Sunday, April 18, 2021

रहस्यमई हवा में झूलते हुए खंभे वाली अति प्राचीन लोपाक्षी मंदिर की यात्रा- आंध्र प्रदेश भारत Visit to the ancient Lopakshi temple with pillars swinging in the mysterious wind - Andhra Pradesh India.

Ek yatra khajane ki khoje



































   नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता। दोस्तों आज मैं आपको एक ऐसे मंदिर की यात्रा पर लेकर चल रहा हूं जो पुरातन काल से ही उत्सुकता का केंद्र बना हुआ है। जी हां दोस्तों एक ऐसे मंदिर जिसके खंभे हवा में झूलते हैं दोस्तों आश्चर्यजनक रूप से यह प्राचीन 70 खंभों वाला मंदिर आज के आधुनिक युग में विज्ञान को चुनौती दे रहा है कि कैसे आज से हजारों वर्ष पूर्व हमारे पूर्वजों ने इस मंदिर का निर्माण किया होगा।।











 प्राचीन लोपाक्षी या वीरभद्र मंदिर
         
            आंध्र प्रदेश 

             भारतवर्ष

 दोस्तों आप सभी तो जानते ही होंगे कि हमारे देश भारत वर्ष में ऐसे मंदिरों की कमी नहीं है जो आलौकिक , चमत्कारी और रहस्यों से भरे ना हो।दोस्तों एक ऐसा ही मंदिर है दक्षिण भारत में जिसके रहस्यों को सुलझाने में अंग्रेजो के भी दांत खट्टे हो गए थे। और वे कभी भी इस मंदिर के रहस्य नहीं जान पाए थे। दोस्तों यह मंदिर अति प्राचीन काल से ही लोगों के  बीच उत्सुकता का केंद्र बना हुआ है। और शायद ही हम कभी इस रहस्य को सुलझा पाएंगे। दोस्तों यह मंदिर भगवान शिव और भगवान विष्णु एवं भगवान वीरभद्र को समर्पित है।

          दोस्तों भारतवर्ष के आंध्र प्रदेश राज्य के अनंतपुर जिले में स्थापित अति प्राचीन लोपाक्षी मंदिर अद्भुत रूप से 70 खंभों पर टिका हुआ है , लेकिन दोस्तों आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि मंदिर का एक खंभा धरती को छूता ही नहीं है बल्कि आश्चर्यजनक रूप से हवा में झूलता रहता है, और दोस्तों अलौकिक रूप से मंदिर का सारा भार इसी झूलते हुए खंभे पर टिका हुआ है जो विश्व भर के वैज्ञानिकों को सोचने पर मजबूर कर देती है की यह कैसे संभव हो सकता है लेकिन दोस्तों सच्चाई यही है , यह सत्य है , अलौकिक है , और अद्भुत है।




















    आइए दोस्तों चलते हैं थोड़ा समय के पीछे अंग्रेजों के जमाने में उस समय मंदिर के बारे में बताया जाता था कि 70 खंभों वाला यह मंदिर उस एक झूलते हुए खंभे को छोड़कर बाकी के 69 खंभों पर टिका हुआ है। इसीलिए वे लोग सोचते थे कि एक खंभे के हवा में झूलने से कोई फर्क नहीं पड़ता होगा। लेकिन माना जाता है कि अंग्रेजों के शासन काल के दौरान ही ब्रिटिश इंजीनियर हैमिल्टन मैं भी कुछ इसी तरह की बातें कही थी। और वर्ष  1902  ई. के दौरान हैमिल्टन ने मंदिर के रहस्य को सुलझाने की तमाम कोशिशें की थी। की मंदिर का आधार किस खंभे पर टिका है यह जानने के लिए ब्रिटिश इंजीनियर हैमिल्टन ने उस हवा में झूलते खंभे पर हथौड़े से जोरदार प्रहार किया था। जिससे तकरीबन 25 फीट की दूरी पर स्थित खंभों में भी दरारें पड़ गई थी। जिससे हैमिल्टन को समझ में आ गया था कि मंदिर का सारा वजन अद्भुत रूप से इसी झूलते हुए खंभे पर है। और वह नतमस्तक होकर वापस अपने देश लौट गया था।















