Thursday, January 20, 2022

एक यात्रा भूल भुलैया वाले शिव मंदिर की विरुपाक्ष महादेव मंदिर रतलाम मध्यप्रदेश भारत A visit to the maze of Shiv Temple Virupaksha Mahadev Temple Ratlam Madhya Pradesh India.

Ek yatra khajane ki khoje





















  नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं दोस्तों आज की यात्रा पर मैं आपको लेकर चल रहा हूं । मध्य प्रदेश के रतलाम जिले के  बिलपांक गांव की जहां मौजूद हैं एक प्राचीन शिव मंदिर जो अद्भुत वास्तु शिल्प के कारण विश्व प्रसिद्ध हैं। दोस्तों यह मंदिर भूल भुलैया वाले शिव मंदिर के नाम से भी प्रसिद्ध हैं।

    विरुपाक्ष महादेव मंदिर

        रतलाम मध्यप्रदेश

              भारतवर्ष












   दोस्तों यह प्राचीन मंदिर विरुपाक्ष महादेव मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। दोस्तों कई प्राचीन दस्तावेजों के से पता चलता है कि इस प्राचीन मंदिर की स्थापना मध्य युग से पूर्व परमार वंश के राजाओं ने की थी। दोस्तों भगवान शिव भोले नाथ के ग्यारहवें रूद्र अवतारों में से पांचवें रूद्रा अवतार के नाम पर इस मंदिर का नाम  विरुपाक्ष महादेव मंदिर रखा गया था।  

               दोस्तों इस प्राचीन मंदिर के प्रांगण के चारों कोनों में चार मंडप भी बनाएं गये है । दोस्तों इन मंडपों में  भगवान गणेश , मां पार्वती , और भगवान सुर्य की अद्भुत  प्रतिमाओं को स्थापित किया गया है।














⭐  मंदिर के 64 खंभों पर की गई है अद्भुत नक्काशी ⭐

     दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इस प्राचीन मंदिर को भूल भुलैया वाला शिव मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि दोस्तों इस प्राचीन मंदिर में स्थापित अद्भुत नक्काशीदार खंभों की एक बार में  सही गिनती करना किसी भी मनुष्य की बस की बात नहीं है।

         दोस्तों इस अद्भुत और प्राचीन मंदिर के सभी 64 खंभों पर अद्भुत नक्काशी की गई है जो लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं।
दोस्तों इस प्राचीन विरुपाक्ष महादेव मंदिर के अंदर 34  खंभों का एक मंडप है और इस मंडप के सभी चारों कोनों पर अद्भुत रूप से खंभों की गिनती 14-14 होती है जबकि 8 खंभे अंदर गर्भ गृह में मौजूद हैं। अतः ऐसे में एक बार में इन खंभों की सही गिनती करना मुश्किल है। जिस कारण से यहां के लोग इस मंदिर को भूल भुलैया वाला शिव मंदिर भी कहते हैं।





















⭐ शिवरात्रि की अनोखी परंपरा ⭐

दोस्तों अन्य प्राचीन शिव मंदिरों की तरह ही महा शिवरात्रि के शुभ अवसर पर प्रत्येक वर्ष यहां एक विशाल मेले का आयोजन होता है। और दोस्तों भगवान् विरुपाक्ष के दर्शन के लिए श्रद्धालुगण  दूर दूर से यहां आते हैं दोस्तों मान्यता है कि यहां बाबा भोलेनाथ के दरवाजे से कोई भी भक्त  खाली हाथ नहीं लौटता है ।
दोस्तों पिछले 64 वर्षों से हर साल यहां इस मंदिर प्रांगण में  महा यज्ञ का आयोजन होता रहा है दोस्तों यहां इस दौरान महाप्रसाद खीर के लिए पुरे प्रदेश के साथ साथ पुरे भारत वर्ष से भक्तगण आंतें है। 

        दोस्तों परंपराओं के अनुसार माताओं गोद भरने पर  बच्चों के उनके माता-पिता द्वारा मिठाई से तौला जाता है । दोस्तों यह परंपरा सदियों से चली आ रही है।









