Thursday, June 17, 2021

एक यात्रा एक ऐसे अद्भुत अति प्राचीन महादेव मंदिर की जहां शिवलिंग के नीचे स्थापित है बाबा भोलेनाथ द्वारा पांडव पुत्र युधिष्ठिर को दिया गया चमत्कारी मणि । अद्भुत अति प्राचीन मतंगेश्वर महादेव मंदिर -ग्राम खजुराहो मध्य प्रदेश भारत।A visit to such a wonderful very ancient Mahadev temple where is installed under the Shivling The miraculous gem given by Baba Bholenath to the Pandava son Yudhishthira. Amazing very ancient Matangeshwar Mahadev Temple - Village Khajuraho Madhya Pradesh India.

Ek yatra khajane ki khoje

























  नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं दोस्तों आज की यात्रा पर मैं आपको लेकर चल रहा हूं एक ऐसे अद्भुत महादेव मंदिर की जहां स्थापित है भगवान शिव की अलौकिक शिवलिंग और उस शिवलिंग के नीचे स्थापित है एक चमत्कारी मणि जिसे स्वयं भगवान शिव ने पांडव पुत्र युधिष्ठिर को दिया था।








     मतंगेश्वर महादेव मंदिर

    ग्राम -खजुराहो -मध्य प्रदेश

            भारतवर्ष

 दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि भारतीय संस्कृति की सबसे रहस्यमई और अलौकिक वस्तुओं में से एक वस्तु है मणि जिसके बारे में असंख्य रहस्यमई कहानियां  , दंतकथाएं और ना जाने कितने लोक कथाएं प्रचलित है।आइए दोस्तों आपको लेकर चलते हैं एक ऐसे ही मंदिर की यात्रा पर जहां मौजूद है असली अलौकिक , चमत्कारी मणि।
              दोस्तों भारत वर्ष के मध्य प्रदेश राज्य के खजुराहो ग्राम में मौजूद है अति प्राचीन मतंगेश्वर महादेव मंदिर प्रांगण जो अपने अद्भुत वास्तुकला और कामसूत्र पर आधारित मंदिर की दीवारों पर बनाई गई मूर्तियों के लिए विश्व प्रसिद्ध है।







                   दोस्तों मान्यता है कि खजुराहो गांव में मंदिरों का निर्माण केवल पूजा पाठ के उद्देश्य ही नहीं करवाया गया था बल्कि माना जाता है कि इनका उद्देश्य आम लोगों को यौन शिक्षा देने के साथ-साथ तांत्रिक पूजा भी संपन्न करवाने के लिए किया गया था।


















  ( भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह स्थल। )

 दोस्तों यहां के लोगों के बीच एक मान्यता है कि ग्राम खजुराहो स्थित मतंगेश्वर महादेव मंदिर प्रांगण ही वह स्थान है जहां भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था।
       दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि भगवान शिव को समर्पित  अति प्राचीन मतंगेश्वर महादेव मंदिर में हजारों - हजार वर्षों यनी युगो युगो से शिव शंभू भोलेनाथ की पूजा आराधना होते आ रही है।
        दोस्तों मान्यता है कि इस अति प्राचीन महादेव मंदिर में कई चमत्कारी घटनएं घट चुकी है ।दोस्तों जिसकी वजह से हजारों की संख्या में श्रद्धालु गण प्रत्येक वर्ष भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने संपूर्ण भारत से यहां आते हैं।














  (  चमत्कारी "मरकत" "मणि" "शिवलिंग" के नीचे स्थापित है ऐसी मान्यता है। )

 दोस्तों एक प्रचलित दंतकथा के अनुसार माना जाता है कि मंदिर में स्थापित पवित्र शिवलिंग के नीचे एक चमत्कारी मणि मौजूद है जो शिव भक्तों की हर मनोकामना को पूर्ण करती है।
                      दोस्तों पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान भोलेनाथ शिव के पास "मरकत" "मणि" मौजूद थी। दोस्तों जिसे उन्होंने "पांडव" भाइयों में सबसे बड़े "युधिष्ठिर" को दे दिया था , उनसे प्रसन्न होकर।दोस्तों कहां जाता है कि आगे चलकर महाराज युधिष्ठिर ने चमत्कारी मणि को "मतंग" ऋषि को सौंप दिया था। जिसके बाद यह चमत्कारी मणि "मतंग" ऋषि ने राजा हर्षवर्मन को दे दिया था। 
                दोस्तों माना जाता है कि "मतंग" ऋषि के पास यह चमत्कारी मणि होने के कारण ही इस मंदिर का नाम मतंगेश्वर महादेव मंदिर पड़ा था।

