Tuesday, March 2, 2021

एक यात्रा रामलिंगम राॅक कट मंदिर की -पलसंबिया महाराष्ट्र भारत वर्ष A visit to Ramlim Rock cut temple - Palsambia Maharashtra India .

Ek yatra khajane ki khoje



























 नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं दोस्तों आज की यात्रा पर मैं जा रहा हूं महाराष्ट्रा के पलसंबिया क्षेत्र के अद्भुत और अकल्पनीय रामलिंगम के खंडहरों को देखने जो अद्भुत संरचनाओं के लिए विश्व प्रसिद्ध हैं।





















   

 
 दोस्तों महाराष्ट्रा के पलसंबिया क्षेत्र को रामलिंगम  खंडहरों के रूप में जाना जाने वाले  अद्वितीय और अलौकिक पत्थर के संरचनाओं के लिए जाना जाता है। दोस्तों किंवदंतियां हैं कि  इन अखंड और अलौकिक मंदिरों का निर्माण महाभारत काल में पांडवों द्वारा एक ही रात में किया गया था । दोस्तों पांडवों से तात्पर्य है पांचों भाईयों  , युधिष्ठिर , भीम ,  अर्जून , नकुल और सहदेव से हैं जो महाभारत के प्रमुख नायक थे।

















दोस्तों आश्चर्यजनक रूप से प्रवेश द्वार पर भगवान गणेश की प्रतिमा के साथ  12 शिव लिंग स्थापित है  जो स्थानीय मान्यताओं के अनुसार 12 ज्योर्तिलिंग का प्रतिनिधित्व करतें हैं ।







 
                 धन्यवाद दोस्तों
          माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗
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              English translate
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Hello friends, I am a mountain lepard Mahendra, a hearty greeting to all of you guys. Today I am going to visit the amazing and unimaginable Ramalingam ruins of Palsambia region of Maharashtra which are world famous for amazing structures.





























 Friends Palsambia region of Maharashtra is known for unique and supernatural stone structures known as Ramalingam ruins.  Friends are legends that these monolithic and supernatural temples were built by the Pandavas in the Mahabharata period on a single night.  Friends, the Pandavas, refers to the five brothers, Yudhishthira, Bhima, Arjuna, Nakula and Sahadeva, who were the main protagonists of the Mahabharata.















 Friends, surprisingly, 12 Shiva lingas are installed at the entrance with a statue of Lord Ganesha representing 12 Jyotirlingas as per local beliefs.









 Thanks guys

 Mountain Leopard Mahendra                          🧗🧗






























   Mountain lappord Mahendra.                        🧗🧗










   

Monday, March 1, 2021

महान योद्धा कर्ण का कवच कुंडल का साक्षात् दर्शन दण्डाकारण्य वन के दण्डाकारण्य वन के घने जंगलों में स्थित इन्द्रसराय घाटी के गहरी गुफा के अंदर- बीजा पुर, छत्तीसगढ़ भारत वर्ष Inside the deep cave of Indrasarai valley situated in the dense forests of Dandakaranya forest of Dandakaranya forest, the great warrior Karna's armor coil - Bija Pur, Chhattisgarh, India.

Ek yatra khajane ki khoje













                    गुफा के रहस्यमई रोशनी
          Mysterious lights of the cave















   नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं। दोस्तों आज की यात्रा पर मैं आप सभी को लेकर चल रहा हूं  दण्डकारण्य वन के घने जंगलों में स्थित  इन्द्रसराय घाटी और नीलम सराय की यात्रा पर  जहां हम खोज करेंगे महान योद्धा  दानवीर कर्ण के "कवच-कुंडल"की , जिसे यहां के रहने वाले आदिवासियों ने  अपने आंखों से देखा है । दोस्तों  जिस गुफा में कवच-कुंडल मौजूद है उस गुफा के मुहाने से सुर्य के तेज़ रोशनी निकलते रहती हैं । दोस्तों यह गुफा स्थित है  छत्तीसगढ़ के बीजापुर के घने जंगलों में स्थित दंडकारण्य वन के  इन्द्र सराय घाटी में । जहां पहुंचना हीं बहुत कठीन और खतरनाक है। क्योंकि इन बिहड़ो में हर समय नक्सलियों का डर बना रहता है । साथ ही साथ खतरनाक  जीव जंतुओं और खतरनाक सांपों का जो हर समय गुफा के आसपास ही मौजूद होते हैं ऐसा लगता है दोस्तों ये खतरनाक और बड़े-बड़े सांप  कर्ण के कवच-कुंडल की रक्षा करने के लिए हर समय मौजूद रहते हैं । ताकि ये कवच-कुंडल किसी गलत हाथों में न पड़ जाए।