        दोस्तों मंदिर में 64 अद्भुत   नक्काशीदार खंभे  , गर्भ गृह , सभा मंडप वह चारों ओर चार सहायक मंदिर स्थापित है । दोस्तों अद्भुत रूप से  सभा मंडप में नृत्य करती हुई अप्सराएं  वाद्य यंत्रों के साथ  मौजूद हैं । दोस्तों आप देखोगे कि मुख्य मंदिर के आसपास सहायक मंदिर भी मौजूद हैं । दोस्तों पूर्व दिशा की ओर सहायक मंदिर के उत्तर में हनुमान जी की ध्यानस्थ मौजूद हैं जो अद्भुत है। दोस्तों पूर्व दक्षिण दिशा में जलाधारी अद्भुत शिवलिंग मौजूद हैं वे पश्चिम दिशा के उत्तर में भगवान विष्णु अपने वाहन  गरुड़ राज़ पर विराजमान हैं और दोस्तों पश्चिम दिशा में दांयी ओर भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित है।










        दोस्तों इस अलौकिक प्राचीन मंदिर में प्रतेयक वर्ष महाशिवरात्रि पर्व पर लाखों श्रद्धालु गण भोले नाथ के दर्शन के लिए आते हैं।















                 धन्यवाद दोस्तों 

 माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗🧗🧗

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               English translat

 



















 Ek yatra khajane ki khoje










 Hello friends, I am Mountain Leopard Mahendra, I warmly greet all of you, friends, I am taking you on today's journey.  There is an ancient Shiva temple of Bilpank village in Ratlam district of Madhya Pradesh, which is world famous due to amazing architectural crafts.  Friends, this temple is also famous by the name of Bhool Bhulaiyaa Shiva Temple.


 Virupaksha Mahadev Temple


 Ratlam Madhya Pradesh


 Bharatvarsh




















 Friends, this ancient temple is also known as Virupaksha Mahadev Temple.  Friends, from many ancient documents, it is known that this ancient temple was established by the kings of the Parmar dynasty before the Middle Ages.  Friends, this temple was named Virupaksha Mahadev Temple after the fifth Rudra incarnation out of the eleventh Rudra incarnation of Lord Shiva Bhole Nath.










 Friends, four pavilions have also been built in the four corners of the courtyard of this ancient temple.  Friends, wonderful idols of Lord Ganesha, Maa Parvati, and Lord Surya have been installed in these pavilions.

























 Amazing carvings have been done on 64 pillars of the temple.


 Friends, you will be surprised to know that this ancient temple is also known as Bhool Bhulaiya Wala Shiva Temple.  Because friends, it is not a matter of any human being to count the wonderfully carved pillars installed in this ancient temple at once.












 Friends, all the 64 pillars of this wonderful and ancient temple have amazing carvings which attract people towards them.

 Friends, there is a mandapa of 34 pillars inside this ancient Virupaksha Mahadev temple and amazingly the number of pillars on all the four corners of this mandap is 14-14 while 8 pillars are present in the sanctum sanctorum inside.  Therefore, it is difficult to count these pillars accurately at one go.  Due to which the people here also call this temple as a maze of maze.






















 Unique tradition of Shivratri


 Friends, like other ancient Shiva temples, a huge fair is organized here every year on the auspicious occasion of Maha Shivratri.  And friends, devotees come here from far and wide to see Lord Virupaksha, friends, it is believed that no devotee returns empty handed from the door of Baba Bholenath here.

 Friends, for the last 64 years, every year in this temple courtyard, a great yagya has been organized, friends, during this time, devotees from all over the state as well as the whole of India are coming here for Mahaprasad Kheer.










 Friends, according to traditions, when mothers are adopted, children are weighed with sweets by their parents.  Friends, this tradition is going on for centuries.





















 Friends, there are 64 wonderful 'carved pillars', sanctum sanctorum, assembly mandap in the temple, around which four subsidiary temples are established.  Friends, wonderfully, dancing Apsaras with musical instruments are present in the Sabha Mandap.  Friends, you will see that there are also subsidiary temples around the main temple.  Friends, in the north of the subsidiary temple towards the east, there is a meditation place of Hanuman ji, which is wonderful.  Friends, in the east-south direction, there are wonderful Shivlings, Lord Vishnu is sitting on his vehicle, Garuda Raj, in the north of the west direction and friends, the idol of Lord Ganesha is installed on the right side in the west direction.












 Friends, in this supernatural ancient temple, every year on the festival of Mahashivaratri, lakhs of devotees come to see Bhole Nath.


 thanks guys


 Mountain Leopard Mahendra🧗🧗🧗🧗



 




























Mountain leppard Mahendra 🧗🧗🧗🧗🧗































       


Friday, January 7, 2022

एक यात्रा - एक ऐसी चमत्कारी घड़ा की जो हमेशा भागने की कोशिश करता है हिमाचल प्रदेश भारत. A Journey to a miraculous pot that always tries to escape Himachal Pradesh India.

