Wednesday, May 19, 2021

🧗🧗एक यात्रा कटारमल सूर्य मंदिर का जो भारतवर्ष का प्राचीनतम व अलौकिक सूर्य मंदिर है जो पुर्वाभिमुखी है।साथ ही कुमाऊं के विशालतम ऊंचे मंदिरों में से एक और उत्तर भारत में विलक्षण स्थापत्य एवं शिल्प कला का बेजोड़ उदाहरण है।साथ ही मंदिर में स्थापित अलौकिक सूर्य भगवान की मूर्ति पत्थर का ना होकर वट वृक्ष की लकड़ी का बना हुआ है जो अपने आप में अद्भुत और अलौकिक है-ग्राम - अधेली सुनार , जिला -अल्मोड़ा, राज्य - उत्तराखंड भारतवर्ष A visit to Katarmal Sun Temple, the oldest and supernatural Sun Temple of India, which is east-facing, as well as one of the largest high temples of Kumaon and a unique example of unique architecture and craftsmanship in North India. The idol of God is made of the wood of the Vat tree, not of stone, which is unique and supernatural in itself - Village - Adheli Goldsmith, District - Almora, State - Uttarakhand Bharatvarsha🧗🧗

Ek yatra khajane ki khoje 





















                                   एक यात्रा 🇮🇳














   नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं।दोस्तों आज की यात्रा पर मैं आपको लेकर चल रहा हूं ।भारतवर्ष का प्राचीनतम सूर्य मंदिर कटारमल की यात्रा पर जहां मंदिर में मौजूद हैं ।वट वृक्ष की लकड़ी का बना सूर्य देव की अद्भुत अलौकिक अकल्पनीय अति प्राचीन मूर्ति।तो आइए दोस्तों चलते हैं उत्तराखंड के ग्राम - अधेली सुनार , जिला -अल्मोड़ा की यात्रा पर।

   अति प्राचीन कटारमल सूर्य                        मंदिर 
         ग्राम - अधेली सुनार

          अल्मोड़ा उत्तराखंड

                भारतवर्ष

 नमस्कार दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि हमारे भारतवर्ष के देव भूमि कहे जाने वाले उत्तराखंड के हिमालय के ऊंचे चोटियों पर मौजूद है, साक्षात भगवान सूर्य देव जो कटारमल सूर्य मंदिर के नाम से विश्व प्रसिद्ध है।जो अल्मोड़ा से लगभग 16 - 17 किलोमीटर की दूरी पर अधेली सुनार गांव में मौजूद है।दोस्तों यह प्राचीन भव्य सूर्य मंदिर समुद्र तल से लगभग 2116 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है । दोस्तों माना जाता है कि यह अति प्राचीन सूर्य मंदिर प्राचीनता में कोणार्क के सूर्य मंदिर से भी लगभग 200 वर्ष पुराना है।

      दोस्तों आश्चर्य की बात यह है कि इस मंदिर में मौजूद भगवान सूर्य देव की मूर्ति किसी धातु या पत्थर से निर्मित नहीं है बल्कि यह मूर्ति बड़ (वट वृक्ष) के पेड़ की लकड़ी से बनी हुई है।  
                             दोस्तों जैसा कि आप सभी जानते हैं की लाल वर्ण , सात घोड़े के रथ पर सवार सूर्य देव को सर्व प्रेरक , सर्वप्रकाशक  व सर्व कल्याणकारी माना जाता है। दोस्तों भगवान सूर्य देव को 'जगत' की 'आत्मा' भी कहा जाता है।दोस्तों सारा संसार जानता है कि सूर्य देव से ही पृथ्वी पर जीवन संभव है ।और सूर्यदेव ही नवग्रहों में प्रमुख देवता माने जाते हैं। दोस्तों यह तो आपको पता ही होगा कि सारे देवताओं में सिर्फ भगवान  सूर्य देव ही एक ऐसे देव हैं जो हर रोज साक्षात दर्शन देते हैं।जिससे समस्त संसार के प्राणियों एवं पेड़ पौधों का जीवन चक्र सुचारू रूप से चलता रहता है।
             इसलिए दोस्तों हमारे धर्म ग्रंथों में सूर्य देव की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है जैसे दोस्तों प्रातः उठकर उगते हुए सूर्य देव को जल देना व उनकी आराधना को सर्वोच्च माना गया है।दोस्तों मानो ना मानो भगवान सूर्यदेव से ही संपूर्ण मनुष्य जाति को बिना रुके बिना थके अविरल चलते रहने की प्रेरणा मिलती रहती है चाहे समय कैसा ही क्यों ना हो।