  महाभारत के महान् योद्धा दानवीर कर्ण का कवच-कुंडल।
 रहस्यमई दंडकारण्य वन के इन्द्र सराय घाटी के गुफाओं में। 
      
                 बीजा पुर
                छत्तीसगढ़
                भारत वर्ष

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 दोस्तों योद्धाओं के योद्धा महावली कर्ण से जुड़ी हुई हैं हमारा यात्रा । दोस्तों छत्तीसगढ़ के गुफा में कर्ण का कवच-कुंडल आज भी रखें हुए हैं , जिसकी चमक लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं जिसे  स्थानीय आदिवासियों के साथ साथ कुछ बाहरी प्रतिष्ठित  समाचार पत्र वालों ने अपने आंखों से उस अद्भुत और अलौकिक रोशनी को देखा है  लेकिन वे लोग छू तक नहीं पाएं हैं । दोस्तों स्थानीय लोगों का मानना है कि  भगवान इंद्र द्वारा  धोखे से  दानवीर कर्ण से  उनका कवच-कुंडल हासिल कर लिया था । जिस कारण भगवान् सूर्य देव उनसे बहुत नाराज़ हो गऐ थे । और गुस्से में इन्द्र देव को श्राप दे दिया था। और कहा  कि जब तक तुम्हारे पास कर्ण का कवच-कुंडल रहेगा जब तक तुम स्वर्ग में प्रवेश नहीं कर पाओगे।  दोस्तों जिस कारण से इंद्र देव  कई वर्षों तक  कवच-कुंडल को लेकर धरती पर घुमते रहें थे।  अंततः एक  दिन वे अपने रथ सहित  धरती पर आ गिरे थे आकाश से। जहां आज भी इंद्र देव के रथ के पहिये का निशान मौजूद है यह निशान भी इंद्र सराय घाटी के नीलम सराय झरनें के नीचे मौजूद है । दोस्तों गर्मी के दिनों में जब झरने का पानी पुरी तरह से सुख जाता है तो रथ के पहियों का निशान स्पष्ट रूप से दिखता है । दोस्तों इंद्र देव ने  झरने के पास के ही एक गुफा में  कर्ण के कवच-कुंडल को छुपा दिया था।  जहां लोगों को पहुंचना आसान नहीं था। दोस्तों हजारों हजार वर्ष तक यह रहस्य इस गुफा में दफन था । लेकिन अंततः कुछ स्थानीय  आदिवासियों की नज़र इस रहस्यमई रोशनी पर पड़ ही गई  । जो इन घने जंगलों से सदियों से रहते आये थे । लेकिन दोस्तों वे भी रहस्य को आज तक सुलझा पाए हैं । और नहीं समाचार चैनलों वाले । जबकि वे सभी उस वस्तु के पास तक पहुंच चुके हैं जिससे हर समय बहुत तीव्र प्रकाश निकलती रहती हैं ।





















दोस्तों  पवित्र ग्रंथ महाभारत में वर्णित है कि कर्ण का जन्म  कवच-कुंडल के साथ ही हुआ था । दोस्तों न जाने कितने युग बीत गए हैं इस घटना को घटित हुए । दोस्तों आज दानवीर कर्ण के उसी कवच-कुंडल को  स्थानीय जंगल के आदिवासियों द्वारा खोज  लिएं जाने का दावा किया जा रहा है । दोस्तों आश्चर्य करने वाली बात यह है कि  रहस्यमई प्रकाशमय कवच-कुंडल आंखों के सामने मौजूद होने के बावजूद भी कोई भी व्यक्ति उसे हासिल नहीं कर पा रहा है। जबकि वह आंख के सामने ही तीव्र रोशनी के साथ प्रकाशमय हों रहा है ।



                 इंद्र सराय घाटी में मौजूद वह रहस्यमई गुुफा 
                   That mysterious cave in the Indra Sarai Valley





