Friday, March 5, 2021

एक यात्रा कर्नाटका के शिवकाशी नदी की जहां हम देखेंगे हजारों पवित्र शिवलिंगों को - सिरसी कर्नाटका भारत वर्ष A visit to the Sivakasi River in Karnataka where we will see thousands of holy Shivalingas - Sirsi Karnataka India

Ek yatra khajane ki khoje






























  नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं दोस्तों आज की यात्रा पर मैं आप सभी लोगों को लेकर चल रहा हूं एक बहुत ही अद्भुत और अकल्पनीय अलौकिक नदी की यात्रा पर जहां मौजूद है हजारों पवित्र शिवलिंग और साथ ही साथ भगवान शिव के शिवगण । जिन्हें नदी में मौजूद पत्थरों पर  बनाया गया है।। आइए दोस्तों चलते हैं पवित्र नदी की ओर ।









 दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि  कर्नाटक में मौजूद एक छोटा से नगर सिरसी हैं जो अपने एक अद्भुत नदी शलमाला के कारण देश-विदेश में काफी प्रसिद्ध हैं क्योंकि इस नदी में भगवान शिव के प्रतिरूप  शिवलिंग हजारों की संख्या में मौजूद हैं । दोस्तों  आश्चर्य की बात है कि ये सभी शिवलिंग नदी के बीच में मौजूद चट्टानों पर ही बने हैं । इतना ही नहीं दोस्तों  नदी में मौजूद चट्टानों पर  शिवलिंगों के साथ साथ  नंदी , नागराज आदि भगवान् शिव से संबंधित  चिन्हों की भी आकृतियां बनी हुई है । दोस्तों इन शिवलिंगों के हजारों की संख्या में मौजूद होने की वजह से इस स्थान का नाम सहस्रलिंगम भी है ।

















दोस्तों कहते हैं कि नदी स्वयं करतीं हैं भगवान शिव को जलाभिषेक , दोस्तों इस कारण से नदी को बहुत ही पवित्र माना जाता है जिसका एक कारण तो  यहां भारी संख्या में शिवलिंग का मौजूद होना तो है ही  साथ ही साथ चट्टानों के नदी के बीच में होने के कारण  नदी स्वयं ही इन शिवलिंगों का  जलाभिषेक करतीं हैं  जिस कारण से नदी को बहुत ही पवित्र माना जाता है । दोस्तों यही कारण है कि  सावन के महीने में दूर दूर से हजारों श्रद्धालु यहां इन शिवलिंगों का दर्शन और पूजा करने के लिए आते हैं।










दोस्तों साहित्यिक दस्तावेजों में वर्णित हैं कि 16 वीं सदी में सदाशिवाराय नाम के एक महा शिव भक्त  सम्राट हुआं करते थे । माना जाता है कि वे अपने आराध्य भगवान शिव के लिए कुछ अद्भुत करना चाहते थे इसलिए उन्होंने शलमाला  नदी के बीच में  भगवान शिव और उनके प्रिय शिव गणों की हजारों आकृतियां निर्मित करवा दी थी।















दोस्तों इस अद्भुत  नजारे को देखने के लिए शिव भक्तो को नवंबर से मार्च के महीने में यहां आना चाहिए , क्योंकि इन दो  महीनों में जाना सबसे उत्तम माना जाता है। दोस्तों वैसे तो इस अद्भुत नजारे को देखने के लिए प्रत्येक दिन यहां अनेकों शिव भक्तो का आना-जाना लगा रहता है  लेकिन दोस्तों  शिवरात्रि व श्रावणमास के सोमवार को यहां भक्तगण  विशेष रूप से आते हैं । दोस्तों स्थानीय लोगों का मानना है कि सहस्र लिंगम के दर्शन मात्र से भक्तों के सभी दुखों का निवारण हो जाता है।











                  धन्यवाद दोस्तों
 
                माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗

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               English translate
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 Hello friends I heartily greet all of you mountain leopard Mahendra Friends, on today's journey I am taking all of you on a journey of a very amazing and unimaginable supernatural river where thousands of holy Shivalingas exist as well as God  Shiva of Shiva.  Which are built on the stones present in the river.  Let's go to the holy river, friends.

