Ek yatra khajane ki khoje


 












  नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लेपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं । दोस्तों आज की यात्रा पर मैं आप सभी को लेकर चल रहा हूं हिमाचल प्रदेश के शिमला में मौजूद जुब्बल कोटखाई में मां हाटेश्वरी की प्राचीन मंदिर की यात्रा पर जहां मौजूद है एक रहस्यमई चमत्कारी घड़ा जो हमेशा भागने को तैयार रहता है। दोस्तों इसलिए इस  घड़े को जंजीर में बांध कर रखा गया है।








  प्राचीन हाटेश्वरी माता मंदिर

                 शिमला

              हिमाचल प्रदेश

                  भारतवर्ष







 तो आइए दोस्तों चलते हैं इस पावन और पवित्र प्राचीन मंदिर की यात्रा पर जो लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है और भक्त जनों के प्रत्येक मन कामनाओं को पूर्ण करती है।
    
         
      दोस्तों मान्यता है कि यह चमत्कारी घड़ा जंजीरों में बंधकर भी अपने भक्तों का कल्याण करती हैं।
               दोस्तों भारतवर्ष  के हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के जुब्बल कोटखाई में मां हाटेश्वरी का प्राचीन मंदिर मौजूद है जो अपने चमत्कारी शक्तियों के लिए जाना जाता है ।दोस्तों यह अति प्राचीन मंदिर शिमला शहर से लगभग 110 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।






         दोस्तों माना जाता है कि इस प्राचीन मंदिर का निर्माण आज से 1000 वर्ष पूर्व हुआ था। दोस्तों इस प्राचीन माता हाटेश्वरी का मंदिर विशकुल्टी, राईनाला और पब्बर नदी के  संगम पर सोनपुरी पहाड़ी पर मौजूद है। 
                दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि यह प्राचीन मंदिर "शिखर आकार" नागर शैली में बना हुआ था। लेकिन दोस्तों माना जाता है कि एक श्रद्धालु ने जो  माता का परम भक्त था ने इस प्राचीन मंदिर का पुनः निर्माण कर पहाड़ी शैली के रूप में परिवर्तित कर दिया था। 
                       दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि माता हटेश्वरी की इस प्राचीन मंदिर में एक गर्भगृह मौजूद है जहां माता की अलौकिक रूप से एक विशाल मूर्ति विद्यमान है दोस्तों यह अलौकिक और विशाल मूर्ति माता महिषासुर मर्दिनी की है।








             दोस्तों आश्चर्य करने वाली बात यह है कि इतनी विशाल मूर्ति हिमाचल प्रदेश में ही नहीं बल्कि संपूर्ण भारतवर्ष के प्रसिद्ध देवी मंदिरों में भी देखने को नहीं मिलती है ।और साथ ही साथ दोस्तों अद्भुत करने वाला रहस्य यह है कि यह चमत्कारी प्राचीन मूर्ति किस धातु की बनी है इसका अनुमान लगाना बेहद ही कठिन है।









           अद्भुत मान्यताएं

  
    दोस्तों ख़ास बात यह है कि यहां के स्थानीय पंडित हीं गर्भ गृह में जाकर माता की विधि विधान से पूजा अर्चना करते हैं।

      दोस्तों आइये अब उस चमत्कारी घड़ा के बारे में जानते हैं जो यहां के लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर हैरान और परेशान किए रहती हैं दोस्तों इस प्राचीन मंदिर के मुख्य द्वार के बाहर ही बाईं ओर एक ताम्र कलश लोहे की जंजीरों से बंधा हुआ है जिसे स्थानीय भाषा में "चरू" कहा जाता हैं।

       दोस्तों जब आप इस प्राचीन मंदिर में पहुंचोगे तो आप देखेंगे कि  चमत्कारी रूप से इस कलश "चरू"के गले में लोहे की जंजीर बंधी हुई है। दोस्तों इसके बारे में कहा जाता है कि इस जंजीर का दुसरा छोर माता के पैरों में बंधा हुआ है। 
                      





दोस्तों किंवदंतियों के अनुसार माना जाता है कि सावन और भादों के महिने में जब पब्बर नदी में भयानक बाढ़ आती हैं तब अलौकिक रूप से माता हाटेश्वरी का यह कलश  सीटियों की तीव्र आवाज निकालतीं है और जंजीर से मुक्त होकर  भागने का प्रयास करतीं हैं इसलिए इस कलश को माता के चरणों के साथ बांध दिया गया है।