   
















  🔱प्राचीन कटारमल सूर्य मंदिर का निर्माण 🔱

 दोस्तों कटारमल सूर्य मंदिर का निर्माणकाल लगभग 9 वीं शताब्दी का माना जाता है उस वक्त उत्तराखंड में 'कत्यूरी' राजवंश का शासन हुआ करता था।दोस्तों इस प्राचीन मंदिर का निर्माण का श्रेय 'कत्यूरी' राजवंश के राजा 'कटारमल' को जाता है।इसलिए दोस्तों इस प्राचीन मंदिर को कटारमल सूर्य मंदिर के नाम से जाना जाता है।दोस्तों एक ऐसी दंतकथा प्रचलित है। जिसमें कहा जाता है कि इस प्राचीन मंदिर का निर्माण राजा  कटारमल ने एक ही रात में करवाया था।









🔱 मंदिर की अद्भुत विशेषता 🔱

   दोस्तों हिमालय पर्वत की सीढ़ीनुमा खेतों को पार करने के बाद ऊंचे ऊंचे देवदार के हरे भरे पेड़ों के बीच तथा पहाड़ी सड़कनुमा पाग - डंडी से चढ़ते हुए एक ऊंचे पर्वत पर मौजूद कटारमल सूर्य मंदिर में जब पहुंचते हैं ।तो मंदिर परिसर में कदम रखते हैं ।आपको मंदिर की भव्यता और विशालता का अनुभव अपने आप ही हो जाता हैं। दोस्तों विशाल पर्वत शिलाओ पर उकेरी गई कलाकृतियां व लकड़ी के दरवाजे में की गई अद्भुत नक्काशी देखते ही बनती है।दोस्तों अकल्पनीय रूप से मंदिर की इस अद्भुत कलाकृतियों को देखते ही सारी की सारी थकान अपने आप ही मिट जाती है।

       दोस्तों प्राचीन कटारमल सूर्य मंदिर का मुख पूर्व दिशा की ओर है ।दोस्तों इस मंदिर को एक ऊंचे वर्गाकार चबूतरे पर बनाया गया है। दोस्तों मुख्य मंदिर की संरचना त्रिरथ है। एवं गर्भ गृह का आकार वर्गाकार है ।और शिखर वक्र रेखीय  है। जो नागर शैली की विशेषताओं को दर्शाता है।









दोस्तों इस प्राचीन सूर्य मंदिर की विशेषता यह है कि यहां पर सूर्य भगवान की मूर्ति किसी धातु या पत्थर से निर्मित नहीं है बल्कि भगवान की प्राचीन मूर्ति वट वृक्ष के पेड़ की लकड़ी से बनी हुई है जो अपने आप में अद्भुत व अलौकिक है।  दोस्तों इसलिए इस प्राचीन अलौकिक  सूर्य मंदिर को 'बड़ आदित्य मंदिर' भी कहा जाता है।
          दोस्तों प्राचीन कटारमल सूर्य मंदिर की अद्भुत निर्माण शैली वास्तुकला व शिल्प कला का एक  प्राचीनतम धरोहर और नमूना है। 
         दोस्तों मुख्य सूर्य मंदिर के अतिरिक्त इस मंदिर परिसर में 45 छोटे बड़े और भी मंदिर मौजूद हैं।दोस्तों भगवान सूर्य देव के अलावा भगवान शिव , माता पार्वती, गणेश जी , माता लक्ष्मी ,श्री हरि भगवान विष्णु जी ,कार्तिकेय जी एवं नरसिंह भगवान की मूर्तियां भी स्थापित है।
                  दोस्तों यह जानकर आपको आश्चर्य होगा कि यह मंदिर पूरे भारतवर्ष में एक ऐसा अकेला मंदिर है जहां पर बड़ यानी बरगद के पेड़ की लकड़ी से बने सूर्य देव की मूर्ति की पूजा की जाती है।और तो और दोस्तों यह मंदिर उड़ीसा के कोणार्क सूर्य मंदिर से भी प्राचीनतम है।







 🔱 प्राचीन कटारमल सूर्य मंदिर एक संरक्षित स्मारक के रूप में भारतीय पुरातत्व विभाग के देखरेख में है। 🔱