            दोस्तों दंत कथाओं और ऐतिहासिकता के आधार पर मंदिर के निर्माण को लेकर अलग अलग विचारधारा है।दोस्तों इस मंदिर में एक स्वयंभू शिवलिंग भी मौजूद है जो भगवान शिव के रौद्राअवतार वीरभद्र के अवतार माने जाते हैं।कुछ ऐतिहासिक स्रोतों से पता चलता है कि यह शिवलिंग 15 वी शताब्दी तक खुले आसमान के नीचे विराजमान थे। तब 1538 ईस्वी में दो भाइयों विरूपन्ना  और वीरन्ना ने इस मंदिर का निर्माण किया था।दोस्तों इन दोनों भाइयों का इतिहास मालूम करने पर पता चलता है कि यह दोनों भाई विजय नगर के राजा के अधीन काम किया करते थे।
            लेकिन दोस्तों पौराणिक ग्रंथों के अनुसार माना जाता है कि लोपाक्षी मंदिर परिसर में स्थित वीरभद्र मंदिर का निर्माण ऋषि अगस्त्य ने करवाया था।
                 दोस्तों लोपाक्षी मंदिर को लेकर एक और कहानी प्रचलित है इस कहानी के अनुसार एक बार वैष्णवगण यानी भगवान विष्णु के भक्त और शैवगण यानी भगवान शिव के भक्तों के बीच एक दूसरे से सर्वश्रेष्ठ होने को लेकर आपस में बहस शुरू हो गई थी। जो कई युगो तक चलती रही जिसे रोकने के लिए अगस्त्य मुनि ने इसी स्थान पर कई युगों तक तप किया और अपने तपोबल के प्रभाव से उस बहस को समाप्त कर दिया। और वैष्णव गण और शैव गणों को यह भी एहसास कराया कि भगवान विष्णु और भगवान शिव एक दूसरे के पूरक हैं।


















     दोस्तों लोपाक्षी मंदिर के पास में ही भगवान विष्णु के एक अद्भुत रूप रघुनाथेश्वर जी का मूर्ति स्थापित है। दोस्तों यहां आप आश्चर्यजनक रूप से देखोगे कि भगवान विष्णु देवाधिदेव  भगवान शिव शंभू के पीठ पर आसन जमाए हुए हैं। यानी दोस्तों यहां पर विष्णु जी को  भगवान शिव शंभू के ऊपर प्रतिष्ठित किया गया है रघुनाथ स्वामी के रूप में इसलिए वे  रघुनाथेश्वर कहलाए। 
                   दोस्तों प्राचीन काल से ही लोपाक्षी मंदिर के इस झूलते हुए खंभे को लेकर एक परंपरा चली आ रही है , माना जाता है कि जो भी भक्तगण या श्रद्धालु लटकते हुए इस खंभे के नीचे से कपड़ा निकाल लेता है उनके जीवन में फिर किसी भी प्रकार का दुःख तकलीफ नहीं  आता है एवं परिवार में सुख शांति और समृद्धि का आगमन होने लगता है। 

     दोस्तों कुछ भी हो यह अति प्राचीन मंदिर वाकई में अलौकिक और अद्भुत है जो अपने रहस्यमई वास्तुशिल्प के कारण विश्व प्रसिद्ध है।


           धन्यवाद दोस्तों

   माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗
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       English translate
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 Hello friends, I would like to extend my hearty greetings to all of you mountain leopard Mahendra.  Friends, today I am taking you on a journey to a temple which has been a center of curiosity since ancient times.  Yes friends! A temple whose pillars swing in the air, friends. Surprisingly, this ancient 70 pillar temple is challenging science in today's modern era, how our ancestors would have built this temple thousands of years ago.  .











 Ancient Lopakshi or Virbhadra Temple



 Andhra Pradesh


 India


 Friends, you all must be aware that there is no shortage of such temples in our country of India, which are not supernatural, miraculous and full of mysteries. Friends is one such temple in South India, in which even the British have teeth in solving the mysteries.  Had gone.  And they could never know the secret of this temple.  Friends, this temple has been a center of curiosity among the people since time immemorial.  And rarely will we ever be able to solve this mystery.  Friends, this temple is dedicated to Lord Shiva and Lord Vishnu and Lord Veerabhadra.


 Friends: The very ancient Lopakshi temple established in Anantapur district of Andhra Pradesh state of India is wonderfully built on 70 pillars, but friends, you will be surprised to know that one pillar of the temple not only touches the earth but also amazingly swings in the air.  Lives, and friends supernaturally, the entire weight of the temple rests on this swinging pillar that makes scientists all over the world think about how this can be possible but friends this is the truth, this is the truth, the supernatural  Is, and is amazing.











 Let's go back a bit, in the British era, at that time the temple was told that this 70-pillared temple rests on 69 pillars except for one swinging pillar.  That is why those people thought that swinging a pillar in the air would not matter.  But it is believed that it was during the British rule that British engineer Hamilton I also said something similar.  And during the year 1902 AD, Hamilton made all efforts to solve the mystery of the temple.  To know on which pillar the base of the temple rests, the British engineer Hamilton hit the pillar swinging in the air with a hammer.  Due to which there were cracks in the pillars located at a distance of about 25 feet.  From which Hamilton understood that all the weight of the temple is amazingly on this swinging pillar.  And he returned to his homeland after being sullen.











 Friends, there is a different ideology regarding the construction of the temple based on the legend and historicity. Friends, this temple also has a self-styled Shivling which is considered to be the incarnation of Lord Shiva's Raudraavatar Virabhadra. Some historical sources suggest that this Shivling  By the 15th century, they were seated under the open sky.  Then in 1538 AD, two brothers Virupanna and Veeranna built this temple. Friends, after knowing the history of these two brothers, it is known that these two brothers worked under the king of Vijaynagar.

 But according to friends mythological texts, it is believed that the Veerabhadra temple located in the Lopakshi temple complex was built by sage Agastya.

 Friends, another story is prevalent about Lopakshi temple.According to this story, once a debate started between the Vaishnavganas, devotees of Lord Vishnu and the devotees of Lord Shiva, to get the best of each other.  Agastya Muni meditated at this place for many ages and ended the debate with the influence of his Tapobal, which was to last for many Yugos.  And also made Vaishnava gana and Shaiva ganas realize that Lord Vishnu and Lord Shiva are complementary to each other.














 Friends, a statue of Raghunatheshwar Ji, a wonderful form of Lord Vishnu, is installed near the Lopakshi temple.  Friends, here you will see amazingly that Lord Vishnu Devadhidev is sitting on the back of Lord Shiva Shambhu.  That is, here friends, Vishnu has been revered over Lord Shiva Shambhu as Raghunath Swami, hence he is called Raghunatheshwar.

 Friends, a tradition has been going on since ancient times about this swinging pillar of Lopakshi temple, it is believed that any devotee or devotee who removes the cloth from the hanging under this pillar will have any kind of grief in their life again.  There is no problem and happiness, peace and prosperity start coming in the family.


 Whatever be the friends, this very ancient temple is truly supernatural and wonderful, which is world famous due to its mysterious architecture.



 Thanks guys


     Mountain Leopard               Mahendra 🧗🧗










Friday, April 16, 2021

अद्भुत अलौकिक बृहदेश्वर मंदिर तंजावुर तमिल नाडु भारत. Amazing supernatural Brihadeeswarar temple Thanjavur Tamil Nadu India.

Ek yatra khajane ki khoje






























  नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं। दोस्तों आज की यात्रा पर मैं आपको लेकर चल रहा हूं एक बहुत ही अद्भुत और अलौकिक मंदिर की यात्रा पर जो अपने अद्भुत वास्तुकला और शायद विश्व में सबसे अनोखे ग्रेनाइट पत्थरों से बने इस मंदिर की यात्रा पर जिसे हम सभी बृहदेश्वर मंदिर  के नाम से जानते हैं।


           बृहदेश्वर मंदिर

       तंजावुर तमिलनाडु

             भारतवर्ष




 नमस्कार दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि भगवान शिव को समर्पित तमिलनाडु के बृहदेश्वर मंदिर पूरी तरह से ग्रेनाइट पत्थरों से निर्मित है।साथ ही साथ दोस्तों आश्चर्य करने की बात यह है कि पूरे संसार में मंदिर अपनी तरह का एक मंदिर है जो कि सबसे कठोर पत्थर ग्रेनाइट से बना हुआ है जिस पर नक्काशी करना ही अपने आप में अद्भुत है क्योंकि पूरा का पूरा मंदिर ग्रेनाइट से बना हुआ है जो हमें आश्चर्य में डाल देता है।

            दोस्तों माना जाता है कि इजिप्ट के पिरामिडों के रहस्यों का उजागर तो किया जा सकता है लेकिन अपने भारत के तंजावुर शहर के इस महान बृहदेश्वर मंदिर के रहस्य को उजागर करना असंभव है।
                 दोस्तों अपने विशिष्ट वास्तुकला के लिए यह मंदिर जाना जाता है दोस्तों 130000 टन ग्रेनाइट पत्थरों से इसका निर्माण किया गया है लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि ग्रेनाइट पत्थर इस इलाके के आसपास भी नहीं पाया जाता है और यह रहस्य आज तक रहस्य ही बना हुआ है कि इतनी भारी मात्रा में ग्रेनाइट पत्थर लाया कहां से गया था। दोस्तों उस जमाने में वास्तुकारो  ने बहुत ही सोच समझ कर इस मंदिर का निर्माण किया होगा। साथ ही दोस्तों इस मंदिर की दुर्ग की ऊंचाई भी संसार में सर्वाधिक है।









दोस्तों तंजावुर का पेरिया कोविल यानी बड़ा मंदिर विशाल दीवारों से घिरा हुआ है ऐतिहासिक स्रोतों से पता चलता है कि इस मंदिर की नींव 16वीं शताब्दी में रखी गई थी। दोस्तों इस मंदिर की ऊंचाई 216 फुट है और दोस्तों संभवत यह संसार का सबसे ऊंचा मंदिर है जो पूर्ण रूप से ग्रेनाइट पत्थरों से बना हुआ है।दोस्तों आश्चर्यजनक रूप से मंदिर का कलश जो कि सबसे ऊपर स्थापित है केवल एक ही ग्रेनाइट पत्थर को तराश कर बनाया गया है जो कि उस काल में असंभव था और आज के आधुनिक युग में भी असंभव है। दोस्तों इस कलश का वजन 80 टन है और दोस्तों साथ ही साथ प्रवेश द्वार पर स्थित नंदी बाबा की मूर्ति जो कि 16 फुट लंबी और 13 फुट ऊंची है एक ही ग्रेनाइट पत्थर को तराश कर बनाई गई है।

            दोस्तों आज से हजारों वर्ष पूर्व 80 टन का पत्थर मंदिर के ऊपर कैसे चढ़ाया गया होगा यह भी एक अनसुलझा रहस्य ही है।साथ ही साथ दोस्तों ग्रेनाइट पत्थर की खदानें जो कि मंदिर के 100 किलोमीटर की दूरी के क्षेत्र में कहीं भी मौजूद नहीं है दोस्तों यह रहस्य तो है ही साथ ही साथ यह भी हैरानी की बात है कि ग्रेनाइट पत्थर के ऊपर नक्काशी करना ही बहुत कठिन है क्योंकि आज के आधुनिक युग में भी मशीनों से ही बड़ी कठिनाई से ग्रेनाइट के पत्थरों पर नक्काशी की जाती है।












दोस्तों बृहदेश्वर मंदिर को पेरूवुदईयार कोविल , तंजई पेरिया कोविल  व राजाराजेश्वरम मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। दोस्तों इस मंदिर की एक और विशेषता यह है कि गोपुरम की छाया जमीन पर पढ़ती ही नहीं है।दोस्तों पिरामिड कि वह आकृति जो दक्षिण भारत के मंदिरों के मुख्य द्वार पर स्थित होता है उसे ही गोपुरम के नाम से जाना जाता है।दोस्तों मंदिर के अंदर स्थित भित्ति चित्रों में से एक जिसमें भगवान शिव असुरों के किलो का विनाश कर नृत्य कर रहे हैं बहुत ही सुंदर ढंग से चित्रित किया गया है और इसी भित्ति चित्र में भगवान शिव एक  श्रद्धालु को स्वर्ग पहुंचाने के लिए एक सफेद हाथी भेज रहे हैं जो बहुत ही अद्भुत है दोस्तों बहुत ही सुंदर तरीके से इन चित्रों को ग्रेनाइट के पत्थरों पर उकेरा गया है। दोस्तों ये  भित्ति चित्र उस जमाने के बहुत ही उन्नत तकनीक को दर्शाते हैं।
          दोस्तों बहुत ही आश्चर्य होता है हमें यह देखकर कि उस जमाने में हमारे पूर्वज ना जाने किस उच्च तकनीक का प्रयोग करते थे जिसे शायद ही हम कभी जान पाएंगे। 








          धन्यवाद दोस्तों

    माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗



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         English translate
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 Hello friends I extend my hearty greetings to all of you guys at Mountain Leopard Mahendra.  Friends, today I am taking you on a journey of a very amazing and supernatural temple which is known for its amazing architecture and perhaps the most unique granite stones in the world, which we all know as Brihadeeswarar Temple.  .



 Brihadeeswarar Temple


 Thanjavur Tamil Nadu


 India





 Namaskar Friends, you will be surprised to know that the Brihadeeswarar Temple in Tamil Nadu dedicated to Lord Shiva is completely built of granite stones. At the same time, it is a surprise to the friends that the temple is one of its kind in the whole world which is the hardest stone.  It is amazing to carve on granite itself because the whole temple is made of granite which makes us wonder.


 Friends, it is believed that the secrets of the Egyptian pyramids can be revealed, but it is impossible to uncover the secret of this great Brihadeeswarar temple in Thanjavur city of India.

 Friends, this temple is known for its distinctive architecture. Friends, it has been constructed with 130000 tons of granite stones but surprisingly, granite stone is not found even around this area and this mystery remains a mystery till date.  Where did that huge quantity of granite stone go from?  Friends, the architects must have built this temple very thoughtfully in those days.  Also, friends, the height of the fort of this temple is also the highest in the world.












 Friends, Periya Kovil ie large temple of Thanjavur is surrounded by huge walls. Historical sources suggest that the foundation of this temple was laid in the 16th century.  Friends, the height of this temple is 216 feet and friends it is probably the tallest temple in the world which is completely made of granite stones.  Has been created which was impossible in that period and is impossible even in today's modern era.  Friends, this urn weighs 80 tons and friends as well as the statue of Nandi Baba situated at the entrance which is 16 feet long and 13 feet high is made by carving the same granite stone.







 Friends, how the 80-ton stone was mounted on the temple thousands of years ago is also an unsolved mystery, as well as friends granite stone quarries which do not exist anywhere in the area of ​​100 kilometers of the temple.  It is a mystery as well as it is surprising that it is very difficult to carve on granite stone because in today's modern era, it is very difficult to carve granite stones with machines.









 Friends Brihadeeswarar Temple is also known as Peruvudaiyar Kovil, Tanjai Periya Kovil and Rajarajeshwaram Temple.  Friends, another feature of this temple is that the shadow of Gopuram does not read on the ground. The shape of the two pyramids which is situated at the main gate of the temples of South India is known as Gopuram.  One of the murals inside which Lord Shiva is dancing to destroy the kilos of Asuras is depicted very beautifully and in this mural, Lord Shiva is sending a white elephant to bring a devotee to heaven who is  It is very amazing friends. These pictures are engraved on granite stones in a very beautiful way.  Friends, these murals depict the very advanced technology of that era.

 Friends, we are very surprised to see that in those days our ancestors used to know which high technology we would hardly know.










 Thanks guys


 Mountain Leopard             Mahendra 🧗🧗














  

Wednesday, April 14, 2021

अद्भुत अलौकिक उनाकोटी की यात्रा जो अपने प्राचीन शैल चित्रों व पत्थरों पर बने अलौकिक एवं अद्भुत मूर्तियों के लिए विश्व प्रसिद्ध है - उनाकोटी त्रिपुरा भारत Visit to the amazing supernatural Unakoti, which is world famous for its ancient rock paintings and supernatural and amazing sculptures made on stones - Unakoti Tripura India.

Ek yatra khajane ki khoje
























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   नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं दोस्तों आज की यात्रा पर आपको लेकर चल रहा हूं उनाकोटी , त्रिपुरा जहां दोस्तों आप देखोगे अलौकिक और अद्भुत लाखो वर्ष पूर्व बने चट्टानों पर उकेरे गए रहस्यमई और अलौकिक मूर्तियों को। 
               दोस्तों संकीर्ण पागडंडियो , दूरदराज फैले घने जंगलों और प्राचीन  रॉक मूर्तियों से भरा यह स्थान काफी प्राचीन और रहस्यो से भरपूर है दोस्तों यहां आपको ऐसी शानदार कलात्मक और अलग-अलग तरह के शैल चित्रों को देखने का अनुभव प्राप्त होगा जिसकी आपने कल्पना भी नहीं की होगी।










   उनाकोटी की प्राचीन मूर्तियां

             त्रिपुरा

           भारतवर्ष


  नमस्कार दोस्तों उनाकोटी जोकि त्रिपुरा के घने जंगलों में मौजूद है दोस्तों यहीं पर मौजूद है पहाड़ों और चट्टानों को काटकर बनाए गए रहस्यमई और अलौकिक भगवान शिव एवं समस्त देवी देवताओं की मूर्तियां।
       दोस्तों आश्चर्यजनक रूप से एक या हजारों भी नहीं बल्कि एक करोड़ मूर्तियां मौजूद है यहां पर। दोस्तों आश्चर्य करने वाली बात यह है कि आज तक इन मूर्तियों का लिखित इतिहास नहीं मिल पाया है कि इन मूर्तियों को किसने बनाया और कब बनाया था ? आज भी रहस्य बना हुआ है दोस्तों माना जाता है कि इन मूर्तियों का निर्माण लाखो वर्ष पूर्व किया गया था। लेकिन दोस्तों आश्चर्य करने वाली बात यह है कि जब ईसा पूर्व मनुष्य की इतनी उन्नत सभ्यता मौजूद नहीं थी तो लाखों वर्ष पूर्व इन मूर्तियों का निर्माण किसने किया था।क्योंकि दोस्तों आज के वर्तमान युग में भी शायद हम अत्याधुनिक मशीनों की मदद से भी इन जैसी मूर्तियों का निर्माण नहीं कर सकते हैं।













दोस्तों पुरातात्विक खोजों के आधार पर कहा गया है कि इन मूर्तियों में से केवल एक मूर्ति कम है एक करोड़ की संख्या को प्राप्त करने में , शायद इसी कारण से इस जगह का नाम उनाकोटी पड़ा है।लेकिन दोस्तों स्थानीय लोगों का मानना है कि यहां पर पूरे एक करोड़ देवी देवताओं की मूर्तियां मौजूद है जिनमें से एक मूर्ति अद्भुत रूप से अलौकिक और रहस्यमई है जो हमें खुली आंखों से दिखाई नहीं देती है जो कहीं इन्हीं पहाड़ियों में अति गुप्त रूप से मौजूद है जिसे खोजा जाना अभी बाकी है।

          दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि एक करोड़ मूर्तियों का यह परिवार केवल भारत में ही नहीं बल्कि  मंगोलिया , रूस व अमेरिका तक में फैला हुआ है जो अलग-अलग नामों एवं पहचान के साथ मौजूद है। लेकिन दोस्तों उनाकोटी की बात ही कुछ और है अद्भुत अलौकिक और हमारे पूर्वजों की अनमोल धरोहर है।














   दोस्तों आप सभी यहां की यात्रा बहुत ही आसानी से कर सकते हो रेल मार्ग , वायु मार्ग एवं सड़क मार्ग के द्वारा - त्रिपुरा का उनाकोटि शहर अपनी खूबसूरती और शांति के लिए जाना जाता है। दिल्ली, बेंगलुरु, मुंबई और कोलकाता से इसकी दूरी क्रमशः 2,303, 3,373, 3,149 और 1,427 किमी की दूरी पर स्थित है। परिवहन के तीनों तरीके से आप यहां पहुंच सकते है।
 








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हवाई मार्ग - उनाकोटि का निकटतम हवाई अड्डा अगरतल्ला एयरपोर्ट है। इसे महाराज बीर बिकम एयरपोर्ट के नाम से भी जाना जाता है। यह एयरपोर्ट साल 1942 में बनाया गया था अब यह उत्तर पूर्व राज्यों का दूसरा सबसे व्यस्त हवाई अड्डा है। यह AAI ( भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण) के प्रशासन के अधीन है। यहां उतरने के बाद आप सार्वजनिक परिवहन लेकर आगे की यात्रा कर सकते है।
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दिल्ली - दिल्ली के इंदिरा गाँधी अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डा से एयर इंडिगो, स्पाइस जेट, इंडिगो और विस्तारा के विमान ले सकते हैं। प्रति व्यक्ति तक़रीबन 7,000 रुपये









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मुंबई - मुंबई एयरपोर्ट से गो एयर, स्पाइस जेट, एयर इंडिया की विमानें उपलब्ध हैं। प्रति व्यक्ति किराया 14,000 रूपये के करीब है। 
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कोलकाता - नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतरराष्ट्रीय  एयरपोर्ट से करीब 9,000 रूपये खर्च करके आप स्पाइस जेट, एयर इंडिया, गो एयर के विमानों के माध्यम से पहुँच सकते हैं।
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मदुरै -  मदुरै एयरपोर्ट से एयर इंडिया, इंडिगो, स्पाइस जेट की विमानें उपलब्ध है। किराया करीब 19,000 रुपये।





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रेल मार्ग- निकटतम रेलवे स्टेशन अगरतल्ला रेलवे स्टेशन है। यह 2008 में बनाया गया था और 2016 में इसका पुनर्निर्माण भी किया गया था। गुवाहाटी के बाद, यह उत्तर पूर्व भारत में दूसरा रेलवे स्टेशन है। स्टेशन से गंतव्य तक पहुंचने के लिए आप सार्वजनिक परिवहन ले सकते है। 
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दिल्ली स्टेशन से अगरतल्ला तक - ANVT-AGTL राजधानी एक्सप्रेस, त्रिपुरा सुंदरी एक्सप्रेस
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बैंगलुरू कैंट से अगरतल्ला तक - BNC-AGTL हमसफर एक्सप्रेस
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कोलकाता स्टेशन से अगरतल्ला तक - कंचनजंगा एक्सप्रेस सियालदाह स्टेशन से खुलती है।







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सड़क मार्ग- यदि आप पास में रहते है तो सड़क मार्ग चुन सकते है। आप अपनी टैक्सी के माध्यम से आप अपनी यात्रा कर सकते है। देखिये, सड़क मार्ग द्वारा अलग-अलग जगहों से आप यहां कैसे पहुंच सकते है। 
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सिलचर- 160 किमी NH 37 and NH 8
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हाईलाकांदी - 126 किमी कमलपुरा- कुमारघाट रोड 
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शिलांग - 325 किमी NH 6 या NH 8







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इम्मफाल - 414 किमी NH 37 or NH 8
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अगरतल्ला - 126 किमी करमपुर- कुमारघाट रोड
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           धन्यवाद दोस्तों

   महेंद्रा माउंटेन लैपर्ड 🧗🧗

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       English translate
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 Ek yatra khajane ki khoje




















 Hello friends I heartily greet all of you mountain leopard Mahendra friends. Today I am taking you on a journey to Unakoti, Tripura where friends you will see the supernatural and supernatural and supernatural statues carved on rocks made millions of years ago.

 Friends, this place full of narrow footpaths, remote remote forests and ancient rock sculptures, is quite ancient and full of secrets, friends here you will get to experience such magnificent artistic and different types of rock paintings that you would not have even imagined.  .




 Ancient sculptures of Unakoti


 Tripura


 India









 Namaskar Friends, Unakoti, which is present in the dense forests of Tripura, is present here friends. The statues of the mysterious and supernatural God Shiva and all the Gods and Goddesses created by cutting of mountains and rocks.

 Friends, surprisingly not one or even thousands but one crore idols are present here.  Friends, the surprising thing is that till date the written history of these idols has not been found who made these idols and when was they made?  Even today the mystery remains, friends, it is believed that these idols were built millions of years ago.  But friends, the surprising thing is that when the human beings did not have such advanced civilization before BC, then who built these idols millions of years ago, because friends, even in the present age, perhaps even with the help of cutting-edge machines like these  Can not build idols.
















 Friends, based on archaeological discoveries, it has been said that only one of these idols is less in number to achieve the number of crores, probably for this reason the place is named Unakoti. But friends believe that the locals here  There are statues of one crore Gods and Goddesses, one of which is wonderfully supernatural and mysterious, which is not visible to us with open eyes, which is very secretly present in these hills which is yet to be discovered.


 Friends, you will be surprised to know that this family of one crore idols is spread not only in India but also in Mongolia, Russia and America which exists with different names and identities.  But friends, Unakoti is something more amazing, supernatural and is a precious heritage of our ancestors.


 Friends, all of you can travel here very easily by rail, air and road - Unakoti city of Tripura is known for its beauty and peace.  It is situated at a distance of 2,303, 3,373, 3,149 and 1,427 km respectively from Delhi, Bangalore, Mumbai and Kolkata.  You can reach here by all three modes of transport.









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 By Air - The nearest airport to Unakoti is Agartala Airport.  It is also known as Maharaj Bir Bikam Airport.  This airport was built in the year 1942 and is now the second busiest airport in the North East states.  It is under the administration of AAI (Airports Authority of India).  After landing here, you can travel further by taking public transport.

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 Delhi - Indira Gandhi International Airport of Delhi can take Air Indigo, Spice Jet, Indigo and Vistara aircraft.  About 7,000 rupees per person

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 Go Air, Spice Jet, Air India flights are available from Mumbai - Mumbai Airport.  The per capita rent is close to Rs 14,000.











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 Kolkata - By spending around Rs 9,000 from Netaji Subhash Chandra Bose International Airport, you can reach via Spice Jet, Air India, Go Air planes.

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 Madurai - Air India, IndiGo, Spice Jet flights are available from Madurai Airport.  Rent is around 19,000 rupees.

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 Rail route - Nearest railway station is Agartalla railway station.  It was built in 2008 and was also rebuilt in 2016.  After Guwahati, it is the second railway station in North East India.  You can take public transport to reach the destination from the station.










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 Delhi Station to Agartala - ANVT-AGTL Rajdhani Express, Tripura Sundari Express

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 Bangalore Cantt to Agartala - BNC-AGTL Humsafar Express

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 From Kolkata station to Agartala - Kanchenjunga Express opens from Sealdah station.

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 By Road - If you live nearby, you can choose the road.  You can make your journey through your taxi.  See, how you can reach here from different places by road.

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 Silchar - 160 km NH 37 and NH 8

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 Highlakandi - 126 km Kamalpura - Kumarghat Road









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 Shillong - 325 km NH 6 or NH 8

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 Imphal - 414 km NH 37 or NH 8

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 Agartala - 126 km Karampur - Kumarghat Road

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 Thanks guys


 Mahendra Mountain            Leopard 🧗🧗










   विश्व की अन्य मूर्तियां जो हो सकती है कि वे सभी उनाकोटी से संबंधित हो।
 Other sculptures of the world that may all belong to Unakoti.

    







      Mountain leopard Mahendra 🧗🧗






 


Ek yatra khajane ki khoje me

एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग

          ( एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग )                          www.AdventurSport.com सभी फोटो झारखणड़ के...