दोस्तों जब आप उस रहस्यमई गुफा में पहुंचोगे तो देखोगे कि उस गहरी और अंधेरी गुफा में  तीव्र पीली रोशनी प्रस्फुटित हो रही हैं। दोस्तों धुप अंधेरी गुफा में  तेज सूर्य के प्रकाश के समान चमकने वाली यह रोशनी  जिस वस्तु से निकल रही है  उस तक पहुंचना  शाय़द हम जैसे साधारण मनुष्यों के बस की बात नहीं है। तभी तो आज तक कोई भी मनुष्य  जिसने भी उसे देखा है  उसे उठा   नहीं पाया है  , यहां तक कि स्पर्श भी नहीं कर पाएं हैं। 










                  धन्यवाद दोस्तों

                 माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗

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              English translate
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 Hello friends I extend my hearty greetings to all of you guys at Mountain Leopard Mahendra.  Friends, today I am taking you all on a journey of Indrasarai valley and Neelam Sarai situated in the dense forests of Dandakaranya forest, where we will discover the "armor-coil" of the great warrior Danvir Karna, which the tribals living here  Has seen with his own eyes.  Friends, in the cave where the armor-coil is present, bright lights of the sun come out from the mouth of the cave.  Friends, this cave is located in the Indra Sarai valley of Dandakaranya forest located in the dense forests of Bijapur in Chhattisgarh.  Where to reach is very difficult and dangerous.  Because there is a fear of Naxalites in all these times.  At the same time, it seems that the dangerous creatures and dangerous snakes which are present around the cave all the time, these dangerous and big snakes are present all the time to protect Karna's armor-coil.  So that this armor-coil does not fall into any wrong hands.



















 The armor-coil of Danavir Karna, the great warrior of Mahabharata.

 In the caves of Indra Sarai valley of the mysterious Dandakaranya forest.



 Bija Pur

 Chhattisgarh

 India year


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 Our journey is associated with Mahavali Karna, the warrior of friends warriors.  Friends still keep Karna's armor-coil in the cave of Chhattisgarh, the glow of which attracts people towards it, which the local tribals as well as some outsider reputed newspapers have seen that amazing and supernatural light from their eyes but  Those people are not even able to touch.  Friends locals believe that Lord Indra had fraudulently acquired his armor-coil from Danveer Karna.  Due to which Lord Surya Dev became very angry with him.  And cursed Indra Dev in anger.  And said that as long as you have Karna's armor and coil, you will not be able to enter heaven.  Friends, for which reason Indra Dev used to roam the earth with armor-coil for many years.  Finally one day he fell on the earth with his chariot from the sky.  Where even today the trail of the wheel of Indra Dev's chariot is present, this trail is also present under the Sapphire Sarai Jharen of Indra Sarai Valley.  Friends, when the water of the spring completely dries up in the summer, the sign of the wheels of the chariot is clearly visible.  Friends Indra Dev hid Karna's armor-coil in a cave near the waterfall.  Where people were not easy to reach.  Friends, this secret was buried in this cave for thousands of years.  But eventually some local tribals caught sight of this mysterious light.  Who had lived through these dense forests for centuries.  But friends, they too have solved the mystery till date.  No more news channels.  Whereas all of them have reached the object from which very intense light comes out all the time.














 Friends, it is mentioned in the holy book Mahabharata that Karna was born with the armor-coil.  Friends, do not know how many eras have passed, this incident happened.  Friends, today the same armor-coil of Danveer Karna is being claimed to have been discovered by the tribals of the local forest.  Friends, the surprising thing is that despite the mysterious luminous armor-coil being present in front of the eyes, no person is able to achieve it.  Whereas he is being illuminated with intense light in front of the eye.








 Friends, when you reach that mysterious cave, you will see that intense yellow light is erupting in that deep and dark cave.  Friends, this light, which shines like a bright sunlight in a sunken cave, is not just a matter of ordinary humans like us to reach the object from which it is emanating.  That is why till today, no human who has seen him has been able to lift it, even he has not been able to touch it.