     दोस्तों स्थानीय लोककथाओं के अनुसार मंदिर के बाहर दो अलौकिक कलश मौजूद थे लेकिन किसी जमाने में दुसरी ओर मौजूद कलश मौका देखकर नदी की ओर भाग गया था। दोस्तों माना जाता है कि भागते वक्त पहले वाले कलश को  पुजारी ने पकड़ा लिया था जो वर्तमान में आज भी मौजूद हैं जंजीरों में जकड़ा हुआ। और दुसरा वाला कहा गया जिसका पता आज तक नहीं चल सका।










    चमत्कारी कलश में बना प्रशाद कभी समाप्त नहीं होता था।

  दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि"चरू" इस प्रकार के कलश पहाड़ों पर मौजूद प्रत्येक  मंदिरों में मिलता है। दोस्तों इन मंदिरों में होने वाले यज्ञ व धार्मिक अनुष्ठानों में बनाएं जाने वाले पकवानों ख़ासकर हलवा को रखा जाता था। और साथ ही साथ कहा जाता हैं इस प्राचीन कोटखाई के परीधि  यानी आस पास के गांवों में जब कोई धार्मिक अनुष्ठान , उत्सव , यज्ञ व विवाह आदि का आयोजन किया जाता था तो इस  इस प्राचीन मंदिर में मौजूद " चरू" यानी अद्भुत कलश को लाकर उनमें भोजन व विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट पकवानों को रखा जाता था । दोस्तों आश्चर्य कि बात यह होती थी कि "चरू" में  रखें भोजन कितना भी बांटा जाएं  समाप्त नहीं होता था।








      एक प्रचलित स्थानीय                          लोकगाथा

  दोस्तों एक प्राचीन लोकगाथा के अनुसार माना जाता है कि सदियों पहले एक ब्राह्मण परिवार में दो सगी बहनें हुआ करती थीं। मान्यता है कि इन दोनों सगी बहनों ने काफी छोटी उम्र में ही संन्यास धारण कर लिया था। और घर व माता पिता का आशीर्वाद लेकर देश भ्रमण के लिए निकल पड़ीं थी । और संकल्प लिया था कि वे गांव गांव जाकर लोगों के दुःख दर्द सुनेगी और उसके निवारण के लिए उपाय बतायेगी । 
                               दोस्तों कहा जाता हैं कि बड़ी बहन जब कोटखाई गांव पहुंच
 जहां यह अतिप्राचीन मंदिर मौजूद हैं। दोस्तों कहा जाता हैं कि वह गांव के ही खेत में आसन लगाकर बैठी और समाधी में लीन हो गई  और इसी अवस्था में वह अंतर्ध्यान यानी लुप्त हो गई और चमत्कारी रूप से जिस स्थान पर वह बैंठी थी वहां पर एक पाषाण की  मूर्ति निकल पड़ी  जो देखने में काफी अलौकिक थीं।
     







            दोस्तों माना जाता है कि इस अलौकिक चमत्कार से गांव वालों को उस कन्या के प्रति श्रद्धा बढ़ और और उन्होंने उस समय के तत्कालीन जुब्बल रियासत के राजा को जानकारी प्रदान की। दोस्तों  राजा ने जब इस घटनाक्रम के बारे में सुना तो  वे पैदल ही चलकर इस स्थान पर पहुंचे और श्रद्धा पूर्वक इच्छा प्रकट करते हुए कहा कि वे माता के चरणों में सोना चढ़ाएंगे । और जैसे ही  प्रतीमा को  मिट्टी से बाहर निकालने के लिए  खुदाइ शुरू की तो वह गढ़ा दुध से भर गया । इस चमत्कार के बाद  राजा ने इस स्थान पर ही मंदिर बनाने का निर्णय लिया। और एक भव्य मंदिर का निर्माण किया। दोस्तों गांव वालों ने उस कन्या देवी के रूप में माना  और गांव के नाम से ही  हाटेश्वरी  देवी कहा जाने लगा। 















        धन्यवाद दोस्तों आज के लिए बस इतना ही।

           माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗

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            English translation










 












  
         Ek yatra khajane ki khoje










 Hello friends, I am Mountain Leopard Mahendra, warm greetings to all of you.  Friends, on today's journey, I am taking you all on a visit to the ancient temple of Mother Hateshwari in Jubbal Kotkhai, Shimla, Himachal Pradesh, where there is a mysterious miraculous pot which is always ready to run away.  Friends, that's why this pot has been kept chained.