 Friends, you will be surprised to know that Sirsi is a small town present in Karnataka which is quite famous in the country and abroad due to its amazing river Shalmala, because this river has thousands of Shivalingas, replicants of Lord Shiva.  Surprising friends, all these are built on the rocks in the middle of the Shivalinga river.  Not only this, along with the Shivling on the rocks present in the river friends, the figures of Nandi, Nagaraja etc. related to Lord Shiva also remain.  Friends, this place is also named Sahasralingam due to the presence of thousands of these Shivlingas.











 Friends say that the river itself performs Lord Shiva's Jalabhishek, friends, because of this reason the river is considered very sacred, one of the reasons is that there is a large number of Shivling present here as well as rocks being in the middle of the river.  Due to this, the river itself performs these Shivalingas for water, due to which the river is considered very sacred.  Friends, this is the reason that thousands of devotees from far and wide come here to visit and worship these Shivalingas during the month of Sawan.




















 Friends are mentioned in literary documents that in the 16th century a great Shiva devotee named Sadasivaraya used to be the emperor.  It is believed that he wanted to do something amazing for his adorable Lord Shiva, so he had built thousands of figures of Lord Shiva and his beloved Shiva Ganas in the middle of the Shalmala River.









 Friends, to see this amazing view, Shiva devotees should come here in the month of November to March, because it is considered best to go in these two months.  Friends, to see this amazing view, many Shiva devotees visit here every day, but the devotees especially come here on the Monday of Shivaratri and Shravanmas.  Friends local people believe that the mere sight of Sahasra Lingam relieves all the sufferings of the devotees.













 Thanks guys



 Mountain Leopard Mahendra                            🧗🧗































A visit to the Sivakasi River in Karnataka where we will see thousands of holy Shivalingas - Sirsi Karnataka India

Wednesday, March 3, 2021

भारत वर्ष की सबसे प्राचीन नटराज की प्रतिमा - उड़िसा भारत वर्ष Statue of the oldest Nataraja of India - Odisha India .

Ek yatra khajane ki khoje














                       प्राचीन प्रतिमा भगवान नटराज की
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  नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं दोस्तों आप सभी जो यह प्रतिमा देख रहे हैं यह भारत वर्ष की सबसे प्राचीन नटराज की प्रतिमा है ।










 दोस्तों माना जाता है कि यह भारत वर्ष की सबसे प्राचीन भगवान शिव की नटराज रूप वालीं प्रतिमा है  जिसे चौथी शताब्दी के आसपास निर्माण किया गया था । दोस्तों  प्रतिमा के नीचे नागा वंश के महाराजा सत्रुभंजा का 13 पंक्तियों का  शिलालेख  के रूप में उल्लेखित किया गया है जिसमें पाटलिपुत्र और  तटीय राज्य उड़िसा में विदेशी मूल के  कुषाण शासकों और मुरूंडा शासकों के साथ कई विजयी लड़ाईयां लड़ी थी ।इन सब बातों का शिलालेख में उल्लेख किया गया है । साथ ही साथ यह शिलालेख बताता है कि उसके सम्राज्य की सीमा  पूरब में गुहाटी से लेकर  पश्चिम में  संगाला यानी  हिमाचल प्रदेश तक था । 









दोस्तों इसी शिलालेख में उल्लेख है कि उसने अपने साम्राज्य के  धार्मिक और आध्यात्मिक  स्थलों को खुले दिल से मुक्तदान किया था । दोस्तों सत्रुभंजा की  राज्य की राजधानी "आसनपत"  उड़ीसा के क्योंझर जिले में स्थित थी । दोस्तों यह प्राचीन भगवान शिव की नटराज  अवस्था वाली प्रतिमा हमारे पूर्वजों की अनमोल धरोहर है ।






                  धन्यवाद दोस्तों

              माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗

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            English translate
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                    Ancient Statue of Lord Nataraja
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  Hello friends, I am a mountain leopard Mahendra, a warm greetings to all of you guys, all of you who are seeing this statue, it is the oldest Nataraja statue of the year India.










 Friends, it is believed that this is the Nataraja form of the oldest Lord Shiva of India, which was built around the fourth century.  Under the Friends statue, Maharaja Satubhanja of the Naga dynasty is mentioned in a 13-line inscription in which several victorious battles were fought with the Kushan rulers of foreign origin and the Murunda rulers in Pataliputra and the coastal state of Orissa.  Has been mentioned.  At the same time, this inscription states that the extent of his empire ranged from Guhati in the east to Sangala in the west i.e. Himachal Pradesh.