 दोस्तों भारतीय पुरातत्व विभाग ने प्राचीन कटारमल सूर्य मंदिर को संरक्षित घोषित किए हुए हैं ।इसलिए दोस्तों अब इस प्राचीन मंदिर की देखरेख तथा सुरक्षा की जिम्मेदारी भारतीय पुरातत्व विभाग ने अपने हाथों में ले रखी है। दोस्तों मंदिर के गर्भगृह का प्रवेश द्वार लकड़ी का बना हुआ है जिस पर बहुत ही खूबसूरत तरीके से नक्काशी की गई है जो उच्च कोटि की काष्ट कला का प्राचीनतम नमूना है।दोस्तों आश्चर्य करने वाली बात यह है कि अब वर्तमान समय में इस मंदिर का प्रवेश द्वार नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय संग्रहालय में सुरक्षित रख दिया गया है।
            दोस्तों इस मंदिर की अद्भुत वास्तुकला , शिल्पकला व भव्यता अपने वैभवशाली इतिहास के बारे में अपने आप बहुत कुछ व्याख्यान कर देती है।साथ ही दोस्तों कुमाऊं में स्थित सभी प्राचीन मंदिरों  और यहां तक की सभी नये मंदिरों में यह सबसे ऊंचा और सबसे विशाल मंदिर है।दोस्तों प्रकृति की खूबसूरत वादियों के बीच मौजूद यह मंदिर तीर्थयात्रियों के मन को बरबस ही मोह लेता है।
         
       दोस्तों यह प्राचीन मंदिर हमारे महान भारतीय संस्कृति का तो दर्शन कराता ही है व साथ ही में उत्तराखंड के राजाओं के गौरवशाली इतिहास का भी व्याख्यान अपने दर्शन मात्र से ही कर देता है।दोस्तों स्थानीय ग्रामीण व दूर-दूर से पर्यटक प्राचीन कटारमल सूर्य मंदिर में मौजूद भगवान सूर्य देव के दर्शन के लिए तथा भगवान का आशीर्वाद लेने के लिए पूरे वर्ष यहां आते रहते हैं।दोस्तों ऐसा माना जाता है कि श्रद्धा व सच्चे मन से मांगी गई मनोकामनाओं को सूर्यदेव जरूर पूरी करते हैं।













🔱 प्रचलित दंतकथाएं 🔱

 दोस्तों इस प्राचीन मंदिर से संबंधित एक प्रचलित स्थानीय दंतकथा भी मशहूर है जिसे स्थानीय ग्रामीण बहुत ही रोचक तरीके से यहां आने वाले पर्यटकों को सुनाते हैं। दोस्तों कथा के अनुसार माना जाता है कि उत्तराखंड के शांत हिमालय पर्वत श्रृंखलाओं में ऋषि मुनि सदैव अपनी तपस्या में लीन रहा करते थे लेकिन असुर ,व  राक्षस गण समय-समय पर उन पर आक्रमण कर उनकी तपस्या को भंग कर देते थे। अतः एक बार एक राक्षस के अत्याचार से परेशान होकर दूनागिरी पर्वत , कषाय पर्वत एवं कंजार पर्वत में रहने वाले ऋषि मुनियों ने कोसी नदी के तट पर आकर भगवान सूर्य देव की कठोर तपस्या की।अतः दोस्तों ऋषि-मुनियों की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर सूर्यदेव ने उन्हें साक्षात दर्शन दिए तथा उन्हें राक्षसों से भय मुक्त किया।साथ ही साथ दोस्तों ऋषि-मुनियों के आग्रह पर सूर्य देव ने अपने तेज को यहीं पर मौजूद एक वट वृक्ष  स्थापित कर दिया।
                तभी से दोस्तों भगवान सूर्य देव यहीं पर मौजूद वट वृक्ष की लकड़ी से बने मूर्ति पर विराजमान हैं ।तथा कालांतर में आगे चलकर इसी जगह पर राजा कटारमल ने भगवान सूर्यदेव का भव्य मंदिर कटारमल सूर्य मंदिर का निर्माण करवाया। जो कालांतर में कटारमल सूर्य मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हुआ।





           धन्यवाद दोस्तों
   माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗
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      English translate
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 Hello friends I heartily greet all of you mountain leopard Mahendra. Friends, today I am taking you on a journey. Visit the oldest sun temple of India, Katarmal, where the temple is present. Sun tree made of wood.  Wonderful supernatural unimaginable very ancient idol. So let's go on a journey to the village of Uttarakhand - Adheli Sunar, District - Almora.


 The Ancient Katarmal Sun Temple

 Village - Adheli Goldsmith


 Almora Uttarakhand


 India








 Hello friends, you will be surprised to know that our India is located on the high peaks of the Himalayas of Uttarakhand called Dev Bhoomi, Sakshat Lord Surya Dev which is world famous as Katarmal Sun Temple.  But Adheli is present in the village of Goldsmith. Friends, this ancient grand sun temple is situated at an elevation of about 2116 meters above sea level.  Friends, it is believed that this very ancient Sun Temple is about 200 years older than the Sun Temple of Konark in antiquity.