 Ancient Hateshwari Mata Temple


 Shimla


 Himachal Pradesh


 Bharatvarsh









 So friends, let's go on the journey of this holy and holy ancient temple which attracts people towards itself and fulfills every wish of the devotees.










 Friends, it is believed that even by being tied in chains, this miraculous pot does the welfare of its devotees.

 Friends, there is an ancient temple of Maa Hateshwari in Jubbal Kotkhai of Shimla district of Himachal Pradesh, India, which is known for its miraculous powers. Friends, this very ancient temple is located at a distance of about 110 kilometers from Shimla city.

 Friends, it is believed that this ancient temple was built 1000 years ago.  Friends, the temple of this ancient Mata Hateshwari is present on Sonpuri hill at the confluence of Vishkulti, Rainala and Pabbar rivers.






 Friends, you will be surprised to know that this ancient temple was built in the "Shikhar shape" Nagara style.  But friends, it is believed that a devotee who was an ardent devotee of Mata, rebuilt this ancient temple and converted it into a hill style.

 Friends, you will be surprised to know that there is a sanctum sanctorum in this ancient temple of Mata Hateshwari, where there is a supernaturally huge idol of Mata, friends, this supernatural and huge idol is of Mata Mahishasura Mardini.










 Friends, the surprising thing is that such a huge idol is not found not only in Himachal Pradesh but also in famous goddess temples of the whole of India.  It is very difficult to guess that it is made.









 amazing beliefs




 Friends, the special thing is that only the local pundits go to the sanctum sanctorum and worship the mother according to the law.


 Friends, let us now know about the miraculous pot which attracts the people here and continues to disturb them. Friends, outside the main entrance of this ancient temple, on the left side, a copper urn is tied with iron chains, which is called the local  It is called "Charu" in the language.








 Friends, when you will reach this ancient temple, you will see that miraculously, an iron chain is tied around the neck of this Kalash "Charu".  Friends, it is said about this that the other end of this chain is tied at the feet of the mother.

 Friends, according to legends, it is believed that in the month of Sawan and Bhadon, when there is a terrible flood in the Pabbar river, then supernaturally this Kalash of Mata Hateshwari makes a loud sound of whistles and tries to escape free from the chain, hence this Kalash.  is tied with the feet of the mother.









 Friends, according to local folklore, two supernatural urns were present outside the temple, but at some point the urn on the other side ran towards the river after seeing the opportunity.  Friends, it is believed that the earlier urn was caught by the priest while running away, which are presently present even today, chained in chains.  And the second one was said, whose address could not be found till date.









 The prasad made in the miraculous urn never expires.


 Friends, you will be surprised to know that this type of Kalash is found in every temple on the mountains.  Friends, the dishes made in the Yagyas and religious rituals in these temples, especially pudding, were kept.  And at the same time it is said that when any religious rituals, festivals, yagyas and marriages etc. were organized in this ancient Kotkhai's Paridhi i.e. nearby villages, then by bringing "Charu" i.e. wonderful urn present in this ancient temple to them.  Food and various types of delicious dishes were kept.  Friends, the surprising thing was that no matter how much food was distributed in "Charu", it did not end.








 A popular local folklore


 Friends, according to an ancient folk tale, it is believed that centuries ago there used to be two real sisters in a Brahmin family.  It is believed that these two real sisters had taken sannyas at a very young age.  And with the blessings of home and parents, she went out for a tour of the country.  And had taken a pledge that she would go from village to village and listen to the pain and sorrow of the people and would suggest ways to redress it.

 Friends it is said that when elder sister reaches Kotkhai village

 Where these ancient temples are present.  Friends, it is said that she sat on a seat in the field of the village and got absorbed in the samadhi, and in this state she vanished and miraculously a stone idol appeared at the place where she was sitting.  I was quite supernatural.









 Friends, it is believed that due to this supernatural miracle, the villagers increased their reverence for that girl and they gave information to the king of the then Jubbal princely state.  Friends, when the king heard about this incident, he reached this place on foot and reverently expressed his desire that he would offer gold at the feet of the mother.  And as soon as he started digging to get the idol out of the soil, the pit was filled with milk.  After this miracle, the king decided to build a temple at this place itself.  And built a grand temple.  Friends, the villagers considered that girl as Goddess and came to be called Hateshwari Devi by the name of the village itself.


 Thanks guys that's all for today.


 Mountain Leopard Mahendra🧗🧗








 


Mountain leopard Mahendra 🧗🧗


























 







Ek yatra khajane ki khoje me

एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग

          ( एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग )                          www.AdventurSport.com सभी फोटो झारखणड़ के...