 Thanks guys


 Mountain Leopard Mahendra                           🧗🧗





















       Mountain lappord Mahendra 🧗🧗




























   

Saturday, February 27, 2021

एक यात्रा अलौकिक अमृतेश्वरा मंदिर की जो कर्नाटक राज्य के चिकमगलूर जिले के अमृतपुरा गांव में स्थित है। - भारत A visit to the supernatural Amriteshwara Temple which is located in Amritpura village in Chikmagalur district of Karnataka state. - India

Ek yatra khajane ki khoje

















                               अमृतेश्वरा मंदिर











  नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं दोस्तों आज की यात्रा पर मैं लेकर चल रहा हूं  अमृतेश्वरा मंदिर जोकि कर्नाटक के दुरदराज इलाके में मौजूद हैं ।




                   अमृतेश्वरा मंदिर
  
                चिकमगलूर कर्नाटक

                        भारतवर्ष

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 दोस्तों अमृतेश्वरा मंदिर  जोकि भारत के कर्नाटक राज्य के चिकमगलूर जिले से 67 किलोमीटर उत्तर में अमृतपुरा गांव में स्थित है , हासन से 110 किलोमीटर  एन. एच 206 शिमोगा से 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित अमृतपुरा गांव  भगवान शिव के अमृतेश्वरा मंदिर के लिए जाना जाता है ।  दोस्तों इस मंदिर का निर्माण 1196 ई. में  होयसला राजा  वीर बल्लाला दि्वतीय  अमृतेश्वर दंदनायका द्वारा बनवाया गया था।





















दोस्तों  कर्नाटक के दुरदराज इलाके में मौजूद यह गांव काफी  छोटा है। दोस्तों यह गांव  होयसाल राजवंश द्वारा  निर्मित एक बहुत ही सुंदर और स्थापत्यकला के दृष्टिकोण से बहुत ही अद्भुत और अलौकिक मंदिर जिसे हम सभी अमृतेश्वरा मंदिर के नाम से जानते हैं के लिए प्रसिद्ध है । दोस्तों यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है । दोस्तों इस मंदिर का निर्माण एक सेनापति  द्वारा  राजा  बल्लाला दि्वतीय अमृतेश्वरा दंडनायका के शासनकाल में किया गया था । दोस्तों यह मंदिर  भद्रा नदी के  जलाशय के नज़दीक बना हुआ है । दोस्तों यह चारों ओर से  नारियल और ताड़ के पेड़ों से घिरा हुआ है। जिससे मंदिर के खूबसूरती में चार-चांद लग जाती हैं।









दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि मंदिर में स्थापित भगवान शिव को नेपाल के गंडक नदी से लाया गया था। दोस्तों अद्भुत रूप से भगवान शिव के दाईं ओर माता शारदा देवी की  मूर्ति स्थित है । साथ ही साथ दोस्तों सबसे आश्चर्य करने वाली बात यह है कि अमृतेश्वरा मंदिर के अंदर एक दीपक 200 वर्षों से से लगातार जल रहा है। दोस्तों यह दीपक प्रत्येक दिन लगभग एक लीटर तेल की खपत करता है।












दोस्तों ऐतिहासिक स्रोत बताते हैं कि 11 वीं  और 14 वीं शताब्दी के बीच बनें इस क्षेत्र के सभी मंदिरों को होयसाल सम्राज्य द्वारा बनवाया गया था। दोस्तों ऐतिहासिक दस्तावेजों से पता चलता है कि इस युग के कारीगरों के पास अपनी खुद की एक अनूठी तकनीक थीं , जो उन्होंने उस कालखंड के सभी मंदिरों का निर्माण करते समय  प्रयोग किया था या  अपनाई थी। दोस्तों देखा जाए तो एक मंदिर आमतौरपर  निम्नलिखित विशेषताओं से  संपन्न होता हैं । खासकर मंदिरों के शिखर पर स्थित पुष्प को नक्काशीदार  बनाया जाता था , साथ ही साथ मंदिर में मौजूद मंडपों का निर्माण,  व मंडल को जटील रूप से तैयार स्तंभों पर खड़ा किया जाता था । दोस्तों अमृतेश्वरा मंदिर को  एकल विमान शैली  में बनाया गया है । दोस्तों ऐतिहासिक स्रोतों की मानें तो  " रूवरी मल्लितालम " नाम के एक प्रसिद्ध मूर्तिकार ने अपने इस कला या   नौकरी की शुरुआत इसी मंदिर से की थी ।






दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि अमृतेश्वरा मंदिर में बहुत सारी अनुठी विशेषताएं मौजूद है  , जो इसे अन्य  होयसल वंश द्वारा बनाये गये मंदिरों से अलग खड़ा करती है , दोस्तों सबसे आश्चर्य करने वाली विशेषता है मंदिर के अंदर मौजूद चमकते हुए खंभे या स्तंभ जो  मंदिर के छत को मजबूती से पकड़े हुए है। दोस्तों इन खंभों को देखकर लगता ही नहीं है कि इनका निर्माण  मनुष्यों ने किया होगा  , दोस्तों इस तरह  का निर्माण  वर्तमान समय के आधुनिक युग में भी संभव नहीं है । दोस्तों  मंदिर में एक विशाल पत्थर का शिलालेख  मौजूद है  , जिसपर कन्नड़ भाषा में  मंदिर का इतिहास और कन्नड़ काव्य वर्णित हैं  जो उस युग के महान कवियों के ज्ञान को दर्शाता हैं।














धन्यवाद दोस्तों मुझे नहीं लगता कि इन मंदिरों का निर्माण  मनुष्यों ने किया होगा  , बल्कि इन मंदिरों का निर्माण  दैवीय शक्तियों ने किया होगा  । फिर भी दोस्तो   ये हमारे पूर्वजों के अलौकिक और अनुपम धरोहर हैं जिसे बचाकर रखना हमारा परम कर्तव्य है ।










                   धन्यवाद दोस्तों


                माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗


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                English translate
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 Hello friends I heartily congratulate all of you mountain lepards Mahendra Friends, on today's journey I am taking Amriteshwara Temple which is present in Durdaraj area of ​​Karnataka.



















 Amriteshwara Temple



 Chikmagalur Karnataka


 India


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 Friends Amriteshwara Temple, which is located 67 km north of Chikmagalur district of Karnataka state, India, in Amritpura village, 110 km N. from Hassan.  H 206 Situated at a distance of 50 km from Shimoga, Amritpura village is known for the Amriteshwara temple of Lord Shiva.  Friends, this temple was built in 1196 AD by the Hoysala king Veer Ballala Diwati Amriteshwar Dandanayaka.










 Friends, this village in Durdaraj area of ​​Karnataka is quite small.  Friends, this village is famous for a very beautiful and supernatural temple built by the Hoysala dynasty and a very supernatural temple which we all know by the name of Amriteshwara Temple.  Friends, this temple is dedicated to Lord Shiva.  Friends, this temple was built by a commander during the reign of King Ballala Divati ​​Amriteshwara Dandanayaka.  Friends, this temple is situated near the reservoir of Bhadra River.  Friends, it is surrounded by coconut and palm trees.  Which adds to the beauty of the temple.















 Friends, you will be surprised to know that Lord Shiva installed in the temple was brought from the Gandak River in Nepal.  Friends, to the right of Lord Shiva is the statue of Goddess Sarada Devi.  At the same time, the most surprising thing is that friends, a lamp inside the Amriteshwara temple has been burning continuously for 200 years.  Friends, this lamp consumes about one liter of oil every day.










 Friends historical sources suggest that all the temples in this area, built between the 11th and 14th century, were built by the Hoysala Empire.  Friends Historical documents reveal that the artisans of this era had a unique technique of their own, which they used or adopted while constructing all the temples of that period.  Friends, a temple is usually endowed with the following characteristics.  The flowers, especially on the summit of the temples, were carved, as well as the construction of the mandapas present in the temple, and the mandalas were erected on the jatilically prepared pillars.  Friends Amriteshwara Temple is built in single Vimana style.  According to friends from historical sources, a famous sculptor named "Rouvari Mallittalam" started his art or job from this temple.


















 Friends, you will be surprised to know that Amriteshwara Temple has a lot of unique features, which makes it stand apart from the temples made by other Hoysala dynasty, friends. The most surprising feature is the shining pillars or pillars inside the temple which  Holding the roof firmly.  Friends, looking at these pillars, it is not possible that humans would have built them, friends, this kind of construction is not possible even in the modern era.  A huge stone inscription is present in the Friends temple, on which the history of the temple and Kannada poetry are described in the Kannada language which reflects the wisdom of the great poets of that era.







 Thanks guys, I do not think that these temples would have been built by humans, but rather these temples would have been built by divine powers.  Nevertheless friends, these are the supernatural and unique heritage of our ancestors, which is our ultimate duty to preserve.














 Thanks guys



 Mountain Leopard Mahendra                            🧗🧗

































































     
           Mountain lappord                                    Mahendra
                        🧗🧗




























Ek yatra khajane ki khoje me

एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग

          ( एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग )                          www.AdventurSport.com सभी फोटो झारखणड़ के...