 It is surprising to friends that the idol of Lord Surya Dev present in this temple is not made of any metal or stone, but this idol is made of wood from the tree of Vat tree.

 Friends, as you all know that the Red God, the sun god riding on a seven horse chariot, is considered to be the most inspiring, omnipotent and all welfare.  Friends Lord Surya Dev is also called the 'soul' of 'Jagat'. Friends all over the world know that life on earth is possible only with Surya Dev and Suryadev is considered to be the main deity in the Navagrahas.  Friends, you must be aware that among all the Gods, only the Sun God is the only God who gives visions every day, so that the life cycle of all the world's creatures and trees plants goes on smoothly.

 Therefore friends, our religious texts have mentioned the importance of worshiping the sun god, like burning water and worshiping the rising sun god as friends in the morning is considered to be supreme. Believe it or not, God forbid the whole human race from Lord Suryadev.  Inspiration to keep moving without ceaselessly keeps on coming, no matter what the time may be.






















 🔱Construction of ancient Katarmal Sun Temple🔱


 Friends, the construction of Katarmal Sun Temple is believed to be around 9th century, when the 'Katyuri' dynasty ruled in Uttarakhand. Friends, credit for the construction of this ancient temple goes to 'Katarmal' king of 'Katyuri' dynasty.  Friends, this ancient temple is known as Katarmal Sun Temple. Friends are one such legend.  In which it is said that this ancient temple was built by King Katarmal in a single night.









 🔱 Amazing feature of the temple 🔱


 When friends cross the staircase of the Himalayan mountains, when they reach the Katarmal Sun Temple on a high mountain, amidst the lush green trees of high cedar and ascending the mountain road, cradle, then they step into the temple complex.  You automatically experience the grandeur and grandeur of the temple.  Friends, the artworks carved on the huge mountain rocks and the amazing carvings done in the wooden doors are made. All the fatigue is erased on its own, after seeing this amazing artifacts of the temple, friends unimaginably.


 Friends, the ancient Katarmal Sun Temple is facing towards the east. Friends, this temple is built on a high square platform.  The structure of the Friends main temple is Triratha.  And the shape of the womb is square. And the peak curve is linear.  Which shows the characteristics of the civil style.




















 Friends, the specialty of this ancient Sun Temple is that the idol of the Sun God here is not made of any metal or stone, but the ancient idol of God is made from the wood of the tree of the Vat tree, which is amazing and supernatural in itself.  Friends, this ancient supernatural Sun Temple is also known as the 'Bad Aditya Temple'.

 Friends, the amazing construction style of the ancient Katarmal Sun Temple is one of the oldest heritage and specimen of architecture and craft art.

 Friends, besides the main Sun Temple, there are 45 small and big temples in this temple complex. In addition to the two friends Lord Surya Dev, idols of Lord Shiva, Mata Parvati, Ganesh ji, Mata Lakshmi, Shree Hari Lord Vishnu ji, Kartikeya ji and Narasimha lord.  Is also installed.

 Friends, you will be surprised to know that this temple is the only temple in India where the idol of Surya Dev made of wood of Banyan tree is worshiped.  Is also the oldest.







 🔱 The ancient Katarmal Sun Temple is under the supervision of the Archaeological Department of India as a protected monument.  🔱










 Friends, the Archaeological Department of India has declared the ancient Katarmal Sun Temple as protected. Therefore, Friends, the Archaeological Department of India has taken the responsibility of maintenance and protection of this ancient temple.  The entrance to the sanctum sanctorum of the Friends temple is made of wood, which has been carved in a very beautiful way, which is the oldest specimen of high quality wood art. The two surprising thing is that now the entrance of this temple in the present time  The gate has been kept safe at the National Museum in New Delhi.

 Friends, the amazing architecture, craftsmanship and grandeur of this temple itself gives a lot of lectures about its magnificent history. Friends, it is the tallest and largest temple among all the ancient temples and even all the new temples located in Kumaon.  This temple, which is present among the beautiful litigants of two nature lovers, attracts the mind of the pilgrims.



 Friends, this ancient temple not only gives a glimpse of our great Indian culture, but also gives a glimpse of the glorious history of the kings of Uttarakhand with their vision only.  The present Lord comes here for the whole year to see the Sun God and to seek the blessings of the Lord. Friends, it is believed that Suryadev definitely fulfills the wishes sought with reverence and sincere heart.










