नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता। दोस्तों आज मैं आपको एक ऐसे मंदिर की यात्रा पर लेकर चल रहा हूं जो पुरातन काल से ही उत्सुकता का केंद्र बना हुआ है। जी हां दोस्तों एक ऐसे मंदिर जिसके खंभे हवा में झूलते हैं दोस्तों आश्चर्यजनक रूप से यह प्राचीन 70 खंभों वाला मंदिर आज के आधुनिक युग में विज्ञान को चुनौती दे रहा है कि कैसे आज से हजारों वर्ष पूर्व हमारे पूर्वजों ने इस मंदिर का निर्माण किया होगा।।
प्राचीन लोपाक्षी या वीरभद्र मंदिर
आंध्र प्रदेश
भारतवर्ष
दोस्तों आप सभी तो जानते ही होंगे कि हमारे देश भारत वर्ष में ऐसे मंदिरों की कमी नहीं है जो आलौकिक , चमत्कारी और रहस्यों से भरे ना हो।दोस्तों एक ऐसा ही मंदिर है दक्षिण भारत में जिसके रहस्यों को सुलझाने में अंग्रेजो के भी दांत खट्टे हो गए थे। और वे कभी भी इस मंदिर के रहस्य नहीं जान पाए थे। दोस्तों यह मंदिर अति प्राचीन काल से ही लोगों के बीच उत्सुकता का केंद्र बना हुआ है। और शायद ही हम कभी इस रहस्य को सुलझा पाएंगे। दोस्तों यह मंदिर भगवान शिव और भगवान विष्णु एवं भगवान वीरभद्र को समर्पित है।
दोस्तों भारतवर्ष के आंध्र प्रदेश राज्य के अनंतपुर जिले में स्थापित अति प्राचीन लोपाक्षी मंदिर अद्भुत रूप से 70 खंभों पर टिका हुआ है , लेकिन दोस्तों आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि मंदिर का एक खंभा धरती को छूता ही नहीं है बल्कि आश्चर्यजनक रूप से हवा में झूलता रहता है, और दोस्तों अलौकिक रूप से मंदिर का सारा भार इसी झूलते हुए खंभे पर टिका हुआ है जो विश्व भर के वैज्ञानिकों को सोचने पर मजबूर कर देती है की यह कैसे संभव हो सकता है लेकिन दोस्तों सच्चाई यही है , यह सत्य है , अलौकिक है , और अद्भुत है।
आइए दोस्तों चलते हैं थोड़ा समय के पीछे अंग्रेजों के जमाने में उस समय मंदिर के बारे में बताया जाता था कि 70 खंभों वाला यह मंदिर उस एक झूलते हुए खंभे को छोड़कर बाकी के 69 खंभों पर टिका हुआ है। इसीलिए वे लोग सोचते थे कि एक खंभे के हवा में झूलने से कोई फर्क नहीं पड़ता होगा। लेकिन माना जाता है कि अंग्रेजों के शासन काल के दौरान ही ब्रिटिश इंजीनियर हैमिल्टन मैं भी कुछ इसी तरह की बातें कही थी। और वर्ष 1902 ई. के दौरान हैमिल्टन ने मंदिर के रहस्य को सुलझाने की तमाम कोशिशें की थी। की मंदिर का आधार किस खंभे पर टिका है यह जानने के लिए ब्रिटिश इंजीनियर हैमिल्टन ने उस हवा में झूलते खंभे पर हथौड़े से जोरदार प्रहार किया था। जिससे तकरीबन 25 फीट की दूरी पर स्थित खंभों में भी दरारें पड़ गई थी। जिससे हैमिल्टन को समझ में आ गया था कि मंदिर का सारा वजन अद्भुत रूप से इसी झूलते हुए खंभे पर है। और वह नतमस्तक होकर वापस अपने देश लौट गया था।
दोस्तों दंत कथाओं और ऐतिहासिकता के आधार पर मंदिर के निर्माण को लेकर अलग अलग विचारधारा है।दोस्तों इस मंदिर में एक स्वयंभू शिवलिंग भी मौजूद है जो भगवान शिव के रौद्राअवतार वीरभद्र के अवतार माने जाते हैं।कुछ ऐतिहासिक स्रोतों से पता चलता है कि यह शिवलिंग 15 वी शताब्दी तक खुले आसमान के नीचे विराजमान थे। तब 1538 ईस्वी में दो भाइयों विरूपन्ना और वीरन्ना ने इस मंदिर का निर्माण किया था।दोस्तों इन दोनों भाइयों का इतिहास मालूम करने पर पता चलता है कि यह दोनों भाई विजय नगर के राजा के अधीन काम किया करते थे।
लेकिन दोस्तों पौराणिक ग्रंथों के अनुसार माना जाता है कि लोपाक्षी मंदिर परिसर में स्थित वीरभद्र मंदिर का निर्माण ऋषि अगस्त्य ने करवाया था।
दोस्तों लोपाक्षी मंदिर को लेकर एक और कहानी प्रचलित है इस कहानी के अनुसार एक बार वैष्णवगण यानी भगवान विष्णु के भक्त और शैवगण यानी भगवान शिव के भक्तों के बीच एक दूसरे से सर्वश्रेष्ठ होने को लेकर आपस में बहस शुरू हो गई थी। जो कई युगो तक चलती रही जिसे रोकने के लिए अगस्त्य मुनि ने इसी स्थान पर कई युगों तक तप किया और अपने तपोबल के प्रभाव से उस बहस को समाप्त कर दिया। और वैष्णव गण और शैव गणों को यह भी एहसास कराया कि भगवान विष्णु और भगवान शिव एक दूसरे के पूरक हैं।
दोस्तों लोपाक्षी मंदिर के पास में ही भगवान विष्णु के एक अद्भुत रूप रघुनाथेश्वर जी का मूर्ति स्थापित है। दोस्तों यहां आप आश्चर्यजनक रूप से देखोगे कि भगवान विष्णु देवाधिदेव भगवान शिव शंभू के पीठ पर आसन जमाए हुए हैं। यानी दोस्तों यहां पर विष्णु जी को भगवान शिव शंभू के ऊपर प्रतिष्ठित किया गया है रघुनाथ स्वामी के रूप में इसलिए वे रघुनाथेश्वर कहलाए।
दोस्तों प्राचीन काल से ही लोपाक्षी मंदिर के इस झूलते हुए खंभे को लेकर एक परंपरा चली आ रही है , माना जाता है कि जो भी भक्तगण या श्रद्धालु लटकते हुए इस खंभे के नीचे से कपड़ा निकाल लेता है उनके जीवन में फिर किसी भी प्रकार का दुःख तकलीफ नहीं आता है एवं परिवार में सुख शांति और समृद्धि का आगमन होने लगता है।
दोस्तों कुछ भी हो यह अति प्राचीन मंदिर वाकई में अलौकिक और अद्भुत है जो अपने रहस्यमई वास्तुशिल्प के कारण विश्व प्रसिद्ध है।
धन्यवाद दोस्तों
माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗
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English translate