           दोस्तों ऐसी मान्यता है या कहा जाता है कि "मतंग" ऋषि ने ही महादेव के 18 फीट के शिवलिंग के नीचे सुरक्षा के दृष्टिकोण से चमत्कारी मणि गाड़ दिया था।अतः दोस्तों कहां जा सकता है कि यहां इस मंदिर में अलौकिक मणि और भगवान भोलेनाथ का ही प्रताप है कि यहां भक्तों द्वारा मांगी गई हर मनोकामना पूर्ण होती है। 
















 (अद्भुत रूप से हर वर्ष बढ़ जाती है शिव लिंग की आकार  )

 दोस्तों इस अति प्राचीन मंदिर का सबसे बड़ा आकर्षण है मंदिर में मौजूद ढाई मीटर ऊंचा शिवलिंग।दोस्तों अति प्राचीन मतंगेश्वर शिव मंदिर में मौजूद शिवलिंग के बारे में माना जाता है कि प्रत्येक वर्ष "तिल" के बराबर इसकी ऊंचाई बढ़ जाती है।दोस्तों खास बात यह भी है कि मतंगेश्वर महादेव मंदिर खजुराहो के सभी मंदिरों में सबसे पवित्र माना जाता है।

          दोस्तों गौर करने वाली एक और बात है कि खजुराहो में स्थित अन्य मंदिरों की तरह इस मंदिर के स्तंभों और दीवारों पर कामुक मूर्तियां आदि नहीं उकेरी गई है ।

       दोस्तों आज भी मतंगेश्वर महादेव मंदिर खजुराहो के सबसे पवित्र मंदिरों में से एक है जहां प्रतिदिन भक्त गणों का बड़ी संख्या में आना जाना लगा रहता है।
















 ( दोस्तों इस प्राचीन मंदिर का निर्माण चंदेल राजाओं द्वारा 9 वीं सदी में करवाया गया था।  )

 दोस्तों दोस्तों ऐतिहासिक स्रोतों से पता चलता है कि खजुराहो का इतिहास लगभग 1000 वर्ष पुराना है ।दोस्तों खजुराहो शहर चंदेल वंश के शासकों की प्रथम राजधानी हुआ करती थी। दोस्तों चंदेल वंश और खजुराहो के संस्थापक चंद्र बर्मन थे। दोस्तों महाराज चंद्र बर्मन मध्यकाल में बुंदेलखंड में शासन करने वाले राजपूत राजा थे । वह अपने आप को चंद्रवंशी मानते थे।
 
   दोस्तों इस पवित्र शिवलिंग को मृत्युंजय महादेव के नाम से भी जाना जाता है।

      दोस्तों आज के लिए बस इतना ही।






         धन्यवाद दोस्तों

 माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗
 _________________________       English translate












   Hello friends, I am Mountain Leopard Mahendra, warm greetings to all of you, friends, on today's journey, I am taking you with such a wonderful Mahadev temple where the supernatural Shivling of Lord Shiva is established and a miraculous gem is established under that Shivling.  Lord Shiva himself gave it to Pandava son Yudhishthira.






 Matangeshwar Mahadev Temple


 Village-Khajuraho-Madhya Pradesh


 Bharatvarsh






 Friends, you will be surprised to know that one of the most mysterious and supernatural objects of Indian culture is a gem, about which innumerable mystical stories, fables and not many folk tales are prevalent.  Where exists the real supernatural, miraculous gem.

 Friends, present in Khajuraho village of Madhya Pradesh state of India, the very ancient Matangeshwar Mahadev temple courtyard which is world famous for its amazing architecture and sculptures made on the walls of the temple based on Kamasutra.






 Friends, it is believed that temples were built in Khajuraho village not only for the purpose of worship, but it is believed that their purpose was to give sex education to the common people as well as to conduct tantric worship.














 ( The wedding venue of Lord Shiva and Mother Parvati. )


 Friends, there is a belief among the people here that the Matangeshwar Mahadev temple premises located in village Khajuraho is the place where the marriage of Lord Shiva and Mother Parvati took place.