 🔱 popular legends 🔱


 Friends, a famous local legend related to this ancient temple is also famous, which the local villagers narrate to the tourists who come here in a very interesting way.  According to the friends legend, it is believed that in the serene Himalayan mountain ranges of Uttarakhand, sage Muni always used to indulge in his penance, but asuras, demons and demons attacked him from time to time and dissolved his austerity.  So, once disturbed by the tyranny of a demon, the sage sages residing in Doonagiri mountain, Kashaya mountain and Kanjar mountain came on the banks of river Kosi and did the harsh penance of Lord Surya Dev.  He gave him a darshan and freed him from the demons. At the request of friends and sages, Surya Dev set up his tree with a banyan tree present here.

 Since then, friends Lord Surya Dev has been seated on the idol made of the tree of the Vat tree here. And later on, at this place, King Katarmal built the magnificent temple of Lord Suryadev, the Katarmal Sun Temple.  Which later became famous as Katarmal Sun Temple.









 Thanks guys

      Mountain Leopard                Mahendra 🧗🧗
        





















Saturday, May 15, 2021

एक यात्रा अति प्राचीन कोपेश्वर महादेव मंदिर की जहां भगवान शिव के साथ श्री हरि भगवान विष्णु जी भी लिंग के रूप में विद्यमान हैं -खिद्रपुर महाराष्ट्र भारत A visit to the very ancient Kopeshwar Mahadev Temple where Lord Hari, Lord Vishnu along with Lord Shiva also exists in the form of a linga - Khadarpur Maharashtra India.

Ek yatra khajane ki khoje 





























                                     Ek yatra 🇮🇳






































  नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं दोस्तोंआज की यात्रा पर मैं आपको लेकर चल रहा हूं महाराष्ट्र के एक ऐसे अद्भुत शिव धाम की यात्रा पर जहां दोस्तों मौजूद हैं भगवान  श्री हरि विष्णु भगवान शिव के साथ भगवान शिव के प्रतीकात्मक रूप शिवलिंग के रूप में। यानी दोस्तों इस धाम में एक लिंग भगवान शिव  का प्रतिनिधित्व करता है तो दूसरा लिंग भगवान विष्णु का प्रतिनिधित्व करता है। साथ ही दोस्तों महाराष्ट्र यह प्राचीन मंदिर अपने अद्भुत बनावट और वास्तु शैली के कारण विश्व प्रसिद्ध है। तो आइए दोस्तों चलते हैं इस अद्भुत और अलौकिक कोपेश्वर शिव मंदिर की यात्रा पर महाराष्ट्र की यात्रा पर।









      प्राचीन कोपेश्वर शिव मंदिर

         खिद्रापूर    महाराष्ट्र

              भारतवर्ष


 नमस्कार दोस्तों महाराष्ट्र के कोल्हापुर के निकट खिद्रपुर में मौजूद है अति प्राचीन कोपेश्वर महादेव मंदिर जो चालुक्य वास्तुकला का अनमोल धरोहर है। दोस्तों यह प्राचीन मंदिर अद्भुत शिल्प कला के अनुपम सौंदर्य को धारण किए हुए हैं। दोस्तों जहां अलौकिक रूप से भगवान विष्णु भगवान शिव के साथ लिंग के रूप में विद्यमान हैं।
                   दोस्तों प्राचीन कोपेश्वर महादेव मंदिर महाराष्ट्र के कोल्हापुर शहर से 80 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
                दोस्तों ऐतिहासिक स्रोतों से पता चलता है कि इस अद्भुत और अनोखे शिल्प कला का विकास सातवीं शताब्दी ईसा पूर्व में चालुक्य  राजवंश के शासनकाल में हुआ था। जो कई राजवंशों के शासनकाल के दौरान विकसित हुई थी। दोस्तों माना जाता है कि महाराष्ट्र के खिद्रपुर क्षेत्र पर सातवाहन राजवंश ,चालुक्यो, राष्ट्रकूट , शीलहरा ,यादव एवं आदिलशाही राजवंशों से होते हुए भोंसले राजवंशों के आधिपत्य रहा था।