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Hello friends, I would like to extend my hearty greetings to all of you mountain leopard Mahendra. Friends, today I am taking you on a journey to a temple which has been a center of curiosity since ancient times. Yes friends! A temple whose pillars swing in the air, friends. Surprisingly, this ancient 70 pillar temple is challenging science in today's modern era, how our ancestors would have built this temple thousands of years ago. .
Ancient Lopakshi or Virbhadra Temple
Andhra Pradesh
India
Friends, you all must be aware that there is no shortage of such temples in our country of India, which are not supernatural, miraculous and full of mysteries. Friends is one such temple in South India, in which even the British have teeth in solving the mysteries. Had gone. And they could never know the secret of this temple. Friends, this temple has been a center of curiosity among the people since time immemorial. And rarely will we ever be able to solve this mystery. Friends, this temple is dedicated to Lord Shiva and Lord Vishnu and Lord Veerabhadra.
Friends: The very ancient Lopakshi temple established in Anantapur district of Andhra Pradesh state of India is wonderfully built on 70 pillars, but friends, you will be surprised to know that one pillar of the temple not only touches the earth but also amazingly swings in the air. Lives, and friends supernaturally, the entire weight of the temple rests on this swinging pillar that makes scientists all over the world think about how this can be possible but friends this is the truth, this is the truth, the supernatural Is, and is amazing.
Let's go back a bit, in the British era, at that time the temple was told that this 70-pillared temple rests on 69 pillars except for one swinging pillar. That is why those people thought that swinging a pillar in the air would not matter. But it is believed that it was during the British rule that British engineer Hamilton I also said something similar. And during the year 1902 AD, Hamilton made all efforts to solve the mystery of the temple. To know on which pillar the base of the temple rests, the British engineer Hamilton hit the pillar swinging in the air with a hammer. Due to which there were cracks in the pillars located at a distance of about 25 feet. From which Hamilton understood that all the weight of the temple is amazingly on this swinging pillar. And he returned to his homeland after being sullen.
Friends, there is a different ideology regarding the construction of the temple based on the legend and historicity. Friends, this temple also has a self-styled Shivling which is considered to be the incarnation of Lord Shiva's Raudraavatar Virabhadra. Some historical sources suggest that this Shivling By the 15th century, they were seated under the open sky. Then in 1538 AD, two brothers Virupanna and Veeranna built this temple. Friends, after knowing the history of these two brothers, it is known that these two brothers worked under the king of Vijaynagar.
But according to friends mythological texts, it is believed that the Veerabhadra temple located in the Lopakshi temple complex was built by sage Agastya.
Friends, another story is prevalent about Lopakshi temple.According to this story, once a debate started between the Vaishnavganas, devotees of Lord Vishnu and the devotees of Lord Shiva, to get the best of each other. Agastya Muni meditated at this place for many ages and ended the debate with the influence of his Tapobal, which was to last for many Yugos. And also made Vaishnava gana and Shaiva ganas realize that Lord Vishnu and Lord Shiva are complementary to each other.
Friends, a statue of Raghunatheshwar Ji, a wonderful form of Lord Vishnu, is installed near the Lopakshi temple. Friends, here you will see amazingly that Lord Vishnu Devadhidev is sitting on the back of Lord Shiva Shambhu. That is, here friends, Vishnu has been revered over Lord Shiva Shambhu as Raghunath Swami, hence he is called Raghunatheshwar.
Friends, a tradition has been going on since ancient times about this swinging pillar of Lopakshi temple, it is believed that any devotee or devotee who removes the cloth from the hanging under this pillar will have any kind of grief in their life again. There is no problem and happiness, peace and prosperity start coming in the family.
Whatever be the friends, this very ancient temple is truly supernatural and wonderful, which is world famous due to its mysterious architecture.
Thanks guys
Mountain Leopard Mahendra 🧗🧗