars located in the Friends Mandap are decorated with the images of Bhairav. As well as Lord Vishnu, Goddess Durga, Lord Shiva Shambhu, musicians, dancers - dancers, have been carved on the pillars in a very beautiful way. Friends, the exterior of the temple.  The battles of hunting, hunters and bulls are depicted in a very wonderful way on the walls.


 Friends, Nandi Baba is present in front of the temple itself.

















 (  Traffic )

 ___________


 Friends, this ancient temple is well connected by train and road.


 By Road - Friends This ancient temple is well connected with National Highway. Which is well connected by National Highway.  Which is located at a distance of 20 kilometers from the capital Raipur and 15 kilometers from Bhilai Nagar.









 Railroad - Friends Devbaloda Charoda railway station is located near the temple.  Where trains coming from all the places stop.







 By Air - Friends, the nearest airport is Swami Vivekananda Airport, located in Raipur.








 thanks guys


 Mountain Leopard                Mahendra🧗🧗






























  Mountain Leopard               Mahendra 🧗🧗















Ek yatra khajane ki khoje me

एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग

          ( एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग )                          www.AdventurSport.com सभी फोटो झारखणड़ के...