 Friends, you will be surprised to know that in the very ancient Matangeshwar Mahadev temple dedicated to Lord Shiva, the worship of Shiva Shambhu Bholenath has been worshiping since thousands of years.




 Friends, it is believed that many miraculous events have happened in this very ancient Mahadev temple. Friends, due to which thousands of devotees come here every year from all over India to get the blessings of Lord Shiva.













  (  It is believed that the miraculous "turquoise" "mani" is installed under the "shivalinga". )


 Friends, according to a popular legend, it is believed that a miraculous gem is present under the holy Shivling installed in the temple, which fulfills every wish of Shiva devotees.




 Friends, according to mythology, Lord Bholenath Shiva had "Turkaat" "Mani".  Pleased with the friends whom he gave to "Yudhishthira", the eldest of the "Pandava" brothers.  After which this miraculous gem was given by the sage "Matang" to King Harshvarman.

 Friends, it is believed that the name of this temple was named Matangeshwar Mahadev Temple due to the "Matang" sage having this miraculous gem.






 Friends, there is such a belief or it is said that the "Matang" sage had buried the miraculous gem under the 18 feet Shivling of Mahadev from the point of view of safety.  It is great that every wish sought by the devotees here is fulfilled.













 ( Amazingly the size of Shiva Linga increases every year. )


 Friends, the biggest attraction of this very ancient temple is the two and a half meter high Shivling present in the temple. Friends, the Shivling present in the very ancient Matangeshwar Shiva temple is believed to increase its height every year equal to "sesame".  It is also that Matangeshwar Mahadev Temple is considered to be the holiest of all the temples in Khajuraho.






 Friends, another thing to note is that unlike other temples located in Khajuraho, erotic sculptures etc. have not been carved on the pillars and walls of this temple.


 Friends, even today Matangeshwar Mahadev Temple is one of the most sacred temples of Khajuraho, where a large number of devotees keep visiting every day.













 ( Friends, this ancient temple was built by the Chandela kings in the 9th century.  )


 Friends, historical sources show that the history of Khajuraho is about 1000 years old. Friends, the city of Khajuraho used to be the first capital of the rulers of Chandel dynasty.  The founders of the Chandela dynasty and Khajuraho were Chandra Burman.  Friends Maharaj Chandra Burman was a Rajput king who ruled in Bundelkhand in the medieval period.  He considered himself a Chandravanshi.







 Friends, this holy Shivling is also known as Mrityunjay Mahadev.


 Friends, that's all for today.





 thanks guys


    Mountain Leopard               Mahendra 🧗🧗





























Mountain Leopard Mahendra 🧗🧗





















 



 

Tuesday, June 15, 2021

एक यात्रा प्रेम और बलिदान का प्रतीक रूदाबाई बावड़ी की -अहमदाबाद- जिला -गांधीनगर -गुजरात -भारत. A visit to Rudabai Baori symbolizing love and sacrifice -Ahmedabad-District -Gandhinagar -Gujarat -India.

Ek yatra khajane ki khoje





























  नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं दोस्तों आज की यात्रा पर मैं आपको लेकर चल रहा हूं गुजरात के अहमदाबाद शहर की यात्रा पर जहां हम देखेंगे एक बहुत ही अद्भुत बावड़ी को जो अपने अद्भुत वास्तुकला के लिए विश्व प्रसिद्ध है।

         रूदाबाई बावड़ी

  अहमदाबाद , जिला-गांधीनगर 

        गुजरात  भारतवर्ष   

 दोस्तों आज की यात्रा पर मैं आपको लेकर चल रहा हूं। एक ऐसे प्राचीन बावड़ी की यात्रा पर जो प्रेम , समर्पण और बलिदान का सबसे बड़ा प्रतिक है।
                    दोस्तों जब आप इस अद्भुत संरचना को देखोगे तो आश्चर्य किए बिना नहीं रह पाओगे, कि कैसे हमारे पूर्वजों ने इस अद्भुत संरचना का निर्माण किया होगा।वास्तव में दोस्तों इन संरचनाओं को देखकर आप सोचने पर मजबूर हो जाओगे कि हमारे पूर्वज वास्तुशिल्प में कितने निपुण रहे होंगे।














          (  निर्माण काल  )