 Friends, it is mentioned in this inscription that he liberated the religious and spiritual sites of his empire with an open heart.  Friends, the state capital of Sasrubhanja "Asanpat" was located in Keonjhar district of Odisha.  Friends, this ancient Nataraja statue of Lord Shiva is a precious heritage of our ancestors.







 Thanks guys


 Mountain Leopard Mahendra                           🧗🧗















 

Tuesday, March 2, 2021

एक यात्रा रामलिंगम राॅक कट मंदिर की -पलसंबिया महाराष्ट्र भारत वर्ष A visit to Ramlim Rock cut temple - Palsambia Maharashtra India .

Ek yatra khajane ki khoje



























 नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं दोस्तों आज की यात्रा पर मैं जा रहा हूं महाराष्ट्रा के पलसंबिया क्षेत्र के अद्भुत और अकल्पनीय रामलिंगम के खंडहरों को देखने जो अद्भुत संरचनाओं के लिए विश्व प्रसिद्ध हैं।





















   

 
 दोस्तों महाराष्ट्रा के पलसंबिया क्षेत्र को रामलिंगम  खंडहरों के रूप में जाना जाने वाले  अद्वितीय और अलौकिक पत्थर के संरचनाओं के लिए जाना जाता है। दोस्तों किंवदंतियां हैं कि  इन अखंड और अलौकिक मंदिरों का निर्माण महाभारत काल में पांडवों द्वारा एक ही रात में किया गया था । दोस्तों पांडवों से तात्पर्य है पांचों भाईयों  , युधिष्ठिर , भीम ,  अर्जून , नकुल और सहदेव से हैं जो महाभारत के प्रमुख नायक थे।

















दोस्तों आश्चर्यजनक रूप से प्रवेश द्वार पर भगवान गणेश की प्रतिमा के साथ  12 शिव लिंग स्थापित है  जो स्थानीय मान्यताओं के अनुसार 12 ज्योर्तिलिंग का प्रतिनिधित्व करतें हैं ।







 
                 धन्यवाद दोस्तों
          माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗
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              English translate
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Hello friends, I am a mountain lepard Mahendra, a hearty greeting to all of you guys. Today I am going to visit the amazing and unimaginable Ramalingam ruins of Palsambia region of Maharashtra which are world famous for amazing structures.





























 Friends Palsambia region of Maharashtra is known for unique and supernatural stone structures known as Ramalingam ruins.  Friends are legends that these monolithic and supernatural temples were built by the Pandavas in the Mahabharata period on a single night.  Friends, the Pandavas, refers to the five brothers, Yudhishthira, Bhima, Arjuna, Nakula and Sahadeva, who were the main protagonists of the Mahabharata.















 Friends, surprisingly, 12 Shiva lingas are installed at the entrance with a statue of Lord Ganesha representing 12 Jyotirlingas as per local beliefs.









 Thanks guys

 Mountain Leopard Mahendra                          🧗🧗






























   Mountain lappord Mahendra.                        🧗🧗










   

Monday, March 1, 2021

महान योद्धा कर्ण का कवच कुंडल का साक्षात् दर्शन दण्डाकारण्य वन के दण्डाकारण्य वन के घने जंगलों में स्थित इन्द्रसराय घाटी के गहरी गुफा के अंदर- बीजा पुर, छत्तीसगढ़ भारत वर्ष Inside the deep cave of Indrasarai valley situated in the dense forests of Dandakaranya forest of Dandakaranya forest, the great warrior Karna's armor coil - Bija Pur, Chhattisgarh, India.

Ek yatra khajane ki khoje













                    गुफा के रहस्यमई रोशनी
          Mysterious lights of the cave















   नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं। दोस्तों आज की यात्रा पर मैं आप सभी को लेकर चल रहा हूं  दण्डकारण्य वन के घने जंगलों में स्थित  इन्द्रसराय घाटी और नीलम सराय की यात्रा पर  जहां हम खोज करेंगे महान योद्धा  दानवीर कर्ण के "कवच-कुंडल"की , जिसे यहां के रहने वाले आदिवासियों ने  अपने आंखों से देखा है । दोस्तों  जिस गुफा में कवच-कुंडल मौजूद है उस गुफा के मुहाने से सुर्य के तेज़ रोशनी निकलते रहती हैं । दोस्तों यह गुफा स्थित है  छत्तीसगढ़ के बीजापुर के घने जंगलों में स्थित दंडकारण्य वन के  इन्द्र सराय घाटी में । जहां पहुंचना हीं बहुत कठीन और खतरनाक है। क्योंकि इन बिहड़ो में हर समय नक्सलियों का डर बना रहता है । साथ ही साथ खतरनाक  जीव जंतुओं और खतरनाक सांपों का जो हर समय गुफा के आसपास ही मौजूद होते हैं ऐसा लगता है दोस्तों ये खतरनाक और बड़े-बड़े सांप  कर्ण के कवच-कुंडल की रक्षा करने के लिए हर समय मौजूद रहते हैं । ताकि ये कवच-कुंडल किसी गलत हाथों में न पड़ जाए।