दोस्तों इस मंदिर से संबंधित एक बहुत ही मशहूर पौराणिक कथा प्रसिद्ध है।साथ ही दोस्तों आश्चर्य करने वाली बात यह है कि इस मंदिर के द्वार पर बाबा नंदी मौजूद नहीं है जिसके कारण यहां आने वाले श्रद्धालु आश्चर्यचकित हुए बिना नहीं रह पाते हैं। क्योंकि दोस्तों बाबा नंदी की गैरमौजूदगी कई प्राचीन रहस्य को उजागर करती है।
              दोस्तों प्रसिद्ध पौराणिक कथा के अनुसार माना जाता है कि महाराज प्रजापति दक्ष के यज्ञ समारोह में भगवान भोलेनाथ को आमंत्रित ना करने के कारण प्रजापति दक्ष कन्या माता सती ने यज्ञ कुंड के अग्नि में कूदकर अपनी जान दे दी थी।जिस कारण से भगवान शिव ने क्रोध में आकर महाराज प्रजापति दक्ष का सिर काट दिया था। और माता सती के शव को अपने गोद में लेकर तांडव करने लगे थे। जिससे पूरे ब्रह्मांड में हाहाकार मच गया था ।तब भगवान विष्णु ने भगवान शिव का क्रोध शांत किया था। और उसी समय  इस प्राचीन मंदिर में भगवान शिव के साथ लिंग के रूप में विद्यमान हुए थे। 

             दोस्तों पुराणों में कई जगह वर्णित है कि जब जब भोलेनाथ क्रोधित हुए तब तब भगवान विष्णु ने उनके क्रोध को शांत किया था। दोस्तों यह प्राचीन मंदिर भोलेनाथ के अति क्रोधित होने वाले क्षण का प्रतीक माना जाता है। दोस्तों मानो ऐसा लगता है कि इस मंदिर में वह समय चक्र सदैव के लिए काल के पहिए के रूप में थम गया हो। माता सती का अपने प्राणों से प्रिय प्राणेश्वर भगवान शिव का अपमान , माता सती का अपने आप को बलिदान करना व भगवान शिव का क्रोधित होना , भोलेनाथ को अपने प्राणों से प्रिय अर्धांगिनी माता सती का वियोग , वह सभी क्षण इस मंदिर में  थम सा गया है दोस्तों।
       
          दोस्तों क्रोधित अर्थात कुपित शिव को ही कोपेश्वर कहा गया है ।दोस्तों इसी कारण से इस प्राचीन मंदिर में दो लिंग मौजूद हैं एक भगवान शिव का प्रतिनिधित्व करता हुआ तथा दूसरा लिंग भगवान विष्णु का भोलेनाथ के क्रोध को शांत करते हुए प्रतिनिधित्व कर रहा है।






















दोस्तों आप सभी को पता है कि बाबा नंदी बैल प्रत्येक शिव मंदिर के अभिन्न अंग होते हैं परंतु आश्चर्यजनक रूप से इस मंदिर में बाबा नंदी मौजूद नहीं है दोस्तों पुराणों के अनुसार नंदी बाबा माता सती के साथ उनके पिता महाराज प्रजापति दक्ष के घर गए हुए थे इसलिए नंदी बाबा इस मंदिर में अनुपस्थित हैं।

















दोस्तों इस प्राचीन मंदिर की अद्भुत निर्माण शैली एवं वास्तुकला को देखकर ऐसा लगता है कि यह मंदिर किसी समय काल में महाराष्ट्र का सर्वाधिक संपन्न मंदिर रहा होगा।
              दोस्तों कुछ ऐतिहासिक शिल्पशास्त्र के पुस्तकों में इस प्राचीन मंदिर की वैभव कालीन इतिहास दर्ज है ।जिसका अध्ययन करने से पता चलता है कि यह मंदिर कितना पवित्र और वैभवशाली रहा होगा।
         दोस्तों अद्भुत रूप से मंदिर की दीवारों पर काले बेसाल्ट पत्थरों से नक्काशी की गई है। दोस्तों दीवारों पर नक्काशी की गई मूर्तियों का आकार 1 इंच स लेकर 8 फीट तक है।साथी दोस्तों मंदिर के दीवारों पर भगवान शिव की पूजा करते हुए 18 की संख्या में सुंदर कन्याओं की मूर्तियां भी बनाई गई है ।दोस्तों माना जाता है कि इन 18 कन्याओं की मूर्तियों का निर्माण भगवान शिव के क्रोध को शांत करने के लिए किया गया था। 
      दोस्तों जैसे ही आप इस मंदिर के अंदर प्रवेश करोगे आप का मन एकदम शांत हो जाएगा। और आपको ऐसा महसूस होगा कि जैसे भगवान शिव गहरी समाधि में लीन हो ।दोस्तों यहां का वातावरण आपके मन को एकदम शांत कर देगा। दोस्तों ऐस लगता है कि इस मंदिर में समय आकर एकदम ठहर सा जाता है।
