 दोस्तों ऐतिहासिक दस्तावेजों से पता चलता है कि इस प्राचीन व अद्भुत पानी के बावड़ी का निर्माण 1498 ईस्वी में गुजरात के राजा राणा वीर सिंह की याद में उनकी धर्मपत्नी रानी रूदा देवी ने करवाया था।
        दोस्तों गुजरात के अहमदाबाद में पानी का यह अदलज बावड़ी या रूदाबाई बावड़ी अपने पुरातन वास्तु शिल्प एवं अद्भुत सुंदरता के कारण पूरे विश्व में प्रसिद्ध है।दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि यह अद्भुत बावड़ी धरती के अंदर यानी गहराई में 5 मंजिल की बनी हुई है जो अपने आप में अद्भुत और अविश्वसनीय है।
               दोस्तों यह बाबरी सन 1498 में पानी को जमा करने , बाहर से आने वाले यात्रियों एवं स्थानीय स्तर पर होने वाले शादी -विवाहों में आने वाले बारातियों को ठहराने की व्यवस्था यहीं पर होती थी। साथ ही दोस्तों आस-पास के गांव में होने वाले धार्मिक आयोजनों में भी इस बावड़ी का उपयोग लोगों को ठहराने के लिए किया जाता था।


















          दोस्तों माना जाता है कि राजा राणा वीर सिंह ने अपने राज्य के इस विराने सुस्त पड़े क्षेत्र में अपने प्रजा की कठिनाइयों को दूर करने  के लिए ही इस अद्भुत पानी के बावड़ी का निर्माण शुरू करवाया था।क्योंकि दोस्तों इस क्षेत्र में रहने वाले निवासी पानी लाने के लिए मीलों पैदल जाया करते थे।

            लेकिन दोस्तों आपको पता है कि यह बावड़ी राजा राणा वीर सिंह के जीवित रहते बन ही नहीं पाया था।क्योंकि वह आक्रमणकारी मुस्लिम शासक महमूद बेगड़ा के साथ हुए युद्ध में वीरगति को प्राप्त हो गए थे।

         दोस्तों दंतकथा यह भी है कि आक्रमणकारी मुस्लिम शासक महमूद बेगड़ा , राजा राणा वीर सिंह की रानी रूदाबाई की रूप पर मोहित हो गया था और राणा वीर सिंह के युद्ध में मौत हो जाने के बाद उसने पूरे राज्य पर अपना कब्जा कर लिया था।  और रानी रूदाबाई के सामने शादी का प्रस्ताव रख दिया था।






           दोस्तों माना जाता है कि रानी रूदाबाई को पता था कि वह दुष्ट आक्रमणकारी उन्हें छोड़ने वाला नहीं है ।अतः रानी ने एक चाल चली जिसके परिणाम स्वरुप वह दुष्ट महमूद बेगड़ा से शादी के लिए तैयार हो गई।क्योंकि रानी रूदाबाई को महाराज के द्वारा छोड़े हुए अधूरे कार्य को पूरा करना था। यानी बावड़ी के निर्माण को पूरा करवाना था।जो महाराज राणा वीर सिंह के वीरगति को प्राप्त हो जाने के बाद अधूरा पड़ा हुआ था।

          दोस्तों कहा जाता है कि क्रूर शासक महमूद बेगड़ा रानी की सुंदरता पर इतना मोहित था कि उसने रानी के इस प्रताप को भी स्वीकार कर लिया था कि रानी द्वारा उसके पति के द्वारा शुरू की गई बावड़ी का निर्माण पूरा करना है।
              अतः दोस्तों यही कारण है कि बावड़ी का निर्माण प्रसिद्ध सोलंकी शैली की वास्तु शैली में की गई है और बावड़ी को हिंदू देवी देवताओं व जैन धर्मावलंबियों की मूर्तियों से अलंकृत किया गया है।


            दोस्तों कहां जाता है कि बावड़ी का निर्माण कार्य पूरा हो जाने के बाद रानी रूदाबाई अपने पति महाराज राणा वीर सिंह की याद में बावड़ी के अंदर ही बने गहरे कुएं में कूदकर जान दे दी थी।यानी दोस्तों स्पष्ट होता है कि वह क्रूर आक्रमणकारी महमूद बेगड़ा से शादी करने का कोई इरादा ही नहीं रखती थी वह तो बस अपने पति द्वारा छोड़े गए अधूरे कार्य को पूरा करना चाहती थी।