  महाभारत के महान् योद्धा दानवीर कर्ण का कवच-कुंडल।
 रहस्यमई दंडकारण्य वन के इन्द्र सराय घाटी के गुफाओं में। 
      
                 बीजा पुर
                छत्तीसगढ़
                भारत वर्ष

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 दोस्तों योद्धाओं के योद्धा महावली कर्ण से जुड़ी हुई हैं हमारा यात्रा । दोस्तों छत्तीसगढ़ के गुफा में कर्ण का कवच-कुंडल आज भी रखें हुए हैं , जिसकी चमक लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं जिसे  स्थानीय आदिवासियों के साथ साथ कुछ बाहरी प्रतिष्ठित  समाचार पत्र वालों ने अपने आंखों से उस अद्भुत और अलौकिक रोशनी को देखा है  लेकिन वे लोग छू तक नहीं पाएं हैं । दोस्तों स्थानीय लोगों का मानना है कि  भगवान इंद्र द्वारा  धोखे से  दानवीर कर्ण से  उनका कवच-कुंडल हासिल कर लिया था । जिस कारण भगवान् सूर्य देव उनसे बहुत नाराज़ हो गऐ थे । और गुस्से में इन्द्र देव को श्राप दे दिया था। और कहा  कि जब तक तुम्हारे पास कर्ण का कवच-कुंडल रहेगा जब तक तुम स्वर्ग में प्रवेश नहीं कर पाओगे।  दोस्तों जिस कारण से इंद्र देव  कई वर्षों तक  कवच-कुंडल को लेकर धरती पर घुमते रहें थे।  अंततः एक  दिन वे अपने रथ सहित  धरती पर आ गिरे थे आकाश से। जहां आज भी इंद्र देव के रथ के पहिये का निशान मौजूद है यह निशान भी इंद्र सराय घाटी के नीलम सराय झरनें के नीचे मौजूद है । दोस्तों गर्मी के दिनों में जब झरने का पानी पुरी तरह से सुख जाता है तो रथ के पहियों का निशान स्पष्ट रूप से दिखता है । दोस्तों इंद्र देव ने  झरने के पास के ही एक गुफा में  कर्ण के कवच-कुंडल को छुपा दिया था।  जहां लोगों को पहुंचना आसान नहीं था। दोस्तों हजारों हजार वर्ष तक यह रहस्य इस गुफा में दफन था । लेकिन अंततः कुछ स्थानीय  आदिवासियों की नज़र इस रहस्यमई रोशनी पर पड़ ही गई  । जो इन घने जंगलों से सदियों से रहते आये थे । लेकिन दोस्तों वे भी रहस्य को आज तक सुलझा पाए हैं । और नहीं समाचार चैनलों वाले । जबकि वे सभी उस वस्तु के पास तक पहुंच चुके हैं जिससे हर समय बहुत तीव्र प्रकाश निकलती रहती हैं ।





















दोस्तों  पवित्र ग्रंथ महाभारत में वर्णित है कि कर्ण का जन्म  कवच-कुंडल के साथ ही हुआ था । दोस्तों न जाने कितने युग बीत गए हैं इस घटना को घटित हुए । दोस्तों आज दानवीर कर्ण के उसी कवच-कुंडल को  स्थानीय जंगल के आदिवासियों द्वारा खोज  लिएं जाने का दावा किया जा रहा है । दोस्तों आश्चर्य करने वाली बात यह है कि  रहस्यमई प्रकाशमय कवच-कुंडल आंखों के सामने मौजूद होने के बावजूद भी कोई भी व्यक्ति उसे हासिल नहीं कर पा रहा है। जबकि वह आंख के सामने ही तीव्र रोशनी के साथ प्रकाशमय हों रहा है ।