दोस्तों प्राचीन कोपेश्वर मंदिर को चार भागों में विभाजित किया जाता है। प्रथम- स्वर्ग मंडप , द्वितीय- सभा मंडप , तृतीय अंर्तकलक्ष और चतुर्थ- गर्भ गृह।दोस्तों मंदिर की यह सभी क्षेत्र आपस में परस्पर जुड़े हुए हैं ।जिस कारण से दोस्तों आप स्वर्ग मंडप के केंद्र में खड़े होकर सामने स्थित गर्भ गृह में कोपेश्वर महादेव शिवलिंग को आराम देख सकते हो। दोस्तों मंदिर की बाईं ओर की दीवार पर भगवान ब्रह्मा और दाएं ओर की दीवार पर भगवान विष्णु की नक्काशी दार मूर्ति बनाई गई है।दोस्तों माना जाता है कि भगवान ब्रह्मा , भगवान विष्णु और भगवान शिव की दिव्य त्रिमूर्ति प्रतीकात्मक रूप से मंदिर की रक्षा करती है।
             दोस्तों मंदिर के गर्भ गृह में शिवलिंग और विष्णु लिंग दोनों स्थापित है दोस्तों मान्यता है कि मंदिर में प्रवेश करने पर सर्वप्रथम विष्णु लिंग का दर्शन किया जाता है तत्पश्चात शिवलिंग का दर्शन किया जाता है।साथ ही दोनों लिंगों पर जल और दूध से अभिषेक करने की परंपरा लागू है।माना जाता है कि दोस्तों इन दोनों लिंगों का दर्शन करने से भक्तों गणों की संपूर्ण मनोकामना पूर्ण होती है।





















दोस्तों मंदिर में बनाई गई मूर्तियां अपने निर्माण काल के समय के दौरान एक उन्नत और अच्छी तरह से विकसित संस्कृति की उपस्थिति को इंगित करती है।दोस्तों इन मूर्तियों के चेहरे पर अलग-अलग भाव देखे जा सकते हैं साथ ही मंदिर में दोस्तों विभिन्न प्रकार के जानवरों के साथ फलों को भी नक्काशी किया गया है। जो अद्भुत रूप से कच्चे फल और पके हुए फलो  को स्पष्ट रूप से दर्शाया गया है। साथ ही मंदिर के मध्य भाग में भी विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियों को भी नक्काशी किया गया है। 
            दोस्तों मध्यकाल में क्रूर आक्रमणकारी बर्बर औरंगजेब के शासनकाल में भी मंदिर को काफी क्षति पहुंचाई गई थी।फिर भी दोस्तों इस प्राचीन मंदिर की शिल्प कला इतनी सुंदर है कि आप इस मंदिर से अपनी दृष्टि नहीं हटा पाएंगे।
      तो दोस्तों जब भी आप महाराष्ट्र आए तो इस प्राचीन और अद्भुत भगवान शिव के मंदिर का दर्शन जरूर करें।










          धन्यवाद दोस्तों
 माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗
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        English translate
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 Hello friends, I am a mountain lepard Mahendra, a warm greetings to all of you guys, I am taking you on a journey today, to visit such a wonderful Shiva Dham in Maharashtra where friends are present Lord Shree Hari Vishnu with Lord Shiva, symbolic of Lord Shiva  In the form of Roop Shivalinga.  That is, in this Dham, friends, one gender represents Lord Shiva and the other gender represents Lord Vishnu.  Also friends Maharashtra, this ancient temple is world famous due to its amazing texture and architectural style.  So friends, let's go on a trip to Maharashtra on a visit to this wonderful and supernatural Kopeshwar Shiva temple.









 Ancient Kopeshwar Shiva Temple


 Khidrapur Maharashtra


 India









 Namaskar Friends, there is a very ancient Kopeshwar Mahadev Temple in Khidrapur near Kolhapur, Maharashtra, which is a precious heritage of Chalukya architecture.  Friends, this ancient temple holds the unique beauty of amazing craftsmanship.  Friends where supernaturally Lord Vishnu exists in the form of a linga with Lord Shiva.

 Friends Ancient Kopeshwar Mahadev Temple is located at a distance of 80 km from the city of Kolhapur in Maharashtra.

 Friends historical sources suggest that this amazing and unique craft art was developed during the reign of the Chalukya dynasty in the seventh century BCE.  Which developed during the reign of several dynasties.  Friends, the Khidrapur region of Maharashtra is believed to have been dominated by the Bhonsle dynasties passing through the Satavahana dynasty, Chalukyo, Rashtrakuta, Sheelahara, Yadav and Adilshahi dynasties.

