            दोस्तों बावड़ी की अद्भुत सुंदरता ही इसके बारे में शानदार व्याख्या ही नहीं करती है बल्कि दोस्तों इस बावड़ी की निर्माण की कहानी प्रेम , युद्ध , भक्ति और विश्वासघात से भरी पड़ी हुई है।
                    दोस्तों कुछ भी हो यह बावड़ी हमारे प्राचीन भारत के अद्भुत निर्माण शैली का उच्चतम धरोहर है जिसे हमें बचाए रखना चाहिए ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियां इस अद्भुत वास्तु शिल्प व निर्माण कला को देख सके।


 दोस्तों आज के लिए बस इतना ही।













         धन्यवाद दोस्तों

  माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗

 _________________________

       English translate
       ___________________














 Hello friends, I am Mountain Leopard Mahendra, warm greetings to all of you, friends, today I am taking you on a trip to the city of Ahmedabad in Gujarat, where we will see a very wonderful stepwell which is world famous for its amazing architecture.  .







 rudabai stepwell


 Ahmedabad, District-Gandhinagar


 Gujarat  Bharatvarsh





 Friends, I am taking you on today's journey.  On a visit to an ancient stepwell which is the greatest symbol of love, dedication and sacrifice.

 Friends, when you see this amazing structure, you will not be able to live without wonder, how our ancestors must have built this amazing structure. In fact friends, seeing these structures, you will be forced to think that our ancestors were so adept in architecture.  Will be















 (  construction period  )


 Friends, historical documents show that this ancient and wonderful water stepwell was built in the memory of King Rana Veer Singh of Gujarat in 1498 AD by his wife Rani Ruda Devi.

 Friends, this stepwell of water in Ahmedabad, Gujarat or Rudabai stepwell is famous all over the world due to its ancient architectural craft and amazing beauty. Friends, you will be surprised to know that this wonderful stepwell is made of 5 floors deep inside the earth.  Amazing and incredible in itself.

 Friends, this Babri, in 1498, arrangements were made to store water, travelers coming from outside and weddings at the local level, arrangements were made here.  Along with this, this stepwell was also used to accommodate people in religious events held in the nearby village.


















 Friends, it is believed that Raja Rana Veer Singh had started the construction of this wonderful water well in order to overcome the difficulties of his subjects in this deserted area of ​​his kingdom. Because friends, the residents living in this area bring water.  Used to walk for miles.







 But friends, you know that this stepwell could not be built during the survival of Raja Rana Veer Singh. Because he had attained martyrdom in the war with the invading Muslim ruler Mahmud Begada.


 Friends legend also has it that the invading Muslim ruler Mahmud Begada was fascinated by the form of Rani Rudabai of Raja Rana Veer Singh and took over the entire kingdom after Rana Veer Singh died in battle.  And had proposed marriage in front of Rani Rudabai.


 Friends, it is believed that Rani Rudabai knew that the evil invader was not going to leave them. So the queen played a trick as a result of which she agreed to marry the evil Mahmud Begada. Because Rani Rudabai was abandoned by the Maharaj.  Unfinished business had to be completed.  That is, the construction of the stepwell was to be completed. Which was lying unfinished after the death of Maharaja Rana Veer Singh.







 Friends, it is said that the cruel ruler Mahmud Begada was so fascinated by the beauty of the queen that he even accepted the queen's majesty to complete the construction of the stepwell started by the queen by her husband.

 So friends, this is the reason why the stepwell has been built in the famous Solanki style of architecture and the stepwell has been decorated with the idols of Hindu deities and Jains.









 Where does friends go that after the completion of the construction work of the stepwell, Rani Rudabai had committed suicide by jumping into the deep well built inside the stepwell in memory of her husband Maharaj Rana Veer Singh. That is, friends, it is clear that she was the cruel invader Mahmud Begda.  She had no intention of marrying him, she just wanted to complete the unfinished work left by her husband.







 Friends, the wonderful beauty of the stepwell not only gives a wonderful explanation about it, but friends, the story of the construction of this stepwell is full of love, war, devotion and betrayal.

 Friends, whatever be the case, this stepwell is the highest heritage of the wonderful construction style of our ancient India, which we should preserve so that our coming generations can see this wonderful architectural craft and construction art.













 Friends, that's all for today.







 thanks guys


 Mountain Leopard              Mahendra🧗🧗






      





















       
       Mountain Leopard              Mahendra 🧗🧗






















 
  
               

Ek yatra khajane ki khoje me

एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग

          ( एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग )                          www.AdventurSport.com सभी फोटो झारखणड़ के...