                 इंद्र सराय घाटी में मौजूद वह रहस्यमई गुुफा 
                   That mysterious cave in the Indra Sarai Valley





दोस्तों जब आप उस रहस्यमई गुफा में पहुंचोगे तो देखोगे कि उस गहरी और अंधेरी गुफा में  तीव्र पीली रोशनी प्रस्फुटित हो रही हैं। दोस्तों धुप अंधेरी गुफा में  तेज सूर्य के प्रकाश के समान चमकने वाली यह रोशनी  जिस वस्तु से निकल रही है  उस तक पहुंचना  शाय़द हम जैसे साधारण मनुष्यों के बस की बात नहीं है। तभी तो आज तक कोई भी मनुष्य  जिसने भी उसे देखा है  उसे उठा   नहीं पाया है  , यहां तक कि स्पर्श भी नहीं कर पाएं हैं। 










                  धन्यवाद दोस्तों

                 माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗

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              English translate
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 Hello friends I extend my hearty greetings to all of you guys at Mountain Leopard Mahendra.  Friends, today I am taking you all on a journey of Indrasarai valley and Neelam Sarai situated in the dense forests of Dandakaranya forest, where we will discover the "armor-coil" of the great warrior Danvir Karna, which the tribals living here  Has seen with his own eyes.  Friends, in the cave where the armor-coil is present, bright lights of the sun come out from the mouth of the cave.  Friends, this cave is located in the Indra Sarai valley of Dandakaranya forest located in the dense forests of Bijapur in Chhattisgarh.  Where to reach is very difficult and dangerous.  Because there is a fear of Naxalites in all these times.  At the same time, it seems that the dangerous creatures and dangerous snakes which are present around the cave all the time, these dangerous and big snakes are present all the time to protect Karna's armor-coil.  So that this armor-coil does not fall into any wrong hands.



















 The armor-coil of Danavir Karna, the great warrior of Mahabharata.

 In the caves of Indra Sarai valley of the mysterious Dandakaranya forest.



 Bija Pur

 Chhattisgarh

 India year


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 Our journey is associated with Mahavali Karna, the warrior of friends warriors.  Friends still keep Karna's armor-coil in the cave of Chhattisgarh, the glow of which attracts people towards it, which the local tribals as well as some outsider reputed newspapers have seen that amazing and supernatural light from their eyes but  Those people are not even able to touch.  Friends locals believe that Lord Indra had fraudulently acquired his armor-coil from Danveer Karna.  Due to which Lord Surya Dev became very angry with him.  And cursed Indra Dev in anger.  And said that as long as you have Karna's armor and coil, you will not be able to enter heaven.  Friends, for which reason Indra Dev used to roam the earth with armor-coil for many years.  Finally one day he fell on the earth with his chariot from the sky.  Where even today the trail of the wheel of Indra Dev's chariot is present, this trail is also present under the Sapphire Sarai Jharen of Indra Sarai Valley.  Friends, when the water of the spring completely dries up in the summer, the sign of the wheels of the chariot is clearly visible.  Friends Indra Dev hid Karna's armor-coil in a cave near the waterfall.  Where people were not easy to reach.  Friends, this secret was buried in this cave for thousands of years.  But eventually some local tribals caught sight of this mysterious light.  Who had lived through these dense forests for centuries.  But friends, they too have solved the mystery till date.  No more news channels.  Whereas all of them have reached the object from which very intense light comes out all the time.














 Friends, it is mentioned in the holy book Mahabharata that Karna was born with the armor-coil.  Friends, do not know how many eras have passed, this incident happened.  Friends, today the same armor-coil of Danveer Karna is being claimed to have been discovered by the tribals of the local forest.  Friends, the surprising thing is that despite the mysterious luminous armor-coil being present in front of the eyes, no person is able to achieve it.  Whereas he is being illuminated with intense light in front of the eye.








 Friends, when you reach that mysterious cave, you will see that intense yellow light is erupting in that deep and dark cave.  Friends, this light, which shines like a bright sunlight in a sunken cave, is not just a matter of ordinary humans like us to reach the object from which it is emanating.  That is why till today, no human who has seen him has been able to lift it, even he has not been able to touch it.












 Thanks guys


 Mountain Leopard Mahendra                           🧗🧗





















       Mountain lappord Mahendra 🧗🧗




























   

Ek yatra khajane ki khoje me

एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग

          ( एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग )                          www.AdventurSport.com सभी फोटो झारखणड़ के...