 Friends, a very famous legend related to this temple is famous. Friends, the surprising thing is that Baba Nandi is not present at the entrance of this temple, due to which the devotees who come here are unable to live without being surprised.  Because the absence of friends Baba Nandi reveals many ancient secrets.

 According to the famous legend, it is believed that Prajapati Daksha Kanya Mata Sati gave her life by jumping into the fire of Yagna Kunda due to not inviting Lord Bholenath in the Yajna ceremony of Maharaj Prajapati Daksha.  I came and cut off the head of Maharaja Prajapati Daksha.  And Mata sati's body was taken to her orgy and began to do orgy.  There was a chaos in the whole universe. Then Lord Vishnu pacified the wrath of Lord Shiva.  And at the same time this ancient temple existed in the form of a linga with Lord Shiva.


 Friends Puranas have described many places that when Bholenath was angry, then Lord Vishnu pacified his anger.  Friends, this ancient temple is considered a symbol of Bholenath's very angry moment.  Friends, it seems that the time cycle in this temple has stopped forever as the wheel of time.  Mother Pranesh, insulting Lord Shiva dear to his life, sacrificing herself to Goddess Sati and being angry with Lord Shiva, Bholenath's disconnection of beloved Ardhangini Mata Sati with her life, all those moments have come to a standstill in this temple.  Friends.






 Friends are furious, that is, Kupit Shiva has been called Kopeshwar. Friends, for this reason, two lingas are present in this ancient temple, one representing Lord Shiva and the other linga representing Lord Vishnu while pacifying the anger of Bholenath.

















 Friends, you all know that Baba Nandi bulls are an integral part of every Shiva temple but surprisingly Baba Nandi is not present in this temple. According to the Puranas, Nandi went to Baba Mata Sati's house with his father Maharaj Prajapati Daksha.  Therefore Nandi Baba is absent in this temple.


















 Friends, looking at the amazing construction style and architecture of this ancient temple, it seems that this temple may have been the most thriving temple in Maharashtra at some point of time.

 Friends, some historical crafts books have recorded the history of the glory of this ancient temple. By studying it, it shows how holy and magnificent this temple must have been.

 Friends, the temple walls are wonderfully carved with black basalt stones.  The sculptures carved on the Friends walls range in size from 1 inch to 8 feet. On the walls of the Sathi Friends temple, idols of 18 beautiful girls have also been made while worshiping Lord Shiva. Friends are believed to be  Statues of girls were constructed to pacify the wrath of Lord Shiva.

 Friends, as soon as you enter inside this temple, your mind will be completely calm.  And you will feel as if Lord Shiva is absorbed in deep samadhi. Friends, the atmosphere here will calm your mind completely.  Friends, it seems that the time in this temple comes to a complete standstill.
















 Friends The ancient Kopeshwar temple is divided into four parts.  First- Swarga Mandapa, Second- Sabha Mandapa, Third Antrakalaksha and Fourth- Garbha Griha. All these areas of the two-temple temple are interlinked. Because of which friends you stand in the center of Swarga Mandapa and Kopeshwar Mahadev in the garbhagriha situated in front.  You can see the lingam relaxed.  Friends on the left wall of the temple, Lord Brahma and Lord Vishnu on the right side of the temple are carved by the idol. Friends, it is believed that the divine trinity of Lord Brahma, Lord Vishnu and Lord Shiva symbolically protects the temple.  .

 Friends, both Shivalinga and Vishnu Linga are installed in the sanctum sanctorum of the temple. Friends believe that Vishnu Linga is first seen on entering the temple and then Shivalinga is seen.  The tradition is applicable. It is believed that by visiting friends both these sexes complete the wishes of the devotees.


















 The sculptures made in the Friends temple indicate the presence of an advanced and well-developed culture during the time of its construction. Friends can see different expressions on the faces of these idols as well as different types of friends in the temple.  Fruits have also been carved with animals.  Which is clearly depicted with amazingly raw fruits and ripe fruits.  Also, in the central part of the temple, statues of various deities have also been carved.

 Friends, the temple was heavily damaged even during the reign of the brutally invading barbaric Aurangzeb in the medieval period. Friends, however, the craftsmanship of this ancient temple is so beautiful that you will not be able to divert your sight from this temple.

 So friends, whenever you come to Maharashtra, you must visit this ancient and wonderful temple of Lord Shiva.







 Thanks guys

 Mountain  Leopard               Mahendra 🧗🧗


















 Mountain Leopard Mahendra 🧗🧗
       
           Ek yatra 🇮🇳

 
